प्रस्तुत पोस्ट Live Worryfree Life Hindi Story यानी अपना जीवन चिंता मुक्त कैसे रखें हिन्दी कहानी मे हम चिंता/तनाव को दूर भगाने का एक आसान सा उपाय जानेंगे। उम्मीद है यह लघु कथा आपको पसंद आएगी।

अपना जीवन चिंता मुक्त कैसे रखें हिन्दी कहानी Live Worryfree Life Hindi Story
सार्वजनिक जीवन में आने के बाद गांधीजी आश्रम में रहते थे। गांधी जी के आश्रम में बच्चे भी रहते थे। उन बच्चों के माता- पिता अपने बच्चों में अच्छे संस्कार के निर्माण हेतु अपने बच्चों को गांधी जी के आश्रम में छोड़ जाते थे। आभा भी एक ऐसी ही बालिका थी। बापू और बा से असीम स्नेह और प्यार पाकर वह भी उसी आश्रम की होकर रह गई। आश्रम के सारे कार्यों को वह पूरे मनोयोग के साथ पूरा करती थी।
एक दिन आभा बहुत उदास थी। गांधीजी ने आभा के चेहरे को देखकर जान लिया और उससे पूछा, “क्या बात है आभा? आज सुबह से ही मैं तुमको उदास देख रहा हूँ। क्या रात को ठीक से नींद नहीं आई थी? गांधी जी ने एक साथ ही आभा से कई प्रश्न पूछ डाले। बापू के इन प्रश्नों को सुन वह बहुत ही उदास स्वर मे बोली, “नहीं बापू! मेरा शरीर तो बिलकुल स्वस्थ है लेकिन मैं मन से बहुत ही दुखी और चिंतित हूँ।”
यह सुनकर गांधी जी बोले, “क्यों क्या हो गया? तुम्हारा मन इतना दुखी क्यों है?
आभा बोली, “बापू! कल रात को बिरला हाउस केअतिथि गृह में मैंने अपनी अटैची रखी थी, वह गायब है। उसमें मेरे कुछ जरूरी सामान रखे थे।”
गांधी जी बोले – “बस इतनी सी बात को लेकर तुम परेशान और दुखी हो। आज मैं तुमको चिंता या परेशानी या तनाव दूर करने का अचूक उपाय बताता हूँ।”
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आभा खुशी भरे लहजे में बोलती है – “हाँ बापू! बताइये न। मैं भी वह उपाय जानना चाहती हूँ।”
गांधी जी बोले – “सच्चा और उत्तम उपाय यह है कि तुम उस व्यक्ति के बारे में सोचो जिसका हमसे भी ज्यादा नुकसान हो गया हो। उसकी चिंता और तनाव के बारे मे सोचो। जैसे ही तुम दूसरे के बारे मे सोचने लगते हो तुमहरी परेशानी गायब होने लगेगी।”
तुम तो देख ही रही हो कि भारत और पाकिस्तान मे बंटबारे के बाद कितने लोग पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए हैं। लाखों लोग अपनी संपत्ति, गहने, जमीन, अपनी पूरी कमाई और न जाने क्या क्या छोड़कर यहाँ आ गए हैं। उनके बारे में सोचने के बाद तुम्हें लगेगा कि उनके सामने तो तुम्हारा कुछ भी नहीं गया। जब तुम इस तरह से सोचोगी तो धीरे -धीरे तुम्हारी चिंता घटने लगेगी। इस तरह से तुम अपनी चिंता से मुक्त हो जाओगी।
गांधी जी की ये बातें सुनकर आभा दंग रह गई। उसने मन ही मन कहा – सच में इनकी तुलना में तो मेरा कुछ भी नहीं गया। मेरा तो एक मामूली अटैची में रखी हुई कुछ सामान थे। इन लोगों ने तो अपना सर्वस्व छोड़ दिया है और खाली हाथ मीलों की यात्रा कर यहाँ आए हैं। इसके बाद आभा निश्चिंत होकर पुनः मन लगाकर काम करने लगी।
दोस्तो! इस छोटी सी कहानी में एक छोटा सा मंत्र यह है कि आप जब दुखी या परेशान हों तो दूसरे के बारे में सोचो कि कई इंसान ऐसे हैं जो आपसे कहीं ज्यादा परेशान हैं। आपकी परेशानी कुछ न कुछ जरूर कम होगी।
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