पत्तागोभी गुणों की खान
पत्तागोभी को पातगोभी या English में cabbage कहा जाता है. यह हरी सब्जी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं. यह उच्चस्तरीय पोषक तत्वों से भरपूर, सुपाच्य और बहुत ही कम कैलोरी वाली सब्जी होती है. इसी के कारण यह अत्यन्त स्वास्थ्यवर्धक एवं सौंदर्यवर्धक मानी जाती है।
बहुत से लोकप्रिय व्यंजनों की कल्पना पत्तागोभी के बिना तो की भी नहीं जा सकती है। यह एक ऐसी सस्ती सब्जी है जो हमारे देश में साल में सात-आठ महीने तक हर जगह मिलती है. यह शीतकालीन सब्जियों में सर्वाधिक लोकप्रिय है। पत्तागोभी का उपयोग सलाद, करी तथा सूखी सब्जी के रूप में किया जाता है। पत्तागोभी को कच्चा ही खाया जाए तो ज्यादा अच्छा होता है. पकाने पर इसके कुछ पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
स्वास्थ्यवर्धक पत्तागोभी
पत्तागोभी का रायता भी बेहद स्वादिष्ट एवं पोषक होता है। पत्तागोभी अति प्राचीन खाद्य पदार्थ है। पत्तागोभी का वानस्पतिक नाम ब्रासीका ओलरेसिया (Brassica oleracea, Group : कैपीटाटा) है। यह क्रूसीफेरी परिवार का प्रमुख सदस्य है। इसको पातगोभी, बन्दगोभी तथा कमरकल्ला आदि नामों से भी जाना जाता है।
इसके नाम से पता चल जाता है कि यह पत्तों से भरा होता है. यानी पत्तागोभी में पत्तों की परत-दर-परत चढ़ी रहती है. इसलिए इसे शतपर्वा भी कहते हैं। यह एक बन्द फूल के समान धरती के ऊपर पैदा होने वाली सब्जी है। पत्तागोभी का पौधा एक बंद कली के समान धीरे-धीरे बढ़ता है. उसमें एक ही फूल लगता है। यह द्विवर्षीय पौधा होता है। पत्तागोभी का मूल स्थान भारत न होकर पश्चिमी यूरोप तथा इंग्लैंड है। कुछ वनस्पति वैज्ञानिकों के अनुसार पत्तागोभी का जन्म स्थान पश्चिमी यूरोप तथा भूमध्य सागरीय प्रदेश है. जहां के तटीय क्षेत्रों में अब भी इसके जंगली जनक उगते हैं।
प्राचीन काल से ही रोमन तथा ग्रीकवासियों द्वारा यह सब्जी उगायी जाती रही है। प्राचीनकाल में यूनानी तथा रोमन पत्तागोभी का उपयोग बाह्य तथा आंतरिक औषधि एवं प्रमुख आहार के रूप में करते थे। आयुर्वेद के अनुसार पत्तागोभी लघु, मधुर, पाक में कटु (चरपरी), पाचक, दीपन, मलमूत्र प्रवर्तक, वातकारक एवं कफ, पित्त प्रकोपजन्य, भ्रमनाशक होती है।
क्यों करें इसका सेवन
जंगली पत्तागोभी किंचित, कड़वी किन्तु अपेक्षाकृत अधिक पुष्टिकारक तथा सारक होती है। पत्तागोभी में शरीर और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मिलते हैं. जैसे-पानी, कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, वसा, रेशा तथा खनिज लवण उचित मात्रा में पाए जाते हैं। पत्तागोभी में खनिज लवण भी मिलते हैं. जैसे- कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, सोडियम तथा पोटेशियम आदि । पत्तागोभी में Vitamin A एवं C प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। पत्तागोभी में विटामिन बी काम्प्लेक्स समूह के विटामिन जैसे- थायमिन, राइबोफ्लेविन, नायसिन आदि उचित मात्रा में पाए जाते हैं। पत्तागोभी में इन विटामिनों के अतिरिक्त एक दुर्लभ Vitamin U भी पाया जाता है. यह एक असरदार अल्सर प्रतिरोधक पदार्थ होता है।
पत्तागोभी प्रबल एंटीस्काब्र्यूटिक आहार है। संतरा तथा विटामिन सी युक्त फल नहीं मिलने पर इसे कच्चा खाने से Vitamin C की पूर्ति हो जाती है। नींबू, अमरुद, आंवला आदि खट्टे फलों में Vitamin C पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. परन्तु हायपरएसिडिटी, अल्सर तथा आन्त्रिक शोथ में खट्टे फलों के प्रयोग से उत्तेजना एवं जलन होती है। ऐसी स्थिति में पत्तागोभी का रस अति उपयोगी होता है। इसमें Vitamin C अधिक होने से घाव शीघ्रता से भरता है तथा जलन भी नहीं होती है। एक सौ ग्राम पत्तागोभी के सेवन से 27 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
भारत में पत्तागोभी
भारत में पत्तागोभी की सौ से भी अधिक किस्में पायी जाती हैं। हमारे देश में प्रायः दो प्रकार की पत्तागोभी मिलती है। उपजायी जाने वाली कृषित बागी गोभी एवं अन्य पहाड़ी स्थलों पर स्वतः उगने वाली जंगली पत्तागोभी। यह मुंबई, खण्डाला, महाबालेश्वर में उगते हैं. दोनों प्रकार की पत्तागोभियों के रंग तथा आकार भी भिन्न-भिन्न होते हैं। पत्तागोभी की एक किस्म में पत्तियां हरी के बजाय लाल रंग की होती हैं। इसे लाल पत्तागोभी कहते हैं।
लाल पत्तागोभी में विटामिन ए, के, ई, सी, विटामिन बी काम्प्लेक्स तथा खनिज लवण, कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। लाल पत्तागोभी में ऐन्थोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है। एल्जाइमर्स रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए लाल पत्तागोभी एक उत्तम आहार होता है। एल्जाइमर्स रोग की प्रारम्भिक अवस्था में लाल पत्तागोभी का सेवन फायदेमंद होता है। लाल पत्तागोभी में सफेद पत्तागोभी की अपेक्षा कई गुना ज्यादा Vitamin C पाया जाता है।
पत्तागोभी में पोषक तत्वों की भरमार
100 ग्राम पत्तागोभी में उपलब्ध पोषक तत्वों का प्रतिशत इस प्रकार है : इसमें खनिज एवं विटामिन नमी 91.9, कार्बोहाइड्रेट 4.6, प्रोटीन 18, वसा 0.1, खनिज लवण 0.6, रेशा 1.0, (27 ऊर्जा किलो कैलोरी) होते हैं. अन्य पोषक तत्वों में कैल्शियम 39 मि.ग्रा.,फास्फोरस 44 मि.ग्रा., आयरन 0.8 मि.ग्रा., केरोटिन 120 माइक्रोग्राम, 0.09 राइबोफ्लेविन मि.ग्रा., नायसिन 0.4 मि.ग्रा. और विटामिन सी 124 मि.ग्रा. पाए जाते हैं.
पत्तागोभी के औषधीय उपयोग Healthy Cabbage Benefits Hindi Article
पीलिया/Jaundice
पत्तागोभी में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसके कारण पत्तागोभी में उपलब्ध लौह तत्व का शरीर में शीघ्रता एवं आसानी से शोषण हो जाता है। यही कारण है जिसकी वजह से पीलिया में पत्तागोभी का सेवन बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है।
कब्ज/Constipation
पत्तागोभी में मौजूद कुछ सूक्ष्म तत्व शरीर में पाए जाने वाले दोषपूर्ण पदार्थों को शरीर से बाहर निकालकर शरीर की चयापचय क्रिया को नियमित करने में अहम् भूमिका निभाते हैं। ताजा पत्तागोभी को बारीक काटकर उसमें नमक, काली मिर्च और नींबू का रस मिलाकर नित्य सुबह खाली पेट खाने से दो से चार सप्ताह में कब्ज से मुक्ति मिल जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सक पाचन क्रिया उद्दीपक और भूख बढ़ाने के टाॅनिक के रूप में मरीज को पत्तागोभी सेवन की सलाह देते हैं।
पेप्टिक अल्सर/Peptic Ulcer
ताजा पत्तागोभी के रस में एक दुर्लभ विटामिन यू पाया जाता है, जो अत्यन्त असरदार अल्सरप्रतिरोधी पदार्थ होता है। अतः पत्तागोभी का रस पीने से पेप्टिक अल्सर यानी पेट के घाव ठीक हो जाते हैं। विटामिन यू का यू अक्षर लैटिन भाषा के शब्द यूलस से लिया गया है जिसका अर्थ ही अल्सर होता है। नियमित रूप से रोजाना सुबह-शाम एक-एक कप ताजा पत्तागोभी का रस पीने से अल्सर के पुराने से पुराने मरीज को केवल चार-पांच सप्ताह के अंदर अल्सर की बीमारी से मुक्ति मिल जाती है। पकाने से पत्तागोभी का विटामिन यू नष्ट हो जाता है; अतः अल्सर के मरीज को कच्ची पत्तागोभी के रस का सेवन करना चाहिए।
मधुमेह/Diabetes
पत्तागोभी की सब्जी और सलाद का सेवन मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत गुणकारी होता है। अतः मधुमेह के रोगियों को अपने आहार में पत्तागोभी को अवश्य शामिल करना चाहिए।
कोलाइटिस
कोलाइटिस (बड़ी आंत का प्रदाह) रोग में बड़ी आंत में सूजन आ जाती है। कुछ भी खाने के तुरन्त बाद पेट में दर्द और जलन शुरु हो जाती है। खट्टी डकारें आने लगती हैं और बार-बार उल्टी भी होती है। ऐसे में एक गिलास छाछ में एक कप ताजा पत्तागोभी का रस और एक चैथाई कप पालक का रस मिलाकर प्रतिदिन दिन में दो बार (सुबह-शाम) पीने से तीन-चार सप्ताह के अंदर कोलाइटिस की बीमारी ठीक हो जाती है।
कैंसर/Cancer
पत्तागोभी का एक विशेष गुण ये है कि इसके उपयोग से शरीर के विजातीय द्रव्य बाहर निकल जाते हैं, इसलिए यदि कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में प्रतिदिन प्रातःकाल पत्तागोभी के रस का आधा कप नियम से पीते रहें तो कैंसर में लाभ होता है।
मोटापा/Obesity
रिसर्च से पता चला है कि पत्तागोभी में टारट्रोनिक अम्ल नामक रसायन पाया जाता है। यह अम्ल कार्बोहाइड्रेट को वसा में परिवर्तित करता है। पत्तागोभी के सेवन से बहुत ही कम कैलोरी मिलती है। 100 ग्राम पत्तागोभी के सेवन से केवल 27 किलो कैलोरी ऊर्जा मिलती है, जबकि गेहूं और चावल की उतनी ही मात्रा से क्रमशः 348 और 351 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। अरहर, मूंग, मसूर, चना और उड़द की 100-100 ग्राम दालों से क्रमशः 334, 334, 346, 316 और 348 किलो कैलोरी ऊर्जा मिलती है। कैलोरी की कम मात्रा होते हुए भी पत्तागोभी में बहुत सारे उच्चस्तरीय पोषक तत्व पाए जाते हैं।
अतः डायटिंग करने वालों के लिए यह एक आदर्श आहार है। ऐसा इसलिए कि इसका सेवन करने पर पेट भरा हुआ रहता है, लेकिन ऊर्जा बहुत कम मिलती है। अतः वजन या मोटापा कम करना हो तो दिन में दो बार पत्तागोभी का सेवन करना चाहिए।
मूत्र की रुकावट
पत्तागोभी में खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो मूत्र प्रणाली पर नियन्त्रण रखने में सहायक होता है। अतः रुक-रुक कर मूत्र आने की शिकायत होने पर पत्तागोभी का आधा कप रस नियमित रूप से कुछ दिनों तक पीने से मूत्र की रुकावट दूर हो जाती है।
शरीर की शुद्धिः प्राकृतिक चिकित्सक एवं वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि पत्तागोभी के रस में गाजर के रस को मिलाकर उपयोग किया जाए तो इससे शरीर को शुद्ध करने की प्रक्रिया बड़ी तेजी से होती है।
सिर दर्द
जिन लोगों को दोपहर के समय सिर दर्द हो जाता है और वे बैचेन तथा चिन्तित रहने लगते हैं साथ ही उनके दिल की धड़कने भी बढ़ जाती हैं तथा शरीर में वायु प्रकोप के कारण दर्द भी रहने लगता है, ऐसे लोगों को पत्तागोभी के रस का प्रयोग करते रहना चाहिए।
घाव भरने में: पत्तागोभी का रस पीने तथा पत्तागोभी की पट्टी बांधने से घाव जल्दी भर जाते हैं।
नजर की कमजोरी
पत्तागोभी में विटामिन ए की प्रचुरता होने से यह नजर की कमजोरी में भी फायदेमंद है।
केश वृद्धि
कुछ दिनों तक नियमित रूप से पत्तागोभी खाने अथवा उसका रस पीने से तथा सिर में पत्तागोभी के रस से मालिश करने पर बाल झड़ने की शिकायत दूर हो जाती है तथा बालों की वृद्धि भी होती है।
अनिद्रा
जिन लोगों को अनिद्रा की शिकायत हो उन्हें रात को सोने से एक घंटा पूर्व एक चैथाई कप ताजा पत्तागोभी का रस पीना चाहिए, इससे नींद खूब आती है। अनिद्रा रोग में तो इसकी सब्जी रामबाण औषधि है।
दांत के रोगों में
50 ग्राम पत्तागोभी के कच्चे पत्तों को चबाकर खाने से पायरिया तथा अन्य दंत रोगों में अत्यधिक लाभ होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
Healthy Cabbage Benefits Hindi Article: कुछ सावधानियां
पत्तागोभी का सेवन करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:
- पत्तागोभी के बाह्य हरे पत्तों में भीतरी सफेद पत्तों की अपेक्षा अधिक मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। अतः पत्तागोभी के ऊपरी हरे पत्तों को फेंकना नहीं चाहिए।
- सदैव ताजा पत्तागोभी का ही सेवन करना चाहिए क्योंकि तीन-चार दिनों तक रखने से इसके अधिकांश विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
- पत्तागोभी की सब्जी बनाने व सलाद काटने से पूर्व या रस निकालने से पहले इसे साफ पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए तथा इसे जिस पानी में पकाया जाता है उसको फेंकना नहीं चाहिए।
- पत्तागोभी को अधिक देर तक उबालने, पकाने तथा भूनने से इसकी पोषण क्षमता अतिशीघ्रता से नष्ट हो जाती है तथा यह पचने में भारी, गरिष्ठ तथा कब्जकारक हो जाती है।
- घेंघा रोग / Goiter से पीड़ित व्यक्ति को पत्तागोभी का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें एक विशिष्ट रसायन थायोसायनेट पाया जाता है जो ग्रीवा में स्थित थाइराॅयड ग्रन्थि से निकलने वाले Hormone Thyroxin के निर्माण एवं स्राव में बाधा उत्पन्न करता है।
- विशेष परिस्थतियों में या उपचार को छोड़कर पत्तागोभी का अथवा इसके रस का सेवन बहुत अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
- कई बार पत्तागोभी का रस पीने से पेट में गैस बनाने लगता है जिससे अनके प्रकार की परेशानियाँ उत्पन्न हो जाती है. यह इस बात का संकेत है कि आंतों में कोई विषमता है।
Shikha says
i don’t like to eat cabbage…but after reading this article i would like to eat it.