Lord Gautam Buddha Hindi Story अमल जरूरी
एक दिन की बात है. भगवान गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ सत्संग कर रहे थे. तभी एक जिज्ञासु शिष्य ने महात्मा बुद्ध से यह प्रश्न किया.
‘ हे प्रभु! क्या आपके सभी शिष्यों को निर्वाण प्राप्त हो जाएगा?’
बुद्ध ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, ‘कुछ को हो जाएगा, कुछ को नहीं होगा.’
शिष्य ने फिर प्रश्न किया, ‘भगवन! आप जैसे महान ज्ञानी और योग्य मार्गदर्शक के उपदेश सुनकर भी साधकों को निर्वाण क्यों नहीं प्राप्त होता?’
बुद्ध ने शिष्य से प्रतिप्रश्न किया, ‘यदि कोई पथिक तुमसे राजमहल का रास्ता पूछे, तो क्या गारंटी है कि वह नहीं भटकेगा.’
जिज्ञासु ने कहा, ‘यदि उसने रास्ता ठीक ढंग से नहीं समझा, तो वह भटक भी सकता है.’
भगवान बुद्ध ने उसे समझाया, ‘इसी तरह से, मेरे बताए उपदेश को सभी ठीक ढंग से समझकर उस पर अमल कर सकें, यह जरूरी तो नहीं है.
जो उपदेश का सार समझकर अमल करते हैं, उन्हें निर्वाण प्राप्त हो जाता है, जो अमल नहीं करते हैं, वे भटकते रहते हैं.’ जिज्ञासु को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया. उसने भगवान बुद्ध को प्रणाम करते हुए उनसे आशीर्वाद लिया क्योंकि उसकी जिज्ञासा का समाधान हो गया था.
Lord Gautam Buddha Hindi Story सत्य आचरण करो
भगवान बुद्ध गंगा नदी के तट पर स्थित एक उपवन में अपने शिष्यों के साथ रुके हुए थे. दिव्यक नामक एक व्यक्ति भगवान बुद्ध की ख्याति सुनकर उनके पास पहुंचा.
उनके दर्शन से उसे अपार शांति मिली. उसने एकांत में उनके पास पहुँच कर विनम्रता से कहा, ‘प्रभु, मुझे कुछ उपदेश दें, जिससे मेरा, जीवन सफल हो जाय.’
बुद्ध ने पूछा, ‘क्या मेरे उपदेश पर आज से ही अमल करोगे?’ उसने कहा, ‘ऐसा वचन देना तो बहुत मुश्किल है.’ बुद्ध ने कहा, ‘तो अभी वापस लौट जाओ. मन में यह पक्का तय करके ही आना कि उपदेश पर पूरी तरह अमल करोगे. यदि उपदेश सुनने के बाद तुम तमाम दुर्गुणों, हिंसा, असत्य वचन, लोभ आदि का त्याग कर सकोगे, तभी उपदेश देना सार्थक होगा.’
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दिव्यक ने फिर अनुरोध किया, ‘आप आज ही उपदेश देने की कृपा करें. उसमें से कुछ पर फौरन अमल करने का प्रयास करूंगा. मेरे अंदर बहुत सारे दुर्गुण हैं. उन्हें एक साथ कैसे छोड़ा जा सकता है एक–एक करके उन्हें छोड़ने की कोशिश करूंगा’, बुद्ध समझ गए कि दिव्यक वास्तव में अपना जीवन बदलने का संकल्प ले चुका है. इसलिए वह उपदेश आज ही देने का आग्रह कर रहा है. वह मुस्कुराए तथा बोले, ‘ठीक है, आज से सत्य बोलने का संकल्प ले लो, तुम आज ही से सत्य आचरण करना शुरू कर दो.’ एक महीने बाद आकर और उपदेश ले जाना.’
एक सप्ताह बाद ही दिव्यक उनके पास पहुंचा और बोला, ‘भगवान सत्याचरण ने मेरे अन्य दुर्गुण भी दूर कर डाले. आज से मैं आपकी शरण में ही रहूँगा.’ दिव्यक का जीवन बदल चुका था.
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Maniparna Sengupta Majumder says
A nice story… 🙂