अस्थमा श्वसन तंत्र की एक गंभीर बीमारी है. इस बीमारी में लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है और जैसा की आपको पता है कि सांस लेकर ही हम पूरे शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई को सुनिश्चित करते हैं. दमा के मरीज के सांस नली में सुजन या उसमें कफ जमा हो जाता है जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ होती है. प्रस्तुत पोस्ट Asthma Respiratory Problem in Hindi में हम दमा के बारे में चर्चा करेंगे. दमा होने के कई कारण होते हैं. लेकिन इसकी शुरुआत प्रायः allergy से होता है. धुल कण युक्त वातावरण में रहने से या अधिक ठंड के चलते भी होता है. इसके कई ट्रिगर हो सकते हैं. उसकी पहचान हो जाय तो इससे काफी हद तक बचाव किया जा सकता है.
दमा के लक्षण Symptoms of Asthma
सबसे पहले तो पीड़ित को खांसी उठती है, दम फूलने लगता है और श्वास लेने में कठिनाई होने लगती है. बहुत देर तक पानी में भींगने से, ज्यादा ठण्ड में या शीत ऋतु में इसका प्रभाव बहुत तेजी से पड़ता है. जब इसका दौरा पड़ता है तो मरीज को बहुत कष्ट होता है और मरीज को ऐसा लगता है कि उसका अपना शरीर है ही नहीं. क्योंकि उस समय शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है. बैचेनी बढ़ जाती है.
दमा के घरेलू उपचार Home Remedies for Asthma
Asthma respiratory Problem in Hindi पोस्ट में दमा के कुछ घरेलू उपचार दिए जा रहे हैं. आशा करता हूँ कि यह दमा के वैसे मरीज जो सुदूर देहात में रहते हैं, जिनको तुरंत डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध नहीं है उनके कुछ काम आ सकेगा. वैसे तो टीम बेहतरलाइफ की यही सलाह है कि जब भी आपको श्वसन में कोई तकलीफ हो, आप तुरंत अपने आस पास के डॉक्टर से दिखाएँ.
श्वास संबंधी बीमारी के लिए विशेषज्ञ भी होते हैं जिनको पुल्मोनोलोगिस्ट (Pulmonologist) कहा जाता है. अगर आपके आस पास कोई pulmonologist हैं तो आप उनसे सलाह लें.
१. कुछ तुलसी की पत्तियां, लहसुन और गुड़ को मिलाकर चटनी बना लें. इसमें से २ से ३ ग्राम चटनी गर्म पानी के साथ सेवन करें.
२. दमा बीमारी में मालिश बहुत लाभकारी होता है. यदि दमा का प्रकोप बहुत बढ़ा हो तो सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर छाती पर धीरे धीरे मालिश करें. इससे रोगी को बहुत राहत मिलता है.
३. नीम के तेल का १०-१२ बूंद पान पर लगाकर खाने से अस्थमा के रोगी को आराम मिलता है.
४. कालीमिर्च १० ग्राम, सोंठ १० ग्राम, पीपल १० ग्राम, हरी इलाइची १० ग्राम, तेजपत्ता १० ग्राम, इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें. इसमें ५० ग्राम गुड़ मिलाएं. इसकी छोटी मटर के आकार में गोली बनाकर सुखा लें. प्रतिदिन सुबह शाम दो दो गोली चूसें.
५. अनार के छिलकों को धुप में सूखाकर पीस लें और उसका चूर्ण बना लें. इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें.
६. लहसुन के एक जवे को भुनकर सेंधा नमक के साथ चबाकर खाएं.
७. भुनी जी अलसी ५ ग्राम तथा काली मिर्च १० ग्राम दोनों का चूर्ण बनाकर एक डिब्बे में रख लें. इस चूर्ण का सेवन सेवन सुबह शाम शहद के साथ करें.
८. गर्म पानी में आधा चम्मच लहसुन का रस मिलकर पीने से बहुत आराम मिलता है.
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९. मुलेठी का पाउडर १० ग्राम, लगभग २५ ग्राम पानी में उबालकर उसे छान लें. इसमें घी, मिश्री और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करे. इससे सीने पर जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है.
१०. यदि कफ अधिक बन रहा है तो खाली पेट तीन अंजीर रोज खाएं.
११. सफ़ेद प्याज के रस में थोडा सा शहद मिलाकर चाटें.
१२. मदार की जड़ १० ग्राम, अजवाइन १० ग्राम गुड़ २० ग्राम; इस सभी को मिलाकर छोटे चने के बराबर की गोलियां बना लें. प्रतिदिन सुबह शाम एक एक गोली का सेवन करें.
१३. पीपल के फलों को सुखाकर चूर्ण बना ले. उसमे से दो चुटकी चूर्ण शहद के साथ सेवन करें.
१४. हल्दी, कलि मिर्च, किशमिश, पीपल, रासना, कचूर इन सबका १० -१० ग्राम लें और खूब महीन पीस लें. इसमें गुड मिलाकर छोटी छोटी गोली बना लें. रोज दो दो गोली सुबह शाम सेवन करने से बहुत आराम मिलता है.
१५. रोज एक गिलास गाजर का रस गर्म करके पीने से दमा के रोगी को राहत मिलता है.
प्राणायाम और दमा
ऐसे तो प्राणायाम हर तरह की बीमारी के लिए लाभप्रद होता है लेकिन श्वास रोगियों के लिए यह बहुत लाभकारी होता है. दमा के रोगियों को चाहिए कि प्राणायाम को वे अपनी जीवन शैली में शामिल करें. विशेष रूप से अनुलोम विलोम का अभ्यास प्रतिदिन करें. खुली हवा और सामान्य वातावरण में इसका अभ्यास एकदम धीरे धीरे करें. शरीर या श्वसन तंत्र पर बिना किसी तरह का दबाव दिए बिना इसका अभ्यास करना चाहिए. इसका प्रभाव लम्बे समय के बाद दीखने लगता है और श्वास नलिकाएं सामान्य होकर जीवन को सहज बना देता है.
दमा के रोगियों का भोजन और परहेज
१. दमा से पीड़ित व्यक्तियों को थोडा थोडा खाना चाहिए. भोजन को छोटे छोटे भाग में बांटकर ४-से ५ बार खाना चाहिए.
२. यदि बकरी का दूध आस पास में उपलब्ध हो तो उसका सेवन करना चाहिए.
३. खुली हवा में रहने का प्रयास करें. अधिक ठण्ड से बचें. साफ़ और शुद्ध वायु बहुत फायदेमंद होता है.
४. चिंता, तनाव और क्रोध इस बीमारी के ट्रिगर हो सकते हैं. इनसे रोगियों को बचना चाहिए.
५. रोगियों को सूर्य के धूप का सेवन करना चाहिए. ज्यादा तेज धूप में न ले जाएँ.
६. भोजन हल्का और पाचन योग्य दें. अधिक गर्म या अधिक ठंढा भोजन न दें.
७. दमा के रोगियों को यदि डॉक्टर ने कोई इनहेलर या अन्य मेडिसिन दिया हो तो उसे हमेशा अपने साथ रखें. ये इनहेलर दमा के रोगियों के लिए राम बाण होता है. यह तुरंत राहत देता है.
८. यदि कोई दवा चल रही है तो उसे समय पर लें और खान पान और मौसम बदलने पर अपना विशेष ध्यान रखें.
९. किसी भी तरह की असुविधा होने पर तुरंत चिकित्सक के पास जाएँ और अपना इलाज कराएँ. अपना डॉक्टर स्वयं बनने का प्रयास न करें.
दमा एक बहुत ही पीड़ादायक और जोखिम पूर्ण बीमारी है, परन्तु सही इलाज, सही दवा और अच्छे लाइफस्टाइल को फॉलो करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है और एक सुखद जीवन जीया जा सकता है. आप स्वस्थ रहें, मस्त रहें और इस ब्लॉग पर आते रहें. धन्यवाद!
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