Planting Trees Near House Vastu Tips/भवन में शुभ वृक्षारोपण वास्तु टिप्स
Planting Trees Near House Vastu Tips / वृक्षारोपण आज समय की जरुरत है. पृथ्वी और इसके पर्यावरण को बचाने के लिये अधिक से अधिक वृक्ष लगाने की बात चारों ओर हो रही है.
क्या आपने इसे कभी वास्तु की दृष्टि से सोचा है? वास्तु –शास्त्र के अनुसार वृक्ष लगाने के लिये कुछ निर्देश दिए गए हैं. मकान या भवन – अहाते आदि में कौन – से वृक्ष लगाए जाएँ और कौन-से नहीं. बहुत से लोग इसको अंधविश्वास कह सकते हैं परन्तु ऐसा नहीं है हमारी प्रत्येक शास्त्रोक्त बात में कोई – न –कोई गहरा तत्व अवश्य छिपा है. यह तो सिद्ध हो ही चुका है कि वृक्ष, पौधे – वनस्पतियाँ आदि भी सजीव हैं निर्जीव नहीं हैं.
महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने अनेक वर्षों पूर्व सिद्ध किया था कि पौधे भी अपने मालिक, मित्र, शत्रु को पहचानते हैं. यंत्रों के द्वारा उन्होंने इसका प्रदर्शन भी किया था. प्रत्येक जीवधारी सुख – दुःख को अनुभव करता है तथा अपने चारों ओर अपने अनुकूल एक वातावरण का निर्माण करता है. वह वातावरण किसी को अनुकूल भी हो सकता है तथा प्रतिकूल भी. घर में पेड़ – पौधों के लगाने पर शुबहा – शुभ का निर्माण यही वातावरण करता है.
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ऋषियों ने यह भली प्रकार समझ लिया था कि कौन – सा वृक्ष कैसा वातावरण निर्माण करता है तथा गृह वासियों पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है, इसीलिए उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि कौन से वृक्ष लगाने चाहिए कौन से नहीं.
प्रायः खतरनाक और भीषण जंगलों में मांसाहारी पौधे पाए जाते हैं परन्तु साधारण जंगलों में नहीं. कीकर, नागफनी आदि कँटीले पौधे रेगिस्तान आदि अशुभ जंगलों में पाए जाते है.
श्मशान, जंगल, निर्जन अथवा गाँव से बाहर मन्दिर आदि पर स्थित पीपल का वृक्ष हवा में जब खड़ – खड़ की आवाज करता है तो कैसा भयावह वातावरण उत्पन्न होता है?
दूध वाले वृक्ष पृथ्वी के अत्यधिक पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं, जिनकी जड़ें दूर तक जाती हैं. ये अशुद्ध वातावरण निर्मित करते हैं.
इन सब बातों से सिद्ध होता है कि ऐसे वृक्ष, गृह – भवन में वृक्षारोपण के लिए अशुभ होते हैं.
वृक्षारोपण हेतु कुछ निर्देश
1. कीकर, नागफनी, केक्ट्स आदि न लगाएँ. जहाँ ये अशुद्ध वातावरण निर्मित करते हैं वहीं इनके काँटे लगने से अंग – भंग होने तक की संभावनाएँ होती हैं. वैसे भी आपने देखा होगा कि जहाँ कोई नहीं रहता, ऐसे स्थान अथवा खंडहर आदि में ये स्वयं उत्पन्न हो जाते हैं इसका तात्पर्य है कि ये पौधे वंश का विनाश चाहते हैं.
2. अमरुद, अनार आदि फलदार वृक्ष भी घर में शुभ नहीं माने जाते जहाँ ये अशुद्ध वातावरण तैयार करते हैं, वहीं लड़ाई – झगड़ा आदि उत्पन्न करने में भी सहायक होते हैं. फलों को लेकर होने वाली तकरार में कभी – कभी मृत्यु तक हो जाती है.
3. आम आदि के कुछ फलदार पौधे अति पवित्र पौधों की श्रेणी में रखे जाते हैं. घर में अपवित्रता संभव होती है, ऐसी स्थिति में इनके पास जाना अशुभ फल प्रदान करता है. वैसे भी इनका उपयोग विवाहादि मांगलिक कार्यों में ही किया जाता है इसलिए ये भी घर नहीं होने चाहिए.
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4. पीपल का वृक्ष संसार का सर्वश्रेष्ठ वृक्ष है यह हर समय प्राण – वायु छोड़ता है तथा कार्बन डाईआक्साइड ग्रहण करता है. हिन्दू शास्त्रों ने इसीलिए इसका संरक्ष्ण भी सर्वाधिक किया है. उनके मतानुसार पीपल में सभी देवी – देवताओं का वास होता है इसलिए ऐसे पूजना तो चाहिए परन्तु काटना नहीं चाहिए ऐसे पवित्र वृक्ष को यदि अपवित्रता से स्पर्श कर दिया जाए तो होने वाली हानि को कोई रोक नहीं सकेगा. दूसरा कारण है कि यह लगभग चार बजे ही शयनावस्था में आ जाता है इसलिए घर में आलस्य का वातावरण पैदा करता है.
तीसरा कारण है कि यह अधिकांश्तया श्मशान या मन्दिरों में पाया जाता है इसलिए घर में यह उदासीनता तथा विरक्ति का भाव उत्पन्न करता है. अन्य कारण में इसकी जड़ें दूर तक फैलती हैं. उखाड़ने पर भी यह नष्ट नहीं होता इसलिए भवन के लिए हानिकारक होता है. थोड़ी हवा चलने पर भी इसकी खड़ – खड़ की ध्वनि से भयावह वातावरण उत्पन्न होता है.
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5. अधिक ऊँचे वृक्ष भी घर में नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि जहाँ ये सूर्य की उर्जा तथा स्वच्छ वायु को अवरूद्ध करते हैं, वहीं आँधी आदि में गिरने पर गंभीर दुर्घटनाकारक भी होते हैं.
6. फूल वाले झाडीदार पौधे भी घर में निषिद्ध माने जाते हैं क्योंकि इनके नीचे विषैले जीव – जन्तु अपना डेरा जमाकर हानि दे सकते हैं.
7. केला भी पवित्र वृक्ष माना जाता है. गुरुवार को केला के पेड़ की पूजा भी की जाती है.
6. छोटे तथा फूलदार पौधे घर में शुभ होते हैं. इन्हें घर में लगाना चाहिए.
7. तुलसी भी सर्वाधिक पवित्र पौधा है. यह एक छोटे –से गमले में स्थिर रहकर एक छोटे –से कोने में रखा रह सकता है. प्रतिदिन ऐसे देव – प्रतिमा की भांति पूजा जाता है. अपवित्र अवस्था में इसके पास से भी नहीं निकलते इसलिए घर में यह आवश्यक रूप से होना चाहिए. यदि आप चाहें तो इसे अपवित्र करके देख लीजिए, शीघ्र ही यह सूख जाएगा. अपवित्र स्थल में यह वृद्धि को भी प्राप्त नहीं होता.
8. गूलर, बबूल आदि जैसे वृक्षों की लकड़ियाँ भी घर में प्रयोग नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ये लकड़ियाँ भी अपना अशुभ प्रभाव छोड़ने में सक्षम होती हैं. जिस प्रकार मरे हुए शेर की खाल के आसन के पास सर्प जैसे विषैले व भेदिया आदि हिंसक पशु नहीं फटकते तथा यदि शेर की खाल को बकरे की खाल वाले मृदंग या ढोलक से स्पर्श करा दी जाए तो उसकी आवाज थोथरी हो जाती है अर्थात् मरने – सूखने के पश्चात् भी उनके स्वभाव का अंत नहीं होता.
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9. लकड़ियों के स्वभाव का अंत नहीं होता इस प्रकार गहराई से मनन – चिन्तन करने के पश्चात् ही घर में पौधों को स्थान देना चाहिए.
10. लंबे पेड़ दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाया जाना चाहिए। यह स्थिरता और प्रगति में सहायक होते हैं.
11. घर के सामने पत्रहीन और सूखा पेड़ अच्छा नहीं माना जाता है। इसे उखाड़ देना चाहिए.
12. घर में मनी प्लांट धन और अच्छी किस्मत लाता है.
13. भाद्रपद या माघ के महीने में पेड़ को नहीं काटना चाहिए.
14. चंदन का पेड़ समृद्धि, खुशी और दीर्घ आयु में सहायक होता है.
15. द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को भगवान कृष्ण का शाप होने से अश्वत्थ वृक्ष भी शापित माना जाता है. वैसे भी अनुभव करके देख लीजिए कि जिन घरों में कोई नहीं रहता, यह वहाँ की दीवारों में स्वत: उत्पन्न हो जाता है अथवा जिस घर की दीवारों में एक बार यह जड़ जमा ले. वह घर शीघ्र ही दुर्गति को प्राप्त हो जाता है. जहाँ तक हो सके इनका ध्यान रखना चाहिए. धन्यवाद!
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