सोइचिरो होंडा की जीवनी/Soichiro Honda – Life Story in Hindi
एक चौदह साल का बालक जापान की की एक सड़क पर टहल रहा था. अचानक उसके पास से एक कार निकली. उस कार को देख वह बालक बहुत खुश हुआ. उस कार के पेट्रोल की गंध उसे भा गयी. उसने निश्चय किया कि वह एक दिन अपनी कार बनाएगा.
जब वह बीस साल का हुआ तो उसने कार को ठीक ठाक करने का काम करने लगा. शीघ्र ही वह पुरानी कार को खरीदने बेचने का काम शुरू कर दिया. दूसरे विश्व युद्ध में जापन को करारी हार मिली. सब कुछ बर्बाद हो गया. लेकिन उस युवक ने इसमें भी अवसर ढूंढ लिया. सेना ने एक बार छोटे- छोटे इंजन बेचने का निर्णय लिया. उस युवक ने 2000 इंजन खरीद लिए. उन इंजनों को ठीक कर साईकिल में लगाकर उसे बेचना शुरू किया. लोगों को यह इंजन वाला साइकिल बहुत पसंद आया. अब तो युवक का काम चल पड़ा.
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उस युवक ने 1948 में मोटरसाइकिल बनाने का अपना एक कारखाना खोल दिया. उच्च क्वालिटी का मोटरसाइकिल बनाने के चलते वह जल्द ही पूरे जापान में प्रसिद्ध हो गया. अब बारी कार की थी जिसका सपना उसने बचपन में देखा था. सन 1980 में उसने कार बनाने की कंपनी खोल दी, गुणवत्ता की दृष्टिकोण से उसकी कारें अमरीकी कारों को टक्कर देने लगी.
इस असाधारण बालक का नाम सोइचिरो होंडा था. उसके पिता लोहार थे. आप सब को पता होगा कि होंडा की कारें और मोटरसाइकिल भारत में भी कितनी प्रसिद्ध हैं. हौंडा बहुत ही मेहनती व्यक्ति थे. वे अपने कारखाने में हर बड़े छोटे कारीगर और इंजीनियर को सम्मान देते थे. उनकी गिनती विश्व के गिने चुने उद्योगपतियों में होती है. सन 1991 में उनका निधन हो गया. लेकिन जब तक होंडा की कारें और दुपहिया वाहन सडकों पर दौड़ते रहेंगे सोइचिरो होंडा हमारी स्मृतियों में बने रहेंगे.
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