प्रस्तुत पोस्ट Tomato Health Benefits in Hindi यानी टमाटर से होने वाले लाभ पर चर्चा करेंगें। जैसा कि आपको पता होगा कि टमाटर भारत के हर प्रान्त में पाया जाता है और खाया भी जाता है। यह एक बहुत ही उपयोगी सब्जी है। इसे कच्चा भी खाया जाता है, शलाद में भी उपयोग किया जाता है और सब्जी के रूप में भी खाया जाता है।
क्या कहता है आयुर्वेद टमाटर के विषय में?
टमाटर में अनेक प्रकार का औषधीय गुण पाया जाता है। यदि सिर्फ टमाटर का ही सेवन किया जाय तो यह अनेक शारीरिक रोगों का उपचारअपनेआप कर देता है। घरेलू औषधि के रूप में टमाटर का उपयोग अनेक असाध्य एवं सामान्य रोगों में किया जा सकता है। हाल के रिसर्च के अनुसार उच्च पाचन शक्ति में सहायक टमाटर कैंसर को रोकने में भी सहायक हो सकता है। Keele University, England के प्रो. जाॅर्ज ट्रस्काॅट के अनुसार टमाटर को लाल रंग प्रदान करने वाला रसायन लाइकोपीन हमारी कोशिकाओं को तम्बाकू और डीजल के धुएं से उत्पन्न नाइट्रोजन ऑक्साइड के दुष्प्रभावों से बचाता है। यह नाइट्रोजन ऑक्साइड मानव को कैंसरग्रस्त कर सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि टमाटर में मौजूद रसायन लाइकोपीन मानव शरीर में कैंसर रोधी की तरह कार्य करता है।
वानस्पतिक नाम
टमाटर सोलेनेसी कुल का पौधा है, इसका वानस्पतिक नाम लाइकोपर्सिकॉन एस्क्यूलेन्टस है। गुजराती में विलायती बैंगन, संस्कृत में रक्तफल, बंगला और हिन्दी में टमाटर, मलयालम व तमिल में तक्कालि, मराठी में वेलवंगी तथा अंग्रेजी में इसे टोमेटो कहते हैं। नवीनतम अनुसंधानों से पता चला है कि टमाटर में विद्यमान रसायन लाइकोपीन में कैंसर जैसे भयानक रोग से लड़ने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है, इसलिए टमाटर को कैंसर फाइटर (Cancer Fighter) भी कहा जाता है।
आइये अच्छी क्वालिटी के टमाटर की पहचान जानते हैं? टमाटर देखने में जितना सुडौल, गहरे लाल रंग का मोटा और चिकना हो, उतना ही अच्छा माना जाता है। यह खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही साथ यह अत्यन्त गुणकारी भी होता है। इसे देखते ही खाने में रुचि बढ़ जाती है। टमाटर का उपयोग सब्जी के रूप में अधिक किया जाता है। यह प्रत्येक सब्जी-भाजी में किसी-न-किसी रूप में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग दूसरी सब्जियों को स्वादिष्ट बनाने एवं स्वाद में तीक्ष्णता लाने तथा रसा (शोरबा) बनाने के लिए किया जाता है। कच्चे सलाद के रूप में, उबालकर सूप के रूप में और पकाकर सब्जी के रूप में तथा चटनी, सूप, केचप, साॅस आदि बनाकर भी इसका सेवन किया जाता है।
नई दुनिया का फल
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि लगभग 150 वर्ष पूर्व तक टमाटर को एक विषैली सब्जी समझा जाता था, परन्तु आज टमाटर का उपयोग अनेक रूपों में संभवतः सब्जियों में सबसे अधिक किया जाता है। इसलिए टमाटर को नई दुनिया का फल कहा जाता है। प्राचीनकाल में टमाटर को विषैला समझने के कारण चिकित्सक गठिया अथवा गैस वाले रोगियों के लिए इसका प्रयोग मना करते थे। उसके बाद इसके संबंध में जो अनुसंधान किए गए, उससे इन मान्यताओं को गलत माना गया और अब टमाटर को अत्यधिक पोषक और स्वास्थ्य प्रदान करने वाला माना जाता है।
आलू के बाद सब्जियों में टमाटर का प्रमुख स्थान है। टमाटर का पौधा नाजुक व झाड़नुमा होता है। टमाटर अपने फैलाव के भार को न संभाल पाने के कारण जमीन पर फैलने लगता है। पत्तों से लदा पौधा दो-तीन फीट ऊंचा हो जाता है। फूल पीले रंग के होते हैं। आरंभ में जब टमाटर लगते हैं तो कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं। जब वह पकता है तो उसका रंग लाल एवं पीत-हरित लाल हो जाता है। फल के अंदर बीज गूदे के साथ चिपके रहते हैं।
टमाटर पर कठोर कवच नहीं होता बल्कि एक हल्की खोल में गूदा एवं बीज बंद रहते हैं। फलवृंत मजबूत, पक्व अवस्था में फल इससे आसानी से अलग हो जाता है। यह दो प्रकार (देशी और विलायती) का होता है। देशी टमाटर खट्टा तथा स्वादु होता है, इसमें गूदा कम और रस अधिक होता है। विलायती टमाटर खट्टा नहीं होता है, गूदा अधिक तथा खोल मोटा होता है।
कई किस्म के होते हैं टमाटर!
टमाटर की खेती भारत के सभी राज्यों में वर्ष भर की जाती है। यह घरों के आसपास खाली पड़ी जमीन, गमलों तथा किचन गार्डन में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसके के लिए बलुई दोमट मिट्टी वाली भूमि सबसे अच्छी मानी जाती है। टमाटर की कई किस्में होती हैं। पूसा रूबी, पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा-120, मारग्लोब, पंजाब छुआरा, सलेक्शन-120, पंत बहार, हिसार अरुणा (सलेक्शन-7) एम टी एच-6, एच एस-101, सी ओ-3, सलेक्शन-152, पंजाब केसरी, पंत टी-1, अर्का सौरभ, एस-32, डी टी-10 आदि टमाटर की उन्नत किस्में हैं तथा कर्नाटक हाइब्रिड-1, रशमी, सोनाली, पूसा हाइब्रिड-1 व 2, ए आर टी एच-3, एच ओ ई-606, एन ए-601, बी एस एस-20, अविनाश-2, एम टी एच-6 आदि टमाटर की संकर किस्में हैं। इसकी सबसे अधिक पैदावार मध्य भारत एवं दक्षिण भारत में होती है।
आयुर्वेद के अनुसार टमाटर मधुर, तासीर में ठंडा, विपाक में प्रायः मधुर, रुचिकारक, भूख बढ़ाने वाला, रक्तशोधक, रक्त की कमी (एनीमिया) को दूर करने वाला, कब्जनाशक, उदर रोगों को नष्ट करने वाला, कमजोरी को दूर करने वाला, पाचक, मुंह में सुरुचि पैदा करने वाला, कृमिनाशक, खट्टी डकारें, मुंह में छाले, मसूड़ों में दर्द तथा मधुमेह में बड़ा गुणकारी होता है। प्राकृतिक चिकित्सकों ने टमाटर को शरीर में क्षार तत्व बनाए रखने में उपयोगी माना है। टमाटर के क्षार तत्व के कारण ही शरीर में रोगरोधक क्षमता बनी रहती है।
पोषक तत्वों से भरपूर
लाल-लाल टमाटर केवल देखने में सुन्दर और खाने में स्वादिष्ट ही नहीं, अनेक स्वास्थ्यवर्धक तत्वों से भी भरपूर होते हैं। पौष्टिकता की दृष्टि से टमाटर में जीवन को दीर्घायु एवं स्वस्थ बनाए रखने वाले सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं। टमाटर में विटामिन ए, बी और सी के अतिरिक्त खनिज लवण जैसे-कैल्शियम, फाॅस्फोरस, पोटेशियम और लौह तत्व आदि भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। टमाटर में विटामिन इतनी अधिक मात्रा में मिलते हैं, जितने संतरे और अंगूर में भी नहीं मिलते। यही कारण है कि टमाटर मनुष्य को पूर्ण शक्ति प्रदान करने वाला एक चमत्कारिेक आहार है। इसके छिलके तथा छिलके के समीपस्थ गूदे में विटामिन ए बहुत अधिक मिलता है। इसमें साइट्रिक अम्ल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। 100 ग्राम लाल एवं हरे टमाटर के सेवन से क्रमशः 20 एवं 23 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है
टमाटर में अन्य फलों एवं सब्जियों की अपेक्षा कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। चूंकि कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। अतः हड्डियों की मजबूती तथा मजबूत दांतों के लिए टमाटर का सेवन उपयोगी है। टमाटर में लोहा (आयरन) भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें अण्डे से पांच गुना अधिक लोहा होता है। अतः गर्भवती महिला को तो इसका नित्य सेवन करना चाहिए। टमाटर की एक विशेषता ये भी है कि इसको पकाने से इसके पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं। टमाटर में उपस्थित खट्टापन साइट्रिक अम्ल के कारण होता है, यही तत्व नींबू और नारंगियों में भी पाया जाता है। टमाटर मानव शरीर में बहुत ही सरलतापूर्वक पच जाता है। इसलिए शारीरिक कमजोरी से ग्रस्त लोगों को कच्चा टमाटर खाना बहुत लाभदायक होता है।
टमाटर: औषधीय गुणों की खान
आयुर्वेद के अनुसार टमाटर में कई औषधीय गुण विद्यमान होते हैं । टमाटर के मात्र सेवन से ही यह अनेक शारीरिक रोगों का उपचार खुद-ब-खुद कर देता है। घरेलू औषधि के रूप में टमाटर का उपयोग अनेक असाध्य एवं सामान्य रोगों में किया जा सकता है, जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
कैंसर (Cancer)
हाल के शोध के अनुसार उच्च पाचन शक्ति में सहायक टमाटर कैंसर को रोकने में भी सहायक हो सकता है। कीले यूनिवर्सिटी, इंग्लैण्ड के प्रो. जाॅर्ज ट्रस्काॅट के अनुसार टमाटर को लाल रंग प्रदान करने वाला रसायन लाइकोपीन हमारी कोशिकाओं को तम्बाकू और डीजल के धुएं से उत्पन्न नाइट्रोजन ऑक्साइड के दुष्प्रभावों से बचाता है। यह नाइट्रोजन ऑक्साइड मानव को कैंसरग्रस्त कर सकती है। लाइकोपीन कैंसर की रोकथाम में अहम भूमिका निभाता है। अतः सिगरेट के धुएं और वायु प्रदूषण के कारण जिन लोगों को कैंसर होने का खतरा अधिक होता है उन्हें सलाद के रूप में टमाटर का अधिकाधिक सेवन करना चाहिए या इसका रस अवश्य पीना चाहिए।
रतौधी Night Blindness
टमाटर में विटामिन ए इतनी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है कि प्रतिदिन तीन-चार लाल टमाटर खाने से शरीर को जितने विटामिन की आवश्यकता होती है वह आसानी से पूरी हो जाती है, जिससे रतौंधी अथवा अल्प दृष्टि रोग नहीं होता है। अतः नेत्र रोगों के लिए यह विशेष उपयोगी है।
स्कर्वी Scurvy
टमाटर में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन सी की कमी से होने वाले रोगों में स्कर्वी प्रमुख रोग है। स्कर्वी का रोगी कमजोर और चिड़चिड़ा हो जाता है। उसके मसूड़ों से खून आने लगता है तथा शरीर में खून की कमी हो जाती है। टमाटर का नियमित सेवन करते रहने से विटामिन सी की कमी से होने वाले रोग नहीं होते हैं।
सूखा रोग Rickets
बच्चों के सूखा रोग (रिकेट्स) में टमाटर का सेवन लाभदायक होता है। बच्चों के सूखा रोग में ताजे टमाटरों का रस नियमित सुबह-शाम पिलाने से शीघ्र लाभ होने लगता है।
एनीमिया Anemia
खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने में टमाटर बड़ा ही उपयोगी है। टमाटर में iron (लौह) और तांबे की भरपूर मात्रा होती है, जो रक्त को साफ करके उसे गाढ़ा एवं लाल बनाती है। सौ ग्राम टमाटर के रस में काला नमक मिलाकर सुबह-शाम पीने से खून की कमी (एनीमिया) दूर होती है। टमाटर, गाजर एवं चुकंदर का रस प्रतिदिन सेवन करने से रक्त वृद्धि होती है। पके ताजा टमाटरों का नियमित सेवन करने से गर्भवती महिलाओं में रक्त की कमी दूर होती है। शारीरिक शक्ति बढ़ती है और मानसिक तनाव दूर होता है।
रक्तशोधक Blood Purifier
टमाटर अपने क्षार (base) के कारण रक्त को शुद्ध रखता है और मनुष्य के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा होती है। यह खट्टा होता है। टमाटर की खटाई रक्तशोधक होती है। रक्तशोधन के लिए टमाटर को अकेले ही सेवन करना चाहिए, अर्थात् किसी अन्य वस्तु के साथ नहीं लेना चाहिए।
रक्त दोष
टमाटर रक्त दोष को भी दूर करता है तथा चर्म रोग को ठीक करता है। दांतों से रक्त निकलता हो, स्कर्वी रोग की संभावना हो, रक्तविकार हो, दाद व बेरी-बेरी हो, टमाटर का रस दिन में तीन बार पीने से लाभ होता है। रक्तपित्त विकार में टमाटर के रस में शहद तथा उतना ही ताजा पानी मिलाकर नियमित कुछ दिनों तक सेवन करने से रक्तपित्त के विकार दूर होते हैं। टमाटर का रस यकृत को शक्ति प्रदान करता है और उसे अधिक सक्रिय बनाता है।
आंत्र कृमि
ताजा टमाटर के रस में काली मिर्च व सेंधा नमक मिलाकर बच्चों को पिलाने से आंत्रकृमि नष्ट हो जाते हैं। साथ ही पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
पाचन शक्ति Digestion
टमाटर हमारी पाचन शक्ति को भी बढ़ाता है। प्रतिदिन 2 से 3 टमाटर का सेवन करने से कब्ज स्वतः ही दूर हो जाती है। पेट का अफारा शांत होता है। आमाशय साफ रहता है और आमाशय के विष को निकालकर यह हमें निरोग रखता है।
छालों में
टमाटर के रस में ताजा पानी मिलाकर कुल्ला करने से मुंह और जीभ के छाले दूर हो जाते हैं। जिन्हें बार-बार छाले होते हैं, उन लोगों को टमाटर का अधिक सेवन करना चाहिए। छालों में टमाटर रामबाण औषधि का कार्य करता है।
दांतों की मजबूती के लिए
टमाटर खाने से दांत मजबूत होते हैं। मसूड़ों से खून निकलना बंद हो जाता है। दांत चमकने लगते हैं। टमाटर खाने से बच्चों के दांत मजबूत होते हैं।
शक्तिवर्धक
टमाटर शक्तिवर्धक भी है। प्रातःकाल नाश्ते में एक गिलास टमाटर के रस में थोड़ा शहद मिलाकर सेवन किया जाए तो चेहरा लाल टमाटर की तरह लाल हो जाएगा। इस तरह यह कमजोरी भी दूर करने में सहायक है। इसका सूप भूख बढ़ाता है, रक्ताल्पता दूर करता है तथा थकावट व कमजोरी दूर कर चेहरे पर रौनक लाता है।
मधुमेह Diabetes
डायबिटीज या मधुमेह में लोगों के खून में शर्करा स्तर बहुत बढ़ जाता है। इसमें टमाटर का नियमित सेवन बहुत लाभदायक होता है। मधुमेह के रोगी यदि टमाटर का ताजा रस नियमित सेवन करें तो उनके रक्त में शर्करा नियंत्रित रहती है।
बुखार Fever
फीवर या बुखार से पीड़ित लोगों को टमाटर का सूप पीना चाहिए। इससे शरीर में ताकत आती है और शरीर को सभी स्वास्थ्यवर्धक तत्वों की पूर्ति भी होती है। इसे सामान्य बुखार में ही देना चाहिए।
जोड़ों के दर्द
जोड़ों में दर्द रहता है तो पत्तों सहित टमाटर के पूरे पौधे का रस निकालकर बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर उबाल लें। पकते-पकते जब तेल शेष बचे तो किसी ढक्कनदार बर्तन में भरकर रख लें। इस तैयार तेल से जोड़ों, मोच आदि पर मालिश करें। इससे दर्द का निवारण शीघ्र ही हो जाता है।
फेफड़ों के रोग
रात को सोने से पूर्व लहसुन की 3-4 कलियां खाकर तत्पश्चात् टमाटर का रस पिएं। टमाटर के रस में शहद तथा पिसी इलायची और मिला लें तो यह टी.बी. एवं फेफड़े से संबंधी विकारों में बहुत लाभ करता है।
शिशुओं के दांत निकलते समय
छोटे बच्चों में कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए उन्हें पके ताजा टमाटरों का रस पिलाना चाहिए। इसके सेवन करने से बच्चों के दांत बिना किसी परेशानी के निकल आते हैं। साथ ही बच्चे की अस्थियां भी मजबूत होती है।
अरुचि
भोजन में अरुचि (भूख न लगना) पैदा हो गई हो, भूख न लगती हो, पाचन तंत्र या क्रिया गड़बड़ा गई हो तो टमाटर के रस में अदरक व नींबू का रस मिलाएं। इसमें रुचि अनुसार सेंधा नमक डालकर नियमित सुबह-शाम कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे आश्चर्यजनक फायदा होगा। सेंधा नमक उपलब्ध ना हो तो काला नमक उपयोग में ला सकते हैं।
कब्ज Constipation
टमाटर पाचक और शक्तिवर्धक होने के कारण बड़ी आंत को शक्ति देता है। इससे पाचन शक्ति ठीक हो जाती है और कब्ज स्वतः दूर हो जाती है। कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए पके टमाटरों का प्रतिदिन सेवन लाभकारी होता है।
वमन या उल्टी Vomiting
टमाटर के रस में काली मिर्च और पिसी इलायची मिलाकर सेवन करने से वमन या उल्टी आदि विकार नष्ट होते हैं।
बार-बार प्यास लगना
यदि बार-बार प्यास लगती हो, पानी पीने पर भी प्यास न बुझती हो तो ताजा टमाटर के रस में बारीक पिसी काली मिर्च तथा शक्कर मिलाकर सेवन करें।
शारीरिक सौंदर्य
यदि टमाटर के सूप या रस में पिसी काली मिर्च तथा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें तो इससे शारीरिक सौंदर्य बढ़ने के साथ-साथ शरीर में स्फूर्ति का संचार भी होगा।
त्वचा की खुश्की
Dryness in Skin या त्वचा खुश्क हो जाने पर टमाटर का रस सुबह-शाम नियमित सेवन करें। यदि सर्दी अधिक पड़ रही हो तो रस हल्का गरम किया जा सकता है। अगर आप तुरंत लाभ चाहते हैं तो इसके साथ-साथ टमाटर के लगभग 10 ग्राम रस में उसका दुगुना सरसों का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करें और आधा घंटे बाद स्नान करें। इससे एक-दो दिन में ही त्वचा नरम और सुकोमल हो जाएगी। उपर्युक्त नुस्खे के अलावा टमाटर के रस में नींबू का रस तथा ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर मालिश करें तो त्वचा की खुश्की दूर होती है और त्वचा कोमल एवं कांतिमय हो जाती है।
खुजली होने पर
एक चम्मच टमाटर का रस, दो चम्मच नारियल का तेल मिलाकर मालिश करें, फिर गर्म पानी से स्नान करें। खुजली की समस्या दूर हो जाएगी।
तैलीय त्वचा या ऑयली स्किन
ऑयली स्किन या तैलीय त्वचा को ठीक से साफ करने के लिए एक चम्मच टमाटर के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज दस मिनट तक चेहरे और गर्दन पर लगाएं। फिर ठण्डे सादे पानी से चेहरे को अच्छी तरह से घो लें। यह तैलीय त्वचा के लिए बहुत बढ़िया फेसमास्क है। तैलीय त्वचा वालों के लिए टमाटर का रस, नींबू का रस और पपीते के गूदे से बनाया हुआ फेसमास्क बहुत बढ़िया माना जाता है।
कील-मुंहासे
आजकल बहुत से लोग कील-मुंहासे, दाग-धब्बे, कटे के निशान आदि की समस्या से परेशान रहते हैं, जिसमें युवा वर्ग विशेष रूप से आते हैं। इनको मिटाने के लिए टमाटर के गूदे को चेहरे पर मालिश करें तथा नियमित सेवन भी करें। शरीर में कटे के निशान को मिटाने के लिए रात्रि को उस स्थान पर निशान के बराबर टमाटर को काटकर एक सप्ताह तक बांधे। इससे निशान मिटकर त्वचा के स्वाभाविक रंग में बदल जाएगा। चेहरे के काले दागों, आंखों के नीचे काली झांइयां या चकत्ते मिटाने के लिए टमाटर के रस में रुई भिगोकर दाग-धब्बों पर लगाएं या टमाटर के रस में गाजर का रस मिलाकर उंगलियों की पोर से धीरे-धीरे मालिश करें। इससे त्वचा में निखार आता है।
होंठ फटना
टमाटर के सेवन से होंठ फटने की शिकायत दूर हो जाती है। खासकर शीत ऋतु में सर्द हवा से अकसर होंठ फट जाते हैं तथा उन पर पपड़ियां-सी जम जाती हैं, इससे बचाव के लिए लाल टमाटर अधिक मात्रा में खाना चाहिए।
सावधानियां Precautions
टमाटर खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए। इसमें एक तेजाबी अंश होता है जो पेट साफ रखता है। टमाटर खाने के बाद पानी पीने से यह तेजाबी अंश नष्ट हो जाता है। जब तेज खांसी हो रहा हो तो कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए, इससे खांसी बढ़ सकती है। टमाटर के रस को पीने से कुछ लोगों को परेशानी होती है, ऐसे लोग टमाटर के रस में समान मात्रा में सेब का रस मिलाकर, एक दो चम्मच शहद डालकर इसका उपयोग कर सकते हैं। यद्यपि टमाटर गुणकारी होता है फिर भी पथरी, सूजन, संधिवात, आमवात और अम्लपित्त (एसिडिटी) के रोगी को टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।
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