दोस्तों इस इस पोस्ट में हम तीन आदतों के बारे में जानेंगे. ये तीन आदतें हमारी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत जरूरी है..
Attitude, Success, Self-Esteem
पहला है हमारा अपना एटीट्यूड यानी नजरिया ( Attitude)
इससे रिलेटेड मैं आपको एक उदाहरण देना चाहता हूं. आपने डेविड और गोलिएथ की कहानी ज़रूर सुनी होगी. गोलीएथ एक बहुत ही ताकतवर इंसान था और वह इतना शक्तिशाली था कि गांव के सारे लोग उससे बहुत डरते थे. वह गांव के लोगों को बहुत परेशान करता था. एक दिन डेविड उस गांव में आता है और उस गांव के लोगों से पूछता है कि आप गोलीएथ का जवाब क्यों नहीं देते? इस पर गांव वाले कहते हैं कि गोलीएथ इतना शक्तिशाली है कि हम उसका मुकाबला नहीं कर पाते हैं. इतना बड़ा है कि हम तब उससे बहुत डरते हैं.
डेविड ने कहा कहा, इसमें डरने की क्या बात है. गोलीएथ तो इतना बड़ा है कि उस पर कुछ भी फेको निशाना चुकेगा ही नहीं और डेविड ने गोलीएथ को गुलेल और पत्थरों से ही पराजित कर दिया क्योंकि उसका एक भी बार खाली नहीं जाता था.
दोस्तों एक पॉजिटिव एट्टीट्यूड हमारे व्यक्तित्व को बढ़ाता है. हमारा तनाव कम करता है. समाज में हमारी भागीदारी को बढ़ाता है,लोगों के प्रति लॉयल बनाता है हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है और समस्याओं के के हल करने की योग्यता को भी बढ़ाता है.
वहीं दूसरी तरफ नेगेटिव एटीट्यूड कड़वाहट लाता है, हमारे जीवन को लक्ष्य विहीन बनाता है, हमें बीमार कर देता है और हमारे तनाव को बढ़ाता है.
हम अपने एटीट्यूड को पॉजिटिव कैसे बनाएं?
इसके लिए सबसे पहले हमें अपना फोकस चेंज करना पड़ेगा. हमें हमेशा पॉजिटिव के बारे में सोचना होगा. हम एंड्रयू कार्नेगी का जीवन देख सकते हैं. कहा जाता है जब वह अमेरिका आए थे तो एक छोटी सी नौकरी करते थे और उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उनके अंदर 43 मिलेनायर काम करते थे. जब कार्नेगी साहब को इसके बारे में पूछा गया कि आपने ऐसा कैसे किया? तो उन्होंने कहा कि मैंने लोगों को ढूंढने में उसी तरह से काम किया जैसे लोग खान में सोने की खोज करते हैं.
जब हम खान में सोने की खोज कर रहे होते हैं तो यह देखते हैं कि हमें सोना खोजना है ना कि यह देखते हैं कि हमें इतनी गंदगी निकालनी है. इस प्रकार यदि हमारा फोकस एक चीज पर रहता है और हम हमेशा सकारात्मक रहते हैं तो यह आदत हमें आगे बढ़ने में मदद करती है.
एट्टीट्यूड को पॉजिटिव करने का दूसरा तरीका है कि किसी काम को अभी का अभी निपटा दें यानी काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगा कब. सकारात्मक नज़रिया रखने से हम अपने जीवन में ज़रुर से ज़रूर आगे बढ़ेंगे. किसी भी काम को टालें नहीं.
लगातार सीखते रहें
एट्टीट्यूड को सही करने का तीसरा पॉइंट हम कह सकते हैं कि हमें लगातार सीखते रहना चाहिए. पहले ही चर्चा हो गई कि हमें टालमटोल नहीं करना चाहिए. अब आगे यह कि हमें लगातार सीखते रहना चाहिए.
मैं आपको एक उदाहरण द्वारा समझाना चाहूँगा कि दो लड़के जो दोनों एक ही कंपनी में काम कर रहे हैं. पहला लड़का सोनू है वह उस कंपनी में पिछले 5 साल से काम कर रहा है और आज भी उसकी सैलरी उतनी है जो 5 साल पहले थी. एक दूसरा लड़का आता है जिसका नाम रोहित है उसकी सैलरी 2 साल में ही सोनू से बहुत ज्यादा हो जाती है. इअपने दोस्त के सैलरी जानने के बाद सोनू ने अपने बॉस से कंप्लेन किया. इस तरह रोहित को हमसे ज्यादा सैलरी मिलती है. उसके बॉस ने कहा कि देखो 5 साल पहले तुम जितना पेड़ काटते थे आज भी तुम उतना ही पेड़ काट रहे हो. लेकिन जो दूसरा लड़का है, जिससे तुम प्रतियोगिता कर रहे हो हर साल उसका परफॉर्मेंस अच्छा होता जा रहा है, वह तुमसे ज्यादा पेड़ काटता .
रोहित कैसे काम करता है, इसको देखने के लिए सोनू अपने मित्र के साथ साथ जाता है. वह देखता है कि उसका दोस्त एक पेड़ काटने के बाद दो मिनट बैठ जाता है. फिर वह उठता है और पेड़ काटना शुरू कर देता है. सोनू उससे जाकर पूछता है तो वह बताता है कि हर पेड़ को काटने के बाद वह दो मिनट अपनी कुल्हाडी की धार तेज् करने में लगाता है. यानी सतत सीखने से हमारे ज्ञान और कौशल में सुधार आता है और अपना नजरिया बदलता है.
सफलता SUCCESS
एटीट्यूट के बाद दूसरा मुख्य पॉइंट है जिसको हम सक्सेस या सफलता बोलते हैं. सफलता कैसे मिलती है सफलता मिलती है – अच्छे डिसीजन लेने से, अच्छे निर्णय लेंगे तभी सफलता मिलेगी, अच्छे से अच्छे निर्णय लेने के लिए क्या करना पड़ेगा. इसके लिए आपके पास अनुभव होना चाहिए और अनुभव आती है और असफलता से. यानी जब आप बार-बार असफल होंगे तब जाकर आपके पास अनुभव होगा. असफलता ही सफलता का एकमात्र रास्ता है
एक बार एक जीव विज्ञान के शिक्षक अपने छात्रों को यह पढ़ा रहे थे कि किस तरह से एक कैटरपिलर एक बटरफ्लाई यानी तितली में परिवर्तित होती है. उन्होंने अपने छात्रों को कहा कि अभी आप देखोगे इस प्रकार यह कैटरपिलर इस कुकुन में संघर्ष करेगा और कुछ देर बाद यह बटरफ्लाई बनके बाहर निकलेगा. इतना कह कर अपने कमरे से बाहर चले गए और छात्रों ने कैटरपिलर को उनके अंदर स्ट्रगल करते देखा. उसमें से एक छात्र ने जब यह देखा कि बार-बार कोशिश करने के बावजूद वह कैटरपिलर बाहर नहीं निकल पा रहा है तो उसने उसकी सहायता की और उसे उस कुकुन के बाहर निकाल दिया. लेकिन अचानक ही कुकुन से बाहर निकलते ही वह कैटरपिलर मर गया.
कुछ देर में शिक्षक जब वापस आए तो उन्होंने छात्रों से पूछा कि आखिर क्या हुआ जो यह कैटरपिलर मर गया. तो एक छात्र ने सही सही बताया सर हमसे कैटरपिलर की स्थिति नहीं देखी गई और हमने इसकी मदद की और बाहर निकलते ही यह मर गया. तब शिक्षक ने बताया कि प्रकृति का यह नियम है जब यह कुकुन में संघर्ष करेगा उसी समय उनकी पंखों में ताकत आएगी और वह उड़ने के लिए सक्षम बनेगा. लेकिन आप ने उसकी मदद करके उसे मौत के हवाले कर दिया.
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आपने देखा होगा कुछ लोग अपने परिवार में बच्चे को बात बात में बात-बात में सहयोग करते हैं. उनको स्ट्रगल करने नहीं देते हैं जिसके कारण उनका संपूर्ण विकास नहीं हो पाता है और वह जीवन में भी सफल नहीं हो पाते.
इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने परिवार के बच्चों को उनके हिस्से का स्ट्रगल जरूर करने दें ताकि वे जीवन में आगे बढ़ने में सक्षम हो सकें. हमारे लाइफ में मुसीबतें तो आती हैं लेकिन हमें उनसे निराश नहीं होना चाहिए. वही हमारी ड्राइविंग फोर्स होते हैं और हमें आगे ले जाते हैं. इसके कई उदाहरण हैं हेनरी फोर्ड, बीथहोवेन आदि कई लोग हैं जिनको शुरुआती तौर पर लोगों ने बहुत हतोत्साहित किया, बहुत ही प्रताड़ित किया लेकिन वे सभी अंततः अपने जीवन में सफल हुए.
सेल्फ रेस्पेक्ट यानी आत्मसम्मान
दोस्तों तीसरा सबसे इंपोर्टेंट पॉइंट है अपना सेल्फ रिस्पेक्ट. अपने जीवन में बहुत लोगों को देखा होगा जो देश का इज्जत करते हैं, घर परिवार के लोगों की इज्जत करते हैं, अपने रिश्तेदारों का बहुत इज्जत करते हैं, लेकिन अपने बारे में उनकी कोई एक निश्चित धारणा नहीं होती है.
अपना सेल्फ स्टीम इंप्रूव करने का सबसे पहला सिद्धांत है कि हमें अपना धैर्य बनाए रखना चाहिए.
आपने कुछ लोगों को कहते सुना होगा कि मेहनत करो या ना करो, पॉजिटिव रहो या नेगेटिव रहो, इन चीजों का जीवन में कोई फायदा नहीं होता है. लेकिन यह भी सच है कि पीठ पीछे उनके दिमाग में कुछ ना कुछ जरूर चल रहा होता है.
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- बड़ा सोचें बड़ा बनें
- समय धन है, इसे व्यर्थ में मत गवाओ
- दैनिक लक्ष्य निर्धारण का अभ्यास
- अपनी आलोचना को स्वीकारें
- स्पष्ट चिंतन का अभ्यास
चाइना में एक बांस का पेड़ होता है जिसे आप लगाओ और उसमें पानी डालो, खाद डालो लेकिन 4 सालों तक वह जस का तस बना रहता है. उसमें कोई वृद्धि नहीं होती है लेकिन 4 साल के बाद सिर्फ 6 सप्ताह में वह बांस का पेड़ कोई 90 फीट बड़ा हो जाता है.
आप यह सोचो कि अगर उस बांस को बोने वाला यह सोच कर के हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे, चलो उसमें पानी नहीं डालते हैं, खाद नहीं डालते हैं और उसे छोड़ दें तो वह बीच में ही सूख जाएगा. लेकिन चूँकि वह 5 सालों तक धैर्य बनाए रखता है तो अंत में उसे सफलता मिलती है और लंबे लंबे बांस उसे प्राप्त होते हैं .
Self-esteem को बढ़ाने का दूसरा तरीका है कि आप हमेशा मोटिवेटेड रहे.
आपने बीथहोवेन का नाम सुना होगा आपने वह दुनिया के जाने-माने संगीतज्ञ थे लेकिन बहरे थे, सुन नहीं सकते थे. वे निरंतर अपने काम में लगे रहे और आज दुनिया को उनका सर्वश्रेष्ठ संगीत सुनने को मिला. अपने महान कवि मिल्टन का नाम जरूर सुना होगा. उनकी किताबें आज भी अपने आप में एक महान कृति है लेकिन वह अंधे थे, अमरीका के राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट दिव्यांग थे लेकिन उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में बहुत ही अच्छा काम किया.आपने बंबलबी यानी भ्रमर का नाम जरूर सुना होगा. कहा जाता है कि अगर एयरोडायनेमिकली देखा जाए तो उसका शरीर का वजन बहुत ज्यादा है और उसके पंखे वह बहुत ही छोटे हैं. एरोडायनेमिक्स के हिसाब से वह कभी नहीं उड़ सकता है लेकिन आपने देखा होगा कि वह अपने मनमर्जी से हवा में उड़ता रहता है और उसे एरोडायनेमिक्स की कोई परवाह नहीं होती.
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आपने महान धाविका विल्मा का नाम जरूर सुना होगा. बचपन में डॉक्टर ने उनके बारे में कहा कि वह अपने व्हीलचेयर से अपने पैर जमीन पर कभी नहीं रख सकती. लेकिन 1 दिन उसकी मां ने कहा देखो बेटा अगर तुम्हारे अंदर से जज्बात है अगर तुम मोटिवेटेड हो तो तुम कर सकती हो और यही विल्मा लगातार प्रयास से सफल हुई. उनके कोच टेंपल ने उन्हें समझाया कि तुम अपने आप को मोटिवेटेड रखो तो तुम कुछ भी कर सकते हो और 1960 में 100, 200 और 400 मीटर रेस में विल्मा ने दुनिया के सबसे बड़े धाविका को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक प्राप्त किया. मोटिवेशन का हमारे जीवन में बहुत ही अहम रोल है, इसलिए हमें किसी भी परिस्थिति में स्वयं को मोटिवेटेड रखना चाहिए.
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