Hindi Story Thoda Aur Aage Badho /हिंदी कहानी थोडा और आगे बढ़ो…
बंगाल में माता काली के एक महान भक्त और संत हुए. उनका नाम था – स्वामी रामकृष्ण परमहंस. वे बहुत ही सरल स्वाभाव के थे. बहुत सारे लोग उनके आश्रम में उनका दर्शन करने आते और अपने मन की जिज्ञासा शांत कर घर लौट जाते. यह Hindi Story बहुत ही प्रेरणादायक है.

Hindi Story Thoda Aur Aage Badho
एक दिन एक गरीब लकड़हारा स्वामीजी से मिलने आया. स्वामीजी सबके मन की बात समझ लेते थे. उन्होंने उस लकड़हारा को बड़े प्रेम से अपने पास बिठाया और उससे पूछा – “क्या काम करते हो?”
“स्वामी जी! एक निर्धन लकड़हारा हूँ. दिन भर मेहनत करता हूँ, बड़ी मुश्किल से अपना और अपने परिवार का गुजर- बसर करता हूँ.”
“लकड़ी काटने कहाँ जाते हो?”
“जी महाराज, जंगल जाता हूँ.”
“तो थोडा-सा और आगे बढ़ो.”
उस लकड़हारे के मन में स्वामीजी की बात बैठ गयी. जब वह अगले दिन जंगल गया तो लकड़ी काटने जंगला में थोडा- सा आगे बढ़ गया. उसे उस जगह पर चन्दन के पेड़ मिले. उस दिन वह चन्दन की लकड़ी लेकर वापस घर आया.
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कुछ दिनों उपरांत वह फिर स्वामी जी के दर्शन को उनके आश्रम में गया. स्वामी जी ने उसे देखते ही पूछा- “क्या हाल हैं तुम्हारे?”
“आपकी कृपा है स्वामी जी”
“ अब भी उसी जंगल में लकड़ी काटते हो?”
“ जी, महाराज”
“तो थोड़ा और आगे बढ़ो”
अगले दिन वह लकड़हारा और आगे बढ़ा और उसने आगे देखा कि वहां चाँदी की एक खान है.
कल होकर वह पुनः स्वामीजी के आश्रम पर उनको धन्यवाद करने पहुंचा. स्वामीजी ने उसे देखा और उसको बोलने का कोई मौका दिए बिना उस लकड़हारे से वही बात कही – “थोड़ा और आगे बढ़ो.”
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लकड़हारा स्वामीजी के निर्देशनुसार आगे बढ़ता गया. पहले उसे सोने की खान मिली और फिर हीरे की खान भी मिली. अब उस लकड़हारे को कोई काम करने की जरुरत नहीं थी. उसकी सारी गरीबी दूर हो गयी थी. उसने अपने रहने के लिये अच्छा मकान और नौकर चाकर रख लिये थे. उसका पारिवारिक जीवन बहुत ही सुखमय और आनंद्पूर्वक व्यतीत हो रहा था.
कुछ दिनों के बाद वह पुनः स्वामीजी से मिलने गया. स्वामीजी ने उसे देखते ही बड़े प्रेम से अपने पास बैठाया और उसे समझाने लगे – “यह जब तो तुम्हारे पारिवारिक और गृहस्थ जीवन के लिये था. अब तुम्हारे पास सभी सांसारिक साधन उपलब्ध हैं. अब तुम्हे ईश्वर की साधना और भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए. अब उसी मार्ग पर आगे बढ़ो और आगे बढ़ते ही जाओ.”
धन- वैभव से संपन्न हो चुका लकड़हारा स्वामीजी के उस दिव्य ज्ञान को समझ गया था. वह स्वामीजी का परम भक्त और अनुयायी बन चुका था.
दोस्तो! यह Hindi Story हम सभी के सन्दर्भ में भी सटीक है. हमें भी अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए. एक छात्र को अपनी पढाई में और एक साधक को भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ते रहना चाहिए. हम चाहे कोई भी कार्य करते हो, हमें हमेशा आगे बढ़ने के लिये प्रयत्न शील रहना चाहिए. आगे बढ़ते रहने से ही नयी मंजिले मिलेंगी और हम नयी ऊँचाइयों पर पहुँच सकते हैं. आपका यह कहानी पढने के लिये धन्यवाद!
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