कैसे तैयार होता है चने का सत्तू ?
हो सकता है कि आपमें से बहुत से लोगों ने चने का सत्तू नहीं खाया हो. यह चने को भुनकर फिर उसका पिसाई करवाकर उसका आटा बनाया जाता है. चने का सत्तू घर में भी आसानी से बनाया जा सकता है. गाँव के इसे घर में ही तैयार का लेते हैं.
इसे चीनी और नमक दोनों के साथ खाया जाता है. एक और जहाँ कोकाकोला, पैप्सी, लिमका आदि पेयजल का प्रयोग बढ़ता जा रहा है तो दूसरी ओर चने के सत्तू से बना शरबत पीनेवाले भी बढते जा रहे हैं. खासकर पेट की बीमारियों तथा मधुमेह के रोगियों के लिए चने का सत्तू काफी लाभकारी है.
सौ प्रतिशत शुद्ध देशी पेय
जहाँ एक ओर कोकाकोला, पैप्सी, लिमका आदि पेयजल पीने से शरीर में वसा की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण कई बीमारियां हो सकती हैं, तो दूसरी ओर चने के सत्तू के सेवन से खासकर गर्मी के मौसम में पेट की बीमारियों तथा शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलता है. विशेष रूप से डायबीटीज के मरीजों के लिए यह विशेष गुणकारी है. इसे गर्मी के दिनों में सुबह सुबह लिया जा सकता है.
इस चने के सत्तू का सेवन हर आयु के लोग कर सकते हैं, लेकिन जोड़ों के दर्द के रोगी को इसके सेवन नहीं करना बचना चाहिए. चने के सत्तू का कोई प्रचार -प्रसार नहीं होने के बाबजूद यह पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में लोगों की खास पसन्द है.
चने का सत्तू गर्मी के मौसम में तापमान को नियंत्रित करने के साथ साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है. इसके सेवन से खासकर गर्मी के मौसम में पेट की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. इसलिए जिन लोगों ने अबतक इसका सेवन नहीं किया है वे एक बार ज़रूर करके देखें खासकर गरमी के मौसम में.
चने के सत्तू के अन्य उपयोग
आपने लिट्टी चोखा जरुर खाया होगा. चने के सत्तू का प्रयोग लिट्टी बनाने में भी किया जाता है. कुछ लोग रोटी में भी भर देते हैं और चने के सत्तू वाला पराठा बना लेते हैं. यह पराठा बहुत स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होता है.
आज कल सुपर मार्किट और माल में या फिर बिग बाज़ार में चने के सत्तू का पैकेट मिल जाता है. वहां से भी अच्छे क्वालिटी का चने का सत्तू खरीदा जा सकता है.
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