प्रस्तुत कहानी Mothers Dreaming Kid Hindi Story यानी माँ बनने का सपना एक रियल लाइफ स्टोरी है. इसमें कथित दंपत्ति द्वारा बच्ची को गोद लेने की घटना की जितनी भी प्रशंसा की जाय, बहुत कम है. आइये इस स्टोरी को पढ़ते हैं…
माँ बनने का सपना हिंदी कहानी
आज युक्ता ने अपने शादी की 25 वीं सालगिरह के संबंध में फेसबुक पर पोस्ट डाला. शादी के जोड़े में वह अपने पति अजय के साथ बहुत ही प्यारी लग रही थी; शायद यह फोटो उनके शादी के समय की थी, वर वधू द्वारा जयमाल करने के बाद की. उनके पति एक व्यवसायी थे और उनका कारोबार भी ठीक-ठाक ही चल रहा था. दोनों ही दम्पत्ति बहुत ही हँसमुख और सामाजिक व्यवहार के थे. हालाँकि यह सत्य है कि आजकल विशेषकर शहरों में सामाजिकता का निरंतर ह्रास देखने को मिलता है.
फेसबुक पर उनका इस सालगिरह वाला पोस्ट आते ही उनके परिवारजनों, मित्रों और शुभेच्छुओं की शुभकामनाएं आनी शुरू हो गई. बहुधा सोशल मीडिया पर लोग कमेन्ट, लाइक या पसंद करते वक्त व्यक्ति के साथ अपने संबंधों को ज्यादा तवज्जों नहीं देते हैं, शायद कुछ लोग देते भी हों. कुल मिलाकर उनका यह पोस्ट काफी लोगों द्वारा लाइक किया गया.
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हालाँकि उनके पच्चीस वर्षों के लंबे दाम्पत्य जीवन में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी. घर भरा-पूरा था. पति का बिजनेस ठीक-ठाक चल ही रहा था. ससुराल के अन्य लोगों यथा सास, ससुर, ननद, देवर, देवरानी के साथ भी सामान्य रिश्ते थे. लेकिन उनके जीवन में एक अवसाद था कि उनकी कोई सन्तान नहीं थीं.
विवाहित जोड़े को यदि लम्बे समय सन्तान सुख नहीं प्राप्त होता तो समाज और आस-पडोस के लोग कई तरह की बातें करने लगते हैं. कोइ कहता है कि दोष स्त्री में है, कोइ कहता मरद में ही दिक्कत है आदि, आदि. युक्ता के कानों में भी इसी तरह की बातें आने लगी. उसने सारी बातें अपने पति और परिवार वालों को बताई. उनके परिवार वाले बहुत अच्छे लोग थे और उन्होंने उनका भरपूर साथ भी दिया. किसी ने सुझाव दिया कि आजकल नई तकनीक आई वी एफ (IVF) आई है जिससे कई लोगों को सन्तान सुख प्राप्त हुआ है.
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लेकिन सच ही कहा गया है जो होने वाला होता है, वही होता है. लोगों के कहने पर IVF के माध्यम से भी सन्तान प्राप्ति की कोशिशें की गई लेकिन वांछित फल प्राप्त न हो सका.
प्राय: यह देखा गया है कि यदि स्त्री सन्तान सुख नहीं दे पाती है तो आदमी को घर वाले दूसरी शादी की सलाह देते हैं, या फिर ताना मारने लगते हैं. लेकिन युक्ता इस मामले में किस्मत वाली थी कि उसके ससुराल पक्ष के लोगों ने हमेशा उसका साथ दिया. कभी-कभी वह अपने पति से भी कहती कि मैं आपको सन्तान- सुख नहीं दे पाई तो उसके पति उसे बहुत प्यार से समझाते – इसमें तुम्हारा कोइ दोष नहीं. क्या पता इसका दोषी मैं ही होऊं?
खैर चाहे कारण जो भी हो – उनके दाम्पत्य जीवन में कभी किसी ने किसी भी तरह की कडवाहट नहीं देखी.
समय बीतने लगा. एक दिन युक्ता अपने घर का कामकर थोडा सुस्ताने लगी और टीवी चलाकर कोई पुरानी मूवी देखने लगी. विज्ञापन ब्रेक में उसने टीवी स्क्रीन पर एक खबर देखी कि नि:संतान दम्पत्ति यदि बच्चे को गोद लेना चाहे तो दिये गए पते पर संपर्क करें. उसने तुरंत ही एक पेज पर वह पता और फोन नम्बर लिखकर रख दिया.
जब उसके पति शाम को घर आए तो उसने इसकी चर्चा उनसे की. पहले तो उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन युक्ता की इच्छा देख वे मना नहीं कर सके.
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सारी प्रक्रियाएँ पूरी करने के बाद उस दम्पत्ति ने एक छह महीने की प्यारी-सी गुड़िया को गोद ले लिया.
आज वह गुडिया जिसका नाम शामली है, अपने परिवार में सबको प्रिय है. सबसे बड़ी खुशी तो युक्ता-अजय दम्पत्ति का है कि उन्हें अपने जीने की उम्मीद मिल गई है. कहीं-से भी यह नहीं लगता है कि यह बच्ची इनकी अपनी बच्ची नहीं है.
यदि ऐसे विचार हर उस दम्पत्ति के हों जाएँ तो कोई भी बच्चा अनाथ नहीं रहेगा और कोई भी दम्पत्ति जिनके बच्चे नहीं हैं नि:संतान नहीं रहेंगे.
Tipgeeks says
Great story