पर्यावरण बचाओ धरती बचाओ हिंदी निबंध/Save Environment Save Earth Hindi Essay
पर्यावरण दो शब्दों परि और आवरण के मेल से बना है. अर्थात यह हमारे चारों तरफ का वातावरण है. यह हमारे जीवन का एक अति महत्वपूर्ण भाग है. पर्यावरण को इंग्लिश में एनवायरनमेंट कहा जाता है. हमारे आसपास मौजूद पानी, हवा, पेड़-पौधे, जीव –जंतु आदि मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं. इसमें जैविक और अजैविक दोनों घटक शामिल होते हैं.
कहा गया है कि हमारा जीवन बेहतर होगा, यदि हमारे आसपास का पर्यावरण बेहतर होगा. यदि ऐसा नहीं होगा तो कहीं न कहीं यह हमारे जीवन शैली और जीवन दशा को प्रभावित करेगा ही करेगा. अर्थात हमारा जीवन सिर्फ हमारे ऊपर नहीं. बल्कि हम जिस वातावरण में रह रहे हैं. उसपर भी निर्भर करता है. इसलिए बेहतर जिन्दगी जीने के लिए साफ़ और सुन्दर पर्यावरण का होना बहुत जरुरी हो जाता है.
उर्जा की सतत बढ़ती माँग
इक्कीसवी सदी में उर्जा की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है. उर्जा की आपूर्ति हेतु प्राकृत संसाधनों का जमकर दोहन किया जा रहा है. जीवाश्म इंधन जिसमें कोयला, पेट्रोल और डीजल प्रमुख हैं, ने आज हमारे प्रत्येक गतिविधि पर अपना आधिपत्य बना रखा है. इसके बिना विकास की कल्पना बहुत कठिन है. जहाँ एक और मानव निरंतर वैकल्पिक इंधन की प्राप्ति के लिए नए- नए तरीके ढूंढ रहा है, वहीँ दूसरी ओर मानवता इसके प्रयोगों के दौरान निकले हानिकारक तत्वों से त्रस्त होती जा रही है. यदि यह कहा जाय कि आज का मानव पेट्रोल, डीजल या गैस का दास बन चुका है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.
हमारे पास दो तरह के उर्जा विकल्प हैं. नवीकरणीय उर्जा और अनवीकरणीय उर्जा स्रोत. जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोल, डीजल, आदि अनवीकरणीय उर्जा स्रोत हैं यानी यदि ये एक बार समाप्त हो गए तो इनको दुबारा बनने में लाखों वर्ष लग जायेंगे. नवीकरणीय उर्जा स्रोत जो हमें लगातार मिलते रहते हैं, जैसे पवनचक्की से प्राप्त उर्जा (windmill), या पनबिजली आदि. दुनिया भर में सरकारों का प्रयास है कि अधिक से अधिक लोगों तक बिजली पहुंचाई जाय. उद्योग-धंधे, परिवहन, घरेलू कार्य हेतु – हर जगह बिजली की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है. आज हर घर में दैनिक प्रयोग में लाये जानेवाले उपकरण बिजली के बिना चल नहीं सकते. ताप विधुत परियोजना के लिए कोयले की सतत आपूर्ति बहुत आवश्यक है. अतः जीवाश्म ईंधन का प्रयोग करना हमारी जरुरत और मजबूरी दोनों है.
प्रदूषण के दुष्परिणाम
पिछले कुछ दशकों में जब से मोबाइल और संचार क्रांति आयी है, हर घर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. इसके कारण भी उर्जा की मांग काफी बढ़ गयी है. कोयला, पेट्रोल और डीजल के दहन से उनसे उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड गैस और अन्य हानिकारक अवयव ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा करते हैं और यह ग्लोवल वार्मिंग का कारण बनता है. इसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे पर्यावरण पर भी पड़ता है और इसकी गुणवत्ता में निरंतर गिरावट आती जा रही है.
इसके बहुत गंभीर परिणाम सामने आते हैं. साँसों की बीमारी जैसे अस्थमा, तापमान के पैटर्न में बदलाव, वैश्विक तापमान में वृद्धि, जलवायु असंतुलन, ओजोन परत में छेद आदि अनेक कुप्रभाव देखने को मिल रहे हैं. हवा में एस पी एम (Suspended Particulate Matter) के सांद्रण में बढ़ोतरी की वजह से कई तरह की बीमारियाँ का जन्म होता है.
वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिए खतरनाक है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पर्वतों पर जमा बर्फ और ध्रुवों पर स्थित ग्लेशियर पिघल जायेंगे और बहुत से समुद्री प्रजातियाँ लुप्त हो जायेगी. ओजोन परत में छेद होने से अल्ट्रा वायलेट रेज़ सीधे धरती पर आयेगी और लोगों में स्किन कैंसर की समस्या बढ़ जायेगी. इसलिए हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी होगी. हमें अपनी धरती को भावी पीढ़ी के लिए भी सुरक्षित और संरक्षित रखना होगा. आज हमारा यह परम दायित्व बनता है.
बचाव के उपाय:
• जहाँ तक हो सके, इंधन को बचाने का प्रयास करें. इंधन बचाना इंधन पैदा करने के समान है.
• कम दूरी की यात्रा साइकिल से करें.
• कार पूल कर, सार्वजनिक परिवहन जैसे ट्रेन, मेट्रो, ट्राम का प्रयोग कर इंधन की बचत की जा सकती है.
• रेड लाइट यानी लाल बत्ती पर इंजन बंद कर देना चाहिये. इंधन का एक-एक बूंद कीमती है.
• आस –पास स्कूटर या कार की बजाय पैदल जाने की आदत डालें.
• सी एन जी, एलपीजी आदि कम प्रदूषणकारी ईंधनों का प्रयोग और ऐसे ही वैकल्पिक उर्जा की खोज के लिए प्रयास की जानी चाहिए.
• पुरानी मशीनों की जगह नए मशीनों का प्रयोग किया जाना चाहिए.
• लकड़ी, केरोसीन, कोयला का कम से कम प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि वातवरण में हानिकारक गैस कम से कम जा सके.
• घर या ऑफिस में ऊर्जा बचाना और लोगों को जागरूक बनाना.
• पारंपरिक बल्ब की जगह एल ई डी का प्रयोग करना.
• वाहन का नियमित जांच कराकर इंजन को चुस्त-दुरुस्त रखना.
• उर्जा के अन्य विकल्पों जैसे पवन उर्जा, भूतापीय उर्जा, सौर उर्जा, बायोगैस, नाभिकीय उर्जा आदि विकल्पों का प्रयोग करना.
• पेड़ से गिरे हुए पत्ते, सूखी घास, कूड़ा- करकट को जलाने की बजाय कम्पोस्ट बनाना.
• आपस में बातचीत कर, टीवी कार्यक्रम, मैगज़ीन आदि को पढ़कर नए-नए उपायों के बारे में नवीनतम जानकारी रखना, आदि.
इस तरह के किसी भी कार्यक्रम की सफलता इस बात पर निर्भर करता है कि इसके लिए जन भागीदारी का क्या स्तर है. वायु प्रदूषण कई गंभीर परिणाम लेकर आता है, इसलिए हम सबको मिलकर पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त बनाये तभी सबका कल्याण संभव है.
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Hemant says
Last warning… Save earth.
chaman says
no
Maan Singh says
what we do for envoirment
Suryakiran says
We must save our earth.
Shreyansh says
Thanks for essay