हेनरी फोर्ड जीवनी
Henry Ford Hindi Biography/ हेनरी फोर्ड एक ऐसे व्यक्ति का नाम है जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बल पर विश्व में नाम कमाया. वे अमेरिका के फोर्ड मोटर कम्पनी के संस्थापक थे.
उन्हें Assembly Line का जनक कहा जाता है जिसके द्वारा भारी मात्रा में उत्पादन संभव हो सका. उनका ‘ मॉडल टी’ ने तो automobile industry में revolution पैदा कर दिया. इस मॉडल के बाद यातायात और अमेरिकी उद्योग में क्रांति आ गयी.वे एक महान inventor भी थे. उन्हें अमेरिका के १६१ पेटेंट प्राप्त हुए थे. फोर्ड कम्पनी के मालिक के रूप में वे संसार के सबसे धनी और प्रसिद्द व्यक्ति बन बैठे. उन्होंने अपनी अधिकांश संपत्ति Ford Foundation के नाम कर दी थी और एक ऐसी व्यवस्था बना दी कि वह स्थायी रूप से उनके ही परिवार के नियंत्रण में बनी रहे.
Henry Ford Hindi Biography हेनरी फोर्ड की जीवनी
हेनरी फोर्ड का जन्म मिशीगन राज्य के डियरबोर्न नामक नगर में 30 जुलाई 1863 को हुआ था. उनके पिताजी आयरलैंड के रहनेवाले थे, किन्तु माता पिता और अन्य रिश्तेदारों के साथ आकर अमरिका के डियरबोर्न नामक नगर में 1847 में आकर बस गए और खेती करने लगे. हेनरी फोर्ड ने 15 वर्ष की उम्र तक स्कूल में शिक्षा पायी और वे भी खेत पर काम करने लगे.
फोर्ड को आरम्भ से ही सभी तरह के यंत्रों के प्रति कौतुहल और आकर्षण रहा. पिता के मना करने पर भी वे अपने पड़ोसियों और अन्य लोगों के सामान जैसे घड़ी आदि लाकर चोरी चुपके मुफ्त में मरम्मत किया करते थे. 16 वर्ष की उम्र में वे घर छोड़कर डीट्राइट चले गए. यहाँ कई कारखानों में काम करके उन्होंने यांत्रिक विद्या का ज्ञान प्राप्त किया.सन 1886 में ये घर वापस आए,पिता की दी हुई 80 एकड़ भूमि पर बस गए और वहीं मशीन मरम्मत करने का एक कारखाना खोला .
सन 1887 में इनका विवाह हुआ तथा इसी वर्ष इन्होंने गैस इंजन और खेतों पर भारी काम करने वाली मशीन बनाने की एक योजना बनाई,किन्तु यंत्रों की ओर विशेष आकर्षण के कर्ण ये घर पर न टिक सके और फिर डीट्राइट चले आए.
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सन 1890 में डीट्राइट एडिसन इलेक्ट्रिक कंपनी में काम करना आरंभ किया और सन 1893 में पेट्रोल से चलने वाली पहली गाडी बनाई,जिसमें चार अश्वशक्ति तक उत्पन्न होती थी और जिसकी गति 25 मील प्रति घंटा थी सन 1893 में इन्होंने दूसरी गाडी बनाना प्रारंभ किया तथा 1899 में इलेक्ट्रिक कंपनी की नौकरी छोडकर डीट्राइट automobile कंपनी की स्थापना की.फिर इस कंपनी को छोडकर ये दौड़ में भाग लेने वाली गाड़ियाँ बनाने लगे. इन गाड़ियों ने कई दौड़ों में सफलता पाई, जिससे इनका बड़ा नाम हुआ. इस प्रसिद्धि के कर्ण ये सन 1903 में फोर्ड मोटर कंपनी स्थापित करने में सफल हुए.
प्रथम वर्ष में फोर्ड मोटर कंपनी ने दो सिलिंडर तथा आठ अश्वशक्तिवाली 1,708 गाड़ियाँ बनाई. इनकी बिक्री से कंपनी को शत – प्रतिशत लाभ हुआ. दुसरे वर्ष 5,000 गाड़ियाँ बिकीं. फोर्ड इस कंपनी के अध्यक्ष हो गए और अंत में अन्य हिस्सेदारों को हटाकर अपने एकमात्र पुत्र, एडसेल ब्रायंट फोर्ड,के सहित सम्पूर्ण कंपनी के मालिक हो गए. इनका उद्देश्य हल्की, तीव्रगामी,दृढ़ किन्तु सस्ती मोटर गाड़ियों का निर्माण करना था. इसमें सफलता प्राप्त करने के लिए इन्होंने मशीन के अंगों के मानकीकरण,प्रगामी संयोजन, व्यापक बिक्री तथा ऊँची मजदूरी देने के सिधान्तों को अपनाया. इन्होंने खेती के लिए ट्रेक्टर भी बनाए,सन 1924 तक इनकी कंपनी ने 20 लाख गाड़ियाँ,तर्क और ट्रैक्टर बनाए थे और सन 1931 तक इनके सब कारखानों में निर्मित गाड़ियों की संख्या दो करोड़ तक पहुँच गई.
फोर्ड का विचार और दर्शन
फोर्ड में आदर्शवादिता तथा क्त्त्रप्न का विचित्र सम्मिश्रण था. ये पुन्जोत्पदं के पक्षपाती थे, किन्तु इनका यह भी विचार था कि उद्दोग को इस प्रकार विकेन्द्रित करना चाहिए कि खेती के साथ-साथ कारखानों का काम भी चले.ये ऊँची मजदूरी देने के पक्ष में थे, किन्तु मजदूर संघों के घोर विरोधी थे .यहाँ तक कि अपने कारखानों में संघों को पनपने न देने के विचार से ये भेदियों तथा अष्ट्र पुलिस से काम लेते थे. शांति के ये कट्टर पक्षपाती थे, किन्तु नत्जियों की भांति ये यहूदी विरोधी थे. बैंकों और महाजनों से भी इनकी नहीं पटती थी.
प्रथम विश्वयुद्ध के समय इन्होंने कुछ प्रभावशाली लोगों को एकत्रित कर “ऑस्कर द्वितीय” नामक शांति पॉट पर यूरोप की यात्रा इस विश्वास से की कि यह अभियान युद्ध बंद करने में समर्थ होगा. यह सब होते हुए भी देहाती जीवन के प्रति पक्षपात तथा अमरीका की विगत रीतियाँ तथा स्मृतिचिन्हों के प्रति अटूट श्रद्धा रखने के कारण इन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की थी.
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इनकी गणना संसार के सर्वप्रधान धनपतियों में थी इन्होंने डिअरबोर्न में एक औद्योगिक संग्रहालय तथा एडिसन इंस्टीट्यूट आव टेक्नोलॉजी की स्थापना की मृत्यु के पूर्व इन्होंने अपनी संपति का अधिकांश अपने नाम पर स्थापित जनहितैषी संस्था को दे दिया. यह संस्था संसार की लोकोपकारक संस्थाओं में सबसे धनी है.
सन 1947 में इनकी मृत्यु हुई. अपनी मृत्यु से दो वर्ष पूर्व ही इन्होंने अपने पोते, हेनरी फोर्ड द्वितीय,को कंपनी का अध्यक्ष बना दिया था.
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