यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है. एक गाँव में एक बार एक आदमी ने चोरी से एक किसान का कटहल का पेड़ काट लिया. पेड़ तब कटा गया जब किसान किसी काम से गाँव से बाहर गया हुआ था. जब किसान वापस आया तो उसे यह पता चला कि एक चोर ने उसके बाप दादा का
लगाया कटहल का पेड़ कुछ हजार रुपयों के लोभ में काट कर किसी लकड़ी के व्यापारी को बेच दिया है. जब किसान वापस गाँव आया तो गाँव के लोगों ने उस चोर का नाम बताया कि पेड़ किसने काटा है. किसान ने पुलिस में मुकदमा दायर करने को कहा तो किसी ने उससे झगड़ा करने को कहा. किसी बहुत ही शांति प्रिय व्यक्ति था. उसने कुछ अलग ही करने की सोचा. वह अपने पंडित के पास गया और पंडित से कटहल के पेड़ का श्राद्ध करने को कहा. पहले तो पंडित को आश्चर्य हुआ लेकिन सब कुछ समझकर पंडित कटहल के पेड़ का श्राद्ध करने को तैयार हो गया. सबसे पहले तो पेड़ की शव यात्रा निकली गयी और लोगो को बताया गया कि एक चोर ने चोरी से उसके कटहल के पेड़ को काट लिया है उसी की शव यात्रा निकाली जा रही है. यह बात पूरे इलाके में आग की तरह फ़ैल गयी. फिर कटहल के पेड़ का श्राद्ध करवाया गया. चोर को जब यह सब पता चला तो पहले तो वह काफी गुस्सा में आ गया. बाद में उसे आत्म ग्लानि हुई और वह गाँव छोड़कर भाग गया. आज इस तरह की घटनाएँ आम होती जा रही है, लोग छोटे- छोटे लाभ के लिए चोरी चकारी करते हैं. दूसरों का हक़ हिस्सा छिन लेना चाहते हैं. इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है. इसलिए पेड़ को मत काटें. पेड़ लगाएं धरती को बचाएं.
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