Raksha Bandhan Festival रक्षा बंधन पर्व
रक्षा बंधन हिन्दुओं का एक बहुत ही पावन और महत्वपूर्ण त्यौहार है. आप पायेंगे कि धागे के इस पवित्र त्यौहार में धार्मिक कट्टरता का नितांत अभाव है. Raksha Bandhan Festival का मूल आधार है – व्यक्तिगत प्रेम और विश्वास, सामाजिक सदभाव, भाई और बहन के बीच पवित्र प्रेम और भाई द्वारा बहन की सुरक्षा और सहायता का संकल्प और अनूठा मानवीय प्रेम. यही वजह है कि रक्षा बंधन का यह पुनीत पर्व धर्म और सम्प्रदाय की सीमा को लांघकर समस्त भारतीय समाज में लोकप्रिय हो चुका है. बल्कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि आज यह पर्व राष्ट्रीय सीमा को लांघकर अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप ग्रहण कर चुका है. यह पर्व प्रेम, सौहाद्र और वैयक्तिक मधुर संबंधों को मजबूत बनाता है और उसे उजागर करता है.
यह त्यौहार पौराणिक काल से मनाया जाता रहा है, इसलिए इसकी जड़ें भारतीय संस्कृति से जुडी हुयी हैं. मध्यकालीन भारत में भी भाई बहन के परस्पर प्रेम और विश्वास को दर्शाता यह पर्व अपनी ऐतिहासिकता को प्रमाणित करता है. उदारता और मानवीय प्रेम को प्रगाढ़ बनाता यह पर्व आधुनिक काल में भी पूरे उल्लास और ऊर्जा के साथ मनाया जाता है, इसलिए यह पर्व आधुनिक भी है ही. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह एक मौलिक और समय के सतत विकासशील पर्व रहा है, इसलिए आज के समाज में भी इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है.
विष्णु पुराण की कथा
रक्षा बंधन हमारे देश का एक प्राचीन पर्व है. विष्णु पुराण में भगवान वामन और पाताल लोक के प्रतापी राजा बलि की एक विस्मयकारी कथा है. राजा बलि बहुत ही दानवीर और प्रतापी राजा थे. उनकी ख्याति तीनों लोक में फ़ैली थी. तीनों लोक पर उनका प्रभुत्व कायम था. उनके बारे में कहा जाता था कि कोई भी याचक उनके यहाँ से खाली नहीं लौटता था. इस दानवीरता ने राजा बलि के मन में अहंकार का रूप ले लिया. नारद मुनि ने भगवान विष्णु तक यह बात पहुंचा दी. इसे जानकार भगवान विष्णु थोड़े नाराज हुए. उनकी नाराजगी राजा बलि के लिए परीक्षा बन गयी.
एक दिन भगवान विष्णु वामन का रूप ले राजा बलि के दरबार में पहुँच गए. वामन ब्राहमण को देख राजा बलि मुस्कुराए और बोले – हे विप्रवर! कहिये आपकी किस प्रकार सेवा की जाय. वामन देव ने उनसे तीन डग भूमि की याचना की. राजा बलि हँसते हुए बोले – आपको जहाँ मन हो तीन डग भूमि ले लीजिये. लेकिन यह क्या? वामन देव ने विराट रूप धारण कर लिया. एक डग में पूरे पाताल लोक को नाप लिया और दूसरे दाग में समस्त भूलोक को. उन्होंने राजा बलि से कहा – हे राजन! मैं तीसरा डग कहाँ से लूँ. राजा बलि ने भगवान् विष्णु को पहचान लिया और तीसरे डग के लिए स्वयं को उनके चरणों में समर्पित कर दिया.
भगवान विष्णु राजा बलि के इस विनम्रता, त्याग और दानशीलता को देख बहुत खुश हुए. उन्होंने राजा बलि की बहुत प्रसंशा की और यशस्वी होने का वरदान दिया. इसी घटना की याद में रक्षा बंधन का पर्व पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाने लगा.
दूसरी पौराणिक कथा
Raksha Bandhan Festival से जुडी एक अन्य पौराणिक कथा भी जन मानस में प्रचलित है. जब असुरों के महान और प्रतापी राजा बलि ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली तब उसने इन्द्रलोक पर भी चढ़ाई कर दी. इस युद्ध में देवराज इन्द्र हार गये अपना लोक छोड़कर भागने को तैयार हो गए. उसी समय सावन की पूर्णिमा को इंद्र की पत्नी इन्द्राणी ने पूरी निष्ठां और पवित्रता से व्रत रखकर अजेय रक्षा कवच का निर्माण किया. उस रक्षा कवच को अभिमंत्रित करकर देवराज इन्द्र के दाहिने हाथ में बाँध दिया. इससे भगवान् विष्णु प्रसन्न हुए और इन्द्र स्वर्ग के राजा के रूप में न केवल प्रतिष्ठित हुए बल्कि भय से भी मुक्त हुए. उस दिन में राखी का त्यौहार प्रचलित हुआ. उसी दिन से पुरोहित या ब्राह्मण अपने यजमानों के दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बांधते हैं और उनकी मंगल कामना करते हुए यह मंत्र बोलते हैं:
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल
हुमायूं और कर्मवती की कथा
रक्षा बंधन की ऐतिहासिकता को प्रमाणित करती हुई यह ऐतिहासिक कथा बहुत लोकप्रिय है. यह दो भिन्न धर्मों को जोड़ती एक अनोखी मानवीय संवेदना से जुडी बहुत ही स्नेहमयी और प्रेरणादायी कथा है. उन दिनों दिल्ली पर मुग़ल शहंशाह हुमायूँ का शासन था. उसी समय गुजरात के तत्कालीन राजा बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया. चित्तौड़ की महारानी कर्मवती अपने राज्य और अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हो गयी. उन्हें सुरक्षा का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था. अपनी जान और प्रजा की रक्षा किस प्रकार की जाय, यह चिंता उनको खाए जा रही थी.
अचानक उन्हें एक बहुत ही सुन्दर और पवित्र उपाय सूझा. उन्होंने दिल्ली के मुग़ल सम्राट हुमायूँ को भाई मानकर उनको रक्षा सूत्र यानी राखी भेजी और अपने बहन की सुरक्षा और लाज बचाने की गुहार लगाई. जनश्रुति है कि वह राखी पाकर हुमायूं बहुत प्रभावित हुआ और अपनी विशाल सेना लेकर अपनी मुंहबोली बहन कर्मवती की रक्षा के लिए चित्तौड़ पहुँच गया. एक राखी ने इस प्रकार एक बहन की लाज बचाई और शत्रु से उसकी रक्षा की.
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इस एक ऐतिहासिक घटना ने इस त्यौहार को भाई और बहन के पवित्र रिश्ते वाला त्यौहार बना दिया. तभी से बहन अपने भाइयों की दाहिनी कलाई पर राखी बांधती है, विजय तिलक लगाती है, आरती उतारती है ताकि किसी विपरीत स्थिति में भाई अपने बहन की मदद करे. बदले में भाई अपने बहन की सुरक्षा का वचन देते हैं और उपहार भेंट करते हैं.
आज भाई और बहन के परें संबंध को दर्शानेवाला, भाई कीओर से बहन को सुरक्षा और प्रेम का सन्देश देनेवाला और मानव में वैयक्तिक और सामाजिक सुरक्षा का भाव जगानेवाला राखी का पर्व लोकप्रियता की चरम पर प्रतिस्थापित पर्व है. इस प्रकार यह पर्व एक विशेष सम्प्रदाय और एक धरम से जुड़ा या उतने तक सीमित पर्व नहीं रह गया है. आज यह सार्वग्राह्य और सार्वजनीन पर्व बन चूका है क्योंकि इसके मूल में भाई बहन का प्रेम, आस्था, विश्वास और आत्मिक सुरक्षा के भाव निहित हैं.
Raksha Bandhan Festival of Brother and Sister
रक्षा बंधन का त्यौहार प्रति वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को आती है. एक माह पूर्व से ही बाजार में मनमोहक राखियाँ बिकने शुरू हो जाती हैं. इसके लिए बाजार भी अपने आप को तैयार कर लेता है. राखी के लिए अलग से स्टाल लगाये जाते हैं. सुन्दर पैकिंग में अलग अलग आयु वर्ग के लिए अलग अलग किस्म की राखियाँ बहनों को अनायास अपनी और खींच लेती हैं. इन स्टाल पर राखी खरीदनेवालों की भीड़ लगी रहती है.
यदि किसी बहन का भाई किसी कारण से रक्षा बंधन के दिन उपस्थित नहीं रहेगा तो बहनें डाक से या कोरियर से भाई को कुछ दिन पहले ही राखी भेज देती है. जब जब देश पर संकट आता है तो बहनें सीमा पर अपने फौजी भाइयों को राखी भेज उनका हौसला बढाती हैं.
रक्षा बंधन के दिन भाई नवीन या साफ़ सुथरा वस्त्र पहन बहन से राखी बंधवाता है, बहन भाई को तिलक लगाती है, आरती उतारती है और मुंह मीठा कराती हैं. बदले में भाई बहन को उपहार देते हैं. आज राखी के अवसर पर ऑनलाइन गिफ्ट की बिक्री भी बढ़ जाती है. ऑनलाइन कंपनी flipkart, Amazon, sanpdeal आदि आकर्षक ऑफर लेकर आते हैं. Raksha Bandhan Festival में दूर या परदेश में रहनेवाले भाई ऑनलाइन गिफ्ट अपने बहनों को भेजते हैं.
Raksha Bandhan Festival – Virtual Raksha Bandhan
हालांकि यह सुनने में अजीब लगता है लेकिन है सत्य. आजकल तकनीक का प्रयोग कर भी Raksha Bandhan Festival मनाया जाने लगा है. विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये बहन अपने भाई को राखी बांधती है. सारा काम स्क्रीन पर ही चलता है. भाई अपना हाथ अपने कंप्यूटर स्क्रीन या Skype के सामने लाता है और बहन अपने कंप्यूटर स्क्रीन के सामने राखी लाता है. बहन अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर दीख रहे भाई का आरती उतारती है, मिठाई खिलाती है. Virtual रक्षाबंधन कहीं न कही बहन और भाई के प्रेम को मजबूत जरुर बनाता है. तकनीक ने कम से कम बहन के इन्तजार और मायूसी को खुशी में जरुर बदल दिया है.
दूसरी ओर परंपरा का पालन करते हुए गाँव में पुरोहित और ब्राह्मण अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांधते हैं और बदले में उन्हें दान स्वरुप नकद और अन्न आदि मिलते हैं.
इस प्रकार Raksha Bandhan Festival का एक दिवसीय कार्यक्रम बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समस्त देशवासियों को राखी की शुभकामनाएं देते हैं. राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री निवास में माननीय प्रधानमंत्री बच्चों से अपनी कलाई पर राखी बंधवाते हैं और बच्चों के साथ अपना समय बीताते हैं. सचमुच में भारत एक विशिष्ट देश है और अनोखी हैं यहाँ की परम्पराएँ और पर्व त्यौहार. आप सभी को राखी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
Happy rakshabandhan greetings to you!
आपको भी बहन -भाई के पवित्र प्रेम के पर्व रक्षा बंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
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बहुत ही अच्छी जानकारी। भारत के सभी त्यौहारों में रक्षाबंधन अलग ही पहचान रखता है।
आपने बेहतरीन रक्षा बंधन पर्व की जानकारी दी है इस ब्लॉग मैं
India is known worldwide for its culture and civilization. Various types of festivals are celebrated every year in India. India is also called a festival country. Can you provide images on army solider
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