पर्यावरण यानि अपने आस- पास का वातावरण. इससे सभी मनुष्य का सीधा और अटूट संबंध है. मनुष्य सगे-संबंधियों और परिवार जनों से संबंध विच्छेद करके जीवित रह सकता है, लेकिन पर्यावरण से संबंध विच्छेद कर क्षणभर भी नहीं जी सकता. पर्यावरण के अंदर मानव के लिए अत्यावश्यक प्राणवायु है, जिसके बिना वह जीवित नहीं रह सकता. अस्वस्थ मनुष्य रूग्नावस्था में भी जी सकता है, लेकिन अस्वस्थ पर्यावरण के बीच स्वस्थ मनुष्य का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है. प्रस्तुत पोस्ट Environmental Pollution Essay in Hindi में हम इस मुद्दा पर विचार करेंगे.
Environmental Pollution Essay in Hindi पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
जैसा कि आपको ज्ञात है पर्यावरण का मतलब है – हमारे चारों ओर का वातावरण, जिसमें वायु, जल और मिट्टी है. हम इन तीनों चीजों से घिरे हुए हैं. ये तीनों चीजें सजीवों के लिए आधार तत्व हैं. जब मिट्टी, जल और वायु हमारे लिए हितकर के बजाय अहितकर हो जाएं, तो उसे ‘पर्यावरण प्रदूषण’ यानी Environmental Pollution कहा जाता है. दूसरे शब्दों में, प्राकृतिक संसाधनों का अनुपयुक्त हो जाना ही ‘प्रदूषण’ कहा जाता है. आये दिन पढ़ते रहते हैं कि हवा का मानक स्तर मनुष्य के लिए निर्धारित स्तर से ऊपर हो गया है और यह मनुष्य के लिए खतरनाक है.
Environmental Pollution यानी पर्यावरण प्रदूषण द्वारा वायु, जल और मिट्टी के अंदर निहित तत्वों का अनुपात असंतुलित हो जाता है. उदहारण के लिए – हवा में मानव के लिए उपयोगी प्राणवायु विद्दमान है. अगर हवा में आवश्यक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाए, तो मानव जीवन को खतरा उत्पन्न हो जाता है. पर्यावरण प्रदूषण के लिए आज के विज्ञान की भौतिकवादी भूमिका मुख्य रूप से जिम्मेदार है. मनुष्य अपने ऐशो-आराम के लिए विज्ञान के माध्यम से प्रकृति का दोहन कर रहा है. कहा गया है प्रकृति हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति तो कर सकती है लेकिन लालच का नहीं.
विज्ञान का सदुपयोग हो
आज मनुष्य को प्रकृति की गोद में बसे गांव की अपेक्षा कृत्रिमता में डूबे शहर अच्छे लग रहे हैं. अब उसे हस्त करधा के वस्त्रों के बजाय बड़े-बड़े सिंथेटिक मिलों के कपड़े भा रहे हैं. खेतों में प्राकृतिक खादों के बदले रासायनिक खादों का प्रयोग हो रहा है. परमाणु हथियारों से युक्त राष्ट्र कमजोर देशों के सर पर चढकर बोल रहे हैं. आये दिन परमाणु बम और हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया जा रहा है. ये सभी उपलब्धियाँ जहाँ एक और हमारी वैज्ञानिक उन्नति के मापदंड माने जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ये पर्यावरण को प्रदूषित कर संपूर्ण मानव जाति के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. यह एक बहुत विचारणीय प्रश्न है.
आकाश में स्थित ओजोन परत का छिद्र युक्त हो जाना इसका ज्वलंत उदाहरण है. इस भयावह स्थिति के लिए विज्ञान के साथ ही साथ मनुष्य भी पूर्णतया जिम्मेदार है. पर्यावरण प्रदूषण मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं.- मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण.
मृदा प्रदूषण
उपज बढ़ाने के लिए खेतों में प्राकृतिक खादों के बदले रासायनिक खादों के प्रयोग एवं फसलों पर कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से मिट्टी की स्वाभाविक उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है. बढ़ती जनसँख्या के भोजन की पूर्ति की चुनौती खेतों के दोहन को बढ़ावा देता है. इससे बचने के लिए प्राकृतिक एवं रासायनिक खादों के प्रयोग में संतुलन स्थापित करना होगा तथा कीटनाशक दवाओं से भी बचना होगा. तभी मृदा प्रदूषण पर नियन्त्रण रखा जा सकता है.
जल प्रदूषण
कहा गया है की जल ही जीवन है. लेकिन आज बड़े-बड़े शहरों की नालियों का पानी एवं कल-कारखानों से निकले कचरे तथा विषैले रासायनिक द्रवों को सीधे नदियों एवं झीलों में प्रवाहित कर देने से इनका जल प्रदूषित हो गया है. गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां भी आज जल प्रदूषण से वंचित नहीं है. ऐसे में प्रदूषित जल के सेवन से जल जनित रोग- टी.बी., मलेरिया, टाइफाइड और हैजा आदि फैलने लगते हैं.
वायु प्रदूषण
वायु के बिना एक क्षण भी जीवित रहना असंभव है. आज यह प्राण तत्व भी दूषित हो चला है. कल-कारखानों की बड़ी-बड़ी चिमनियों, मोटरगाड़ियों, वयुयानों एवं रेल के इंजनों से निकलने वाले धुल-धुएं वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं. बड़े-बड़े महानगर इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, जहाँ का पर्यावरण वाहनों द्वारा विषैला होता जा रहा है. शहरों में Particulate Matter २.५ की मात्रा बढ़ने से सांस और चर्म रोग का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषित वायु में सांस लेने से फेफड़े एवं गले से संबंधित कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं.
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण की समस्या विश्व्यापी है, अतएव इसके समाधान के लिए विश्व स्तरीय प्रयास होने चाहिए. पर्यावरण प्रदूषण के महाविनाश से चिंतातुर विश्व के 175 देशों के प्रतिनिधि ब्राजील में एस ज्वलंत समस्या पर विचार हेतु एकत्रित हुए. इस महासम्मेलन में भारत के परामर्श से ‘पृथ्वी कोष’ की स्थापना पर आम सहमति हुई. अत: इसे समस्या के समाधान की दिशा में एक अच्छी शुरूआत मानी जा सकती है.
पर्यावरण प्रदूषण पर काबू पाने के लिए विकसित और विकासशील राष्ट्रों को आणविक विस्फोटों एवं रासायनिक अस्त्रों के खतरनाक प्रयोगों पर प्रतिबन्ध लगाने होंगे. कल-कारखानों एवं शहरों के गंदे जल का परिशोधन करके नदियों में गिरना होगा. इसके अतिरिक्त हरे वनों की कटाई पर अविलंब कानूनी रोक लगानी होगी, क्योंकि पृथ्वी पर सिर्फ हरियाली बढ़ाकर ही पर्यावरण के दो-तिहाई प्रदूषण पर नियन्त्रण पाया जा सकता है.
पुराणों में कहा गया है- जब तक पृथ्वी हरे-भरे वनों एवं पहाड़ों से युक्त रहेगी, तब तक मानव सन्तान का पालन-पोषण होता रहेगा. सारांशत: प्रकृति की ओर मुड़कर और मनुष्यता की ओर बढकर वर्तमान प्रदूषण पर रोक लगाई जा सकती है. इसके लिए आवश्यक है कि पर्यावरण प्रदूषण के कुप्रभाव से जन-जन को अवगत कराया जाए, साथ ही बचाव के उपाय भी बताए जाएं. यदि आप एक व्यक्ति को पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूक बनाते हैं तो आप ही सही अर्थों में एको वारियर है, धार्मिक हैं और इस धरती के भक्त हैं. आपको यह निबंध Environmental Pollution Essay in Hindi कैसा लगा, अपने विचार हमारे साथ अवश्य शेयर करें.
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