उम्मीद है आप सबने प्रकाश का पर्व दीपावली बहुत ही अच्छी तरह से मनाया होगा। दीपावली तो चली गयी लेकिन उसके उपरान्त प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो चुका है। एम्स ( AIIMS) के डॉक्टरों के अनुसार दीपावली के बाद दमा, एलर्जी और ईएनटी यानी कान, नाक गला के मरीजों के संख्या अचानक से बढ़ जाती है। प्रस्तुत पोस्ट Safety Tips Post Diwali in Hindi में हम दिवाली के बाद की पर्यावरण की चर्चा करेंगे और प्रदूषण के कुप्रभाव से बचने के कुछ उपाय भी जानेंगे
पटाखों के प्रदूषण से पर्यावरण का नुकसान
पटाखों की आवाज एवं बारूद के धुएं से ध्वनि व वायु प्रदूषण तो होता ही है साथ ही इसका गहरा प्रभाव मरीजों पशु-पक्षियों पर व पर्यावरण पर पड़ता है। दिवाली खुशियों एवं रौशनी का त्यौहार हैं लेकिन दिवाली के दौरान छोड़े जाने वाले तेज आवाज के पटाखे पर्यावरण पर कहर बरपाने के अलावा जन स्वास्थ्य के लिये खतरे पैदा कर सकते हैं। हालांकि लोग जागरूक हुए हैं और पटाखे चलाना थोडा कम जरुर हुआ है
दिवाली के दौरान पटाखों एवं आतिशबाजी के कारण दिल के दौरे, रक्त चाप, दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस (Pulmonary diseases) और निमोनिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है और इसलिये दमा एवं दिल के मरीजों को खास तौर पर सावधानियां बरतनी चाहिये।
डाक्टर बताते हैं कि पिछले कई सालों से यह देखा जा रहा है कि दिवाली के बाद अस्पताल आने वाले हृदय रोगों, दमा, नाक की एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों की संख्या अमूमन दोगुनी हो जाती हैं। साथ ही जलने, आंख को गंभीर क्षति पहुंचने और कान का पर्दा फटने जैसी घटनायें भी बहुत होती हैं। डाक्टर आम लोगों को पटाखे नहीं छोड़ने अथवा धीमी आवाज वाले पटाखे छोड़ने की सलाह देते हैं।
Safety Tips Post Diwali in Hindi
पटाखों से होने वाली ध्वनि प्रदूषण व वायु प्रदूषण से दिल और दमे के मरीजों को खास तौर पर पटाखों से पूरी तरह दूर रहना चाहिये। दिवाली के दौरान पटाखों के कारण वातावरण में आवाज का स्तर 15 डेसीबल बढ़ जाता है जिसके कारण श्रवण क्षमता प्रभावित होने, कान के पर्दे फटने, दिल के दौरे पड़ने, सिर दर्द, अनिद्रा और उच्च रक्तचाप जैसी समस्यायें उत्पन्न हो सकती हैं। तेज आवाज करने वाले पटाखों को चलाने का सबसे अधिक असर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और दिल तथा सांस क मरीजों पर पड़ता है।
दिवाली के दौरान छोड़े जाने वाले पटाखों के कारण वातावरण में हानिकारक गैसों तथा निलंबित कणों का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण फेफड़े, गले तथा नाक संबंधी गंभीर समस्यायें भी उत्पन्न होती हैं। डॉक्टर्स ने बताया कि दिल तथा दमा के मरीजों के लिये दिवाली का समय न केवल पटाखों के कारण बल्कि अन्य कारणों से भी मुसीबत भरा होता है। दिवाली से पहले अधिकतर घरों में रंग-रोगन कराया जाता है, घरों की सफाई की जाती है। लेकिन पेंट की गंध, घरों की मरम्मत और सफाई से निकलने वाली धूल दमा के रोगियों के साथ-साथ सामान्य लोगों के लिये भी खतरनाक साबित हो सकती है।
दमा के मरीज विशेष सावधानी बरतें
अंदरूनी प्रदूषण के अलावा बाहरी प्रदूषण और दिवाली के पटाखे से निकलने वाले धुएं, रसायन और गंध दमा के रोगियों के लिए घातक साबित होते हैं। इसलिए दिवाली के दिन और उसके बाद के कुछ दिनों में भी दमा के रोगियों को हर समय अपने पास इनहेलर रखना चाहिये और पटाखों से दूर रहना चाहिये। इन दिनों उनके लिये सांस लेने में थोड़ी सी परेशानी या दमे का हल्का आघात भी घातक साबित हो सकता हैं। दिवाली के बाद प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का प्रयोग जरुर करें ।
डाक्टरों के एक अध्ययन के अनुसार बताया कि अध्ययनों से पाया गया है कि दमा का संबंध हृदय रोगों एवं दिल के दौरे से भी है इसलिये दमा बढ़ने पर हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता हैं।
तेज आवाज वाले पटाखे सामान्य पटाखों से अधिक खतरनाक हैं क्योंकि इनसे कान के पर्दे फटने, रक्तचाप बढ़ने और दिल के दौरे पड़ने की घटनायें बढ़ जाती हैं। हृदय रोगों के लिए 60 डेसीबल की आवाज सामान्य होती है। आवाज के 10 डेसीबल अधिक तीव्र होने के कारण आवाज की तीव्रता दो दोगुनी हो जाती है, जिसका बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दिल तथा सांस के मरीजों पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं।
पटाखों से निकलने वाली आवाज अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण फैलाती हैं साथ ही वायु प्रदूषण को बढाती हैं जिससे आम जन सहित पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। हमें तेज व प्रदूषण वालों पटाखों से परहेज करना चाहिए पर्यावरण मित्र के रूप में ईको-फ्रेंडली बनना चाहिए ।
” प्रकृति पेड़-पौधे व जीव-जंतुओं से प्यार ।
बन्धुओ! यही तो है अपने जीवन का आधार ।। “
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पोस्ट क्रेडिट : सूबेदार रावत गर्ग उण्डू (सहायक उपानिरीक्षक -रक्षा सेवाऐं और स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी ) निवास – ‘श्री हरि विष्णु कृपा भवन ‘ ग्राम – श्री गर्गवास राजबेरा, पोस्ट ऑफिस – ऊण्डू तहसील उपखंड – शिव, जिला – बाड़मेर पिन कोड – 344701 राजस्थान ।
Abhishek Rajput says
आपका आर्टिकल काफी पसंद आया इसे पढ़कर काफी अच्छा लगा, आप ऐसे ही आर्टिकल लिखते रहें।