प्रस्तुत पोस्ट Fox Nuts Makhana Benefits in Hindi यानी मखाना से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। कहा जाता है मिथिलांचल में यदि पान और पोखर के अलावे यदि तीसरा कोई महत्वपूर्ण चीज है तो वह है मखाना। आचार्य भाव मिश्र द्वारा रचित भाव प्रकाश निघंटु में इसका उल्लेख मिलता है। मखाना को इंग्लिश में फॉक्स नट कहा जाता है।आइए पढ़ते हैं इस पोस्ट Fox Nuts Makhana Benefits in Hindi को और जानते हैं इसकी विशेषताओं के बारे में ।
वानस्पतिक नाम
मखाना को फाक्सनट या प्रिकली लिली कहा जाता है। इसके पत्ती के डंठल एवं फलों पर छोटे-छोटे कांटे पाए जाते हैं। इसका वानस्पतिक नाम यूरेल फरोक्स है। मखाना में जड़कंद होता है। इसकी बड़ी-बड़ी गोल पत्तियां पानी की सतह पर तैरती रहती है। इसके फल और बीज दोनों को खाया जाता है। एक फल में लगभग 15 से 20 की संख्या में बीज लगते हैं।
इसके बीज का आकार मटर के दाने के बराबर होता है। यह कठोर होता है। अप्रैल के महीने में पौधों में फूल लगते हैं। फूल पौधों पर 3-4 दिन तक लगे रहते हैं और इस बीच पौधों में बीज बनते रहते हैं। एक दो महीनों में बीज फलों में बदलने लगते हैं। ये फल जून-जुलाई में 24 से 48 घंटे तक पानी की सतह पर तैरते हैं और फिर नीचे जा बैठते हैं। इसके फल कांटेदार होते हैं। इसके कांटों को गलने में एक दो महीने का समय लग जाता है। सितंबर-अक्टूबर महीने में पानी की निचली सतह से किसान उन्हें एकत्रित करते हैं। उसके बाद उसके प्रोसेसिंग का काम शुरू किया जाता है।
मखाने के फायदे
1. यदि आप मखाने के फूल को ध्यान से देखें तो यह कमल के फूल की तरह दीखता है। इन्हीं फूलों के अन्दर मखाने के बीज पाए जाते हैं। इन बीजों को निकालकर भूना जाता है और फिर लावा तैयार होता है।
2. अगर मखाने में पाए जानेवाले यौगिकों की बात करें तो इसके बीजों में प्रोटीन 10 प्रतिशत और कार्बोहायड्रेट 75 प्रतिशत पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें लोहा यानी आयरन, फॉस्फोरस और केरोटीन भी पाये जाते हैं। इसमें बहुत कम मात्रा में फैट यानी वसा मिलता है, इसलिए यह हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज के मरीज के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह रक्त में इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित करता है और शर्करा स्तर को कम करता है।
3. मखाने में एंटी एजिंग तत्व पाए जाते हैं । यह बुढ़ापे को आने से रोकता है।
4. इसके भुने हुए बीज गर्भवती स्त्रियों को खिलाने से जच्चा और बच्चा दोनों का स्वास्थ्य अच्छा होता है। यह उनको ताकत प्रदान करता है। प्रसवपूर्व एवं महिलाओं में आई कमजोरी को दूर करने के लिए इसे दूध में पकाकर दिया जाता है। इसके बीजों को लड्डू, खीर या हलवा के साथ दिया जा सकता है।
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5. यदि कोई जोड़ों के दर्द या एक्जीमा वाली खुजली से परेशान हो तो मखाने के पत्ते को पीसकर लगाने से फायदा मिलता है।
6. मखाने के सेवन से मेटाबोलिज्म ठीक होता है और साथ ही पाचन तंत्र मजबूत होता है।
7. आयुर्वेदिक चिकित्सकों के मुताबिक मखाना को ‘आर्गेनिक हर्बल’ भी कहा जाता है। अतिसार, जीर्ण, ल्यूकोरिया, शुक्राणुओं की कमी आदि में इसका उपयोग करने से बहुत फायदा होता है।
8. मखाना एन्टीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। इसके नियमित सेवन से श्वसनतंत्र, मूत्राशय एवं जननतंत्र से संबंधित बीमारियों में बहुत लाभ मिलता है।
9. इसके नियमित सेवन करने से ब्लड-प्रेशर, कमर और घुटने के दर्द में लाभ होता है ।
10. यदि किसी को कब्ज की शिकायत है तो मखाने का उपयोग उसमें लाभकारी होता है। इसमें कई उपयोगी पौष्टिक तत्वों के साथ ही साथ भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। फाइबर या रेशे कब्ज की शिकायत को दूर करने में सहायक साबित होता है।
पूजन कार्य में भी उपयोग
मखाना मख शब्द से बना है। मख का अर्थ यज्ञ होता है। यह यज्ञ में प्रयुक्त होने वाला एक महत्वपूर्ण वस्तु है। हवन, पूजा के लिए प्रसाद आदि में इसका उपयोग किया जाता है। मखाने की खीर, मखाने के आटे का हलवा आदि भी बनाया जाता है। अधिकांशतः ताकत के लिए दवाएं मखाने से बनायी जाती हैं। वैसे मखाना औषधीय गुणों से भरपूर है। कई मर्ज की कारगर दवा के रूप में मखाना का इस्तेमाल हो सकता है।
मखाना खनिज और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके सेवन से कई फायदे मिलते हैं। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्शियम, फास्फोरस के अलावा लौह, अम्ल तथा विटामिन-बी भी पाया जाता है। इसकी खेती को उचित संरक्षण मिले तो किसानों के लिए यह वरदान साबित हो सकता है। सरकार को इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को संरक्षण के साथ ही साथ इसके उचित विकद हेतु उचित कदम उठाना चाहिए।
महिलाओं के रोजगार को बढ़ाता है मखाना
बिहार के मिथिला अंचल में उपजने वाला मखाना एक और लाभ पहुंचा रहा है। वह लाभ है महिलाओं को रोजगार प्रदान कर उनको सशक्त बनाने का। इस क्षेत्र के मछुआरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं मखाना के उत्पादन कार्य में मुख्य रूप से लगी रहती हैं। यह इस क्षेत्र और पुरे बिहार की औरतों के बीच मेहनत और लगन का उदाहरण पेश कर रही हैं। इसका उत्पादन पूरी तरह से मछुआरा समुदाय की महिलाओं के हाथों में है। इस पूरी प्रक्रिया में पुरुष सिर्फ सहयोग करते हैं। उनका काम सिर्फ तालाब से मखाने के तैयार बीजों को तोड़ना होता है। वस्तुतः मखाने की पत्तियों, तनों और जड़ों में हजारों नुकीले कांटे होते हैं। बीज तोड़ते वक्त ये कांटे बहुत तेज चुभते हैं। बीज तोड़ते समय पूरा हाथ जख्मी हो जाता है। इस काम में पुरुषों का सहयोग मिल जाता है और आगे का कार्य महिलाओं द्वारा किया जाता है।
मखाने से नुकसान
हालांकि अभीतक इसके नुकसान का वैसा साक्ष्य सामने तो नहीं आया है, फिर भी कहा गया है कि अति सर्वत्र वर्जयेत। इसका अधिक सेवन नहीं करें। इसके अधिक सेवन से कुछ लोगों में एलर्जी की समस्या आ सकती है। इन्सुलिन ले रहे मधुमेह के रोगी अपने चिकित्सक से सलाह लेकर ही इसकी मात्रा निश्चित करें। सर्वे भवन्तु सुखिनः!
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Dinesh says
ये मेरी माँ के लिए जरूरी है ये मे जरूर बताऊँगा उन्हें
Nice:)