Visit to Heaven By Birbal Hindi Story/बीरबल की जन्नत से वापसी
बीरबल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे. वे बीरबल को बहुत चाहते थे और सदा अपने साथ रखते थे. अकबर गुणी तथा प्रतिभाशाली व्यक्तियों का बहुत सम्मान किया करते थे. बीरबल अपनी सूझ-बूझ व् दूरदर्शिता के कारण उनके प्रिय थे.
अकबर का बीरबल के प्रति विशेष अनुराग देख दरबारी उनसे ईर्ष्या करते थे. बीरबल से ईर्ष्या करने वालों में जुम्मन नाम का एक नाई भी था, जो प्रतिदिन अकबर की दाढी बनाया करता था. वह बीरबल को नीचा दिखाने के लिए रोज नए हथकंडे अपनाता था, परन्तु उसे कभी सफलता नहीं मिलती थी. अकबर की दाढी बनाते समय भी वह अक्सर अकबर को बीरबल के विरूद्ध भडकाया करता था.
एक दिन जुम्मन नाई ने बीरबल को अपने रास्ते से हटाने का षड्यंत्र रचा. अकबर की दाढी बनाते समय उसने अकबर से कहा –“जहाँपनाह, आपके पुरखों को जन्नत गए बहुत समय हो गया, परन्तु उनकी खैरियत की कोई भी खबर आपको नहीं मिली,”अकबर ने कहा- “तेरा दिमाग तो ठीक है. जन्नत से भी भला कोई खबर आती है.”
नाई बोला – “जहाँपनाह, आपके पास बीरबल जैसा समझदार मंत्री है. अगर आप उसे हुक्म दें तो वह जन्नत से आपको पुरखों की खैरियत लेन का कोई-न-कोई उपाय अवश्य दूंढ निकालेंगे.”
शहंशाह के मन में जुम्मन नाई की बात अटक गई. उन्होंने बीरबल को जन्नत में भेजने का फैसला कर लिया. तभी बीरबल वहाँ पहुँचे. उन्हें देख अकबर बोले –“क्यों बीरबल, क्या तुम जन्नत जाकर हमारे पुरखों का समाचार ला सकते हो.“
अकबर की बात सुनकर बीरबल हैरान रह गए. उन्होंने मंद-मंद मुसकराते हुए जुम्मन को देखा. वह समझ गए कि यह सब इसी का षड्यंत्र है. बीरबल ने कुछ देर सोचा, फिर बोले- “मैं जन्नत से आपके पुरखों का समाचार लेन के लिए तैयार हूँ, परन्तु इसके लिए मुझे कुछ मोहलत तथा धन की आवश्यकता है.”
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अकबर ने पूछा- “तुम्हें कितना धन तथा कितनी मोहलत चाहिए.“
बीरबल ने कहा- “जहाँपनाह, दस दिन की मोहलत तथा दस हजार अशर्फियाँ चाहिए”
अकबर ने बीरबल को दस हजार सोने की अशर्फियाँ दिला दीं. बीरबल अपने घर चला गया. उसने अपने घर में राजगीरों को बुलाया. दिन में वह अपनी हवेली की मरम्मत करवाता तथा रात में घर के पीछे बगीचे में ले जाकर उनसे सुरंग खुदवाता. दस दिन में उसने अपनी हवेली में से एक सुरंग निकलवा ली जो घर से कब्रिस्तान तक खोदी गई थी.
दस दिन बाद बीरबल अकबर के पास गए और बोले – “मैं जन्नत जाने के लिए तैयार हूँ.”
बीरबल ने अपनी कब्र वहाँ खुदवाई, जहाँ उसने सुरंग बनवाई थी, बीरबल को जिन्दा दफन होते देखने के लिए बहुत-से लोग आए. अकबर स्वयं बीरबल को देखने के लिए पहुँचे.
बीरबल के कब्र में लेटने के बाद ऊपर से मिट्टी डाल दी गई. जुम्मन अपने षड्यंत्र के सफल होने पर फूला नहीं समा रहा था. लोग सोच रहे थे कि बीरबल ने बेवजह मौत को गले लगा लिया. भला जन्नत से भी कोई वापस आ सकता है.
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बीरबल कब्र के नीचे खुदी सुरंग से होकर अपनी हवेली में पहुंच गए, वे घर में आराम से रहने लगे. कुछ दिन बीत जाने के बाद अकबर को बीरबल की याद आने लगी. कई बार अकबर को याद करके बेचैन हो जाते थे. इसी तरह एक माह बीत गया.
एक दिन अकबर बीरबल की याद में खोए हुए थे और जुम्मन उनकी दाढी बना रहा था. तभी बादशाह की नजर सामने से आते हुए बीरबल पर पड़ी, वे उन्हें देखकर चौंक गए. बीरबल की दाढी तथा बाल बढ़े हुए थे.
अकबर और बीरबल बड़े ही उत्साह से गले मिले. प्रसन्नचित्त अकबर ने पुछा- “कहो बीरबल,क्या मेरे पुरखे जन्नत में ठीक हैं.”
बीरबल बोला – “जहाँपनाह, आपके पुरखे जन्नत में बहुत खुश हैं. जब उन्हें पता चला कि मुझे आपने भेजा है तो वे बहुत प्रसन्न हुए, उन्होंने मेरा बड़ा सत्कार किया मेरा तो वहाँ बड़ा मन लग गया था, परन्तु मुझे खास वजह से वापस आना पड़ा. वैसे तो आपके पुरखे आराम से हैं, किन्तु उन्हें एक तकलीफ है.”
अकबर ने पूछा –“क्या तकलीफ है उन्हें.”
बीरबल ने कहा –“जहाँपनाह, आपके पुरखे दुखी हैं, क्योंकि वहाँ कोई नाई नहीं है उनकी दाढी और बाल बहुत लंबे हो गए हैं देखी, एक माह में मेरी दशा भी नाई के बिना कैसी हो गई है.”
अकबर ने कहा- “नाई की कमी जुम्मन को भेजकर पूरी कर देते हैं.”
यह सुनकर जुम्मन कांप उठा, उसने बीरबल के लिए बुरा सोचा था अब उसका बुरा होने वाला था अगले दिन अकबर ने जुम्मन को दफनाने का हुक्म दे दिया। जुम्मन विरोध भी न कर सका। अपनी सूझ-बूझ से बीरबल ने न केवल अपने उपर आई विपत्ति को टाला, बल्कि एक षड्यंत्रकारी का भी अंत कर दिया।
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