स्वास्तिक के चिह्न का महत्व/ Auspicious Swastik Symbol Hindi Article
यह चिह्न यानी स्वास्तिक अति पवित्र चिह्न है. हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मं को मानने वाले लोग लगभग हर शुभ कार्य में इसके बनाते हैं. इसे चित्र के रूप में भी बनाया जाता है. हिन्दू धर्म के अनुयायी इसे हर मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि के अवसर पर बनाते है और इसके नीचे स्वास्तिः न इन्द्रः भी लिखते हैं. कई लोग तो स्वास्तिक के साथ ॐ का भी प्रयोग करते हैं.
स्वास्तिक का अर्थ
स्वास्तिक एक संस्कृत शब्द है. स्वास्तिक शब्द का जिक्र पाणिनि कृत व्याकरण कौमुदी में किया गया है. यह शब्द सु उपसर्ग (Prefix) और अस्ति अव्यय के मेल से बना है. अगर इसके अर्थ को देखा जाय तो इसका मतलब कल्याण, शुभ, मंगल आदि है. जब इसमें क प्रत्यय (Suffix) लगा देते हैं तो वह कारक बन जाता है और उसे हम स्वास्तिक कहते हैं.
स्वास्तिक का प्रयोग : एक उदहारण
हिन्दू लोग अपने शुभ अवसर पर स्वास्तिक का प्रयोग अलग- अलग तरीके से करते हैं. जब बच्चे का पहली बार मुंडन या उपनयन संस्कार किया जाता है तो उस बच्चे की बुआ उस बच्चे के सिर पर हल्दी मक्खन और रोली मिलाकर स्वास्तिक का चिह्न बनाती हैं. सिर के ऊपर स्वास्तिक का चिह्न बनाने का अर्थ यह होता है कि उस बालक के सिर पर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चारों प्रभावी रहे और वह बालक पुरुषार्थी बने. जीवन में सदैव नै ऊँचाइयों को छुए.
स्वास्तिक के अन्दर चारों भागों के भीतर बिंदु भी बनाया जाता है जो यह इंगित करता है कि व्यक्ति का दिमाग concentrated रहे, इधर- उधर भटके नहीं. ऐसा माना जाता है कि स्वास्तिक की चारों भुजाएं चारों दिशों से आनेवाली उर्जा को समेट कर एक स्थान पर केन्द्रित करे.
Swastik Symbol का प्रयोग बौद्ध धर्म और जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी किया जाता है. इसका प्रयोग भारत के अतिरिक्त कई अन्य देशों में भी किया जाता है. जर्मनी में इसके राजकीय चिह्न के रूप में प्रयोग में लाया गया है. अंग्रेजों के क्रॉस में भी स्वास्तिक का परिवर्तित रूप दिख जाता है.
उल्टा स्वास्तिक चिन्ह से हुआ हिटलर का विनाश!
ऐसा कहा जाता है कि हिटलर की फ़ौज का निशान स्वास्तिक ही था. यह उसकी सेना के लोग अपनी वर्दी में दोनों बाजुओं पर लगाते थे. उसके अंत समय में जो उसने वर्दी पहन रखी थी उसको टेलर ने उल्टा लगा दिया था. जहाँ एक ओर सीधा और सही अनुपात में बनाया गया स्वास्तिक निशान सुख, शांति और समृद्धि लाता है वहीँ दूसरी ओर उल्टा और गलत स्वास्तिक चिन्ह अनर्थकारी भी हो सकता है. इसलिए इसे अच्छे से बनाया जाना चाहिए.
स्वास्तिक के विविध रंग और उसके मायने
- यदि स्वास्तिक चिह्न की भुजाएं अंदर की तरफ गोलाई में हो तो उसे सौम्य स्वास्तिक कहा जाता है.
- यदि स्वास्तिक चिह्न की भुजाएं बाहर की तरफ नुकीले हथियार के रूप में हो, तो उसे रक्षक स्वास्तिक कहा जाता है.
- काले रंगे के स्वास्तिक का प्रयोग शमशानी शक्तियों को वश में करने के लिये किया जाता है.
- लाल रंग के स्वास्तिक का प्रयोग शारीरिक और भौतिक सुरक्षा हेतु किया जाता है.
- डॉक्टर द्वारा भी स्वास्तिक का प्रयोग काफी पुराना है, लेकिन उसमें सौम्यता और दिशा संबंधी कोई निर्देश नहीं होता है. केवल plus sign (+) ही मिलता है.
- पीले रंग के स्वास्तिक का प्रयोग धार्मिक कार्य और शुभ संस्कार के दौरान किया जाता है.
Auspicious Swastik Symbol Hindi Article के अलावे इसे भी पढ़ें: लोकप्रिय सुभाषित वचन
नोट : यदि आपके पास Hindi में कोई भी article, inspirational/story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपने फोटो के साथ हमें E-mail करें. हमारा ईमेल पता है : [email protected].
आपका लेख पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ प्रकाशित करेंगे. धन्यवाद!
Jyotirmoy Sarkar says
very informative post. well written. liked it a lot.