प्रस्तुत पोस्ट MakhanLal Chaturvedi Quotes in Hindi यानी माखनलाल चतुर्वेदी के अनमोल वचन में हम हिंदी के साहित्यकार, कवि, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी श्री माखनलाल चतुर्वेदी के कुछ उद्धरणों को पढ़ेंगे। श्री माखनलाल चतुर्वेदी का उपनाम ‘ एक भारतीय आत्मा। भी था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे कई बार जेल भी गए। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी के विचारों और सिद्धांतों में उनका पूर्ण विश्वास था।

आप लोगों में से कई लोगों ने ” मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएँ वीर अनेक’ कविता अवश्य पढ़ी या सुनी होगी। इस प्रसिद्ध देशभक्ति कविता की रचना श्री माखनलाल चतुर्वेदी ने 1921 में विलासपुर जेल में लिखी थी। उनके द्वारा संपादित साप्ताहिक कर्मवीर पर पंद्रह बार पाबंदी लगाई गयी। लेकिन यह पत्र देशभक्ति और सामाजिक जागरण का कार्य निरंतर करता रहा। लोग इन्हें दादा के नाम से बुलाते थे। इनका जीवन और लेखन आज भी प्रेरक और सामयिक है। 1954 में साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की गयी। हिंदी साहित्य का प्रथम साहित्य अकादमी पुरस्कार दादा की रचना ‘हिम तरंगिणी’ को दिया गया। भारत सरकार द्वारा 1963 में इनको पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
आइये जानते हैं उनके कुछ प्रमुख विचार :
माखनलाल चतुर्वेदी के अनमोल वचन
1. वास्तव में देशभक्ति का पथ, बलिदान का पथ ही ईश्वर भक्ति का पथ है।
2. पत्रकार के लिए सबसे बड़ी चीज है – कलम। जो न रुकनी चाहिए, न झुकनी चाहिए, न अटकनी चाहिए और न ही भटकनी चाहिए।
3. कर्म ही अपना जीवन प्राण,
कर्म पर हो जाओ बलिदान।
4. मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक’
5. हम अपनी जनता के पूर्ण उपासक होंगे, हमारा दृढ विश्वास होगा कि विशेष मनुष्य या विशेष समूह नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य और समूह मातृ सेवा का अधिकारी है।
6. हमारा पथ वही होगा जिसपर सारा संसार सुगमता से जा सके। उसमें छत्र धारण किए हुए, चंवर से शोभित सिर की भी कीमत वही होगी जो कृशकाय, लकड़ी के भार से दबे हुए एक मजदूर की होगी।
7. हम मुक्ति के उपासक हैं। राजनीति या समाज में, साहित्य में या धर्म में, जहाँ भी स्वतंत्रता का पथ रोका जाएगा, ठोकर मारनेवाले का प्रहार और घातक के शस्त्र का पहला वार आदर से लेकर मुक्त होने के लिए हम सदैव प्रस्तुत रहेंगे। दासता से हमारा मतभेद होगा फिर वह शरीर का हो या मन की, शासकों की हो या शासितों की।
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8. समाचार – पत्र यदि संसार की एक बड़ी ताकत है तो इसके सिर पर जोखिम भी कोई कम नहीं है।
9. जगत में बिना जिम्मेदारी के बड़प्पन के मूल्य ही क्या हैं ? और वह बड़प्पन तो मिट्टी के मोल हो जाता है , जो अपनी जिम्मेदारी को सम्हाल नहीं पाता।
10. कितने संकट के दिन हैं। ये व्यक्ति ऐसे चौराहे पर खड़ा है , जहाँ भूख की बाजार दर बढ़ गई है और पाथी हुई स्वतंत्रता की बाजार दर घट गयी है और सिर पर पेट रखकर चल रहा है। खाद्य पदार्थों की बाजार दर बढ़ी हुई है और चरित्र की बाजार दर गिर गयी है।
11. राजनीति में देश के अभ्युत्थान और संघर्ष के लिए हमें स्वयं अपनी ही संस्थाएं निर्माण करनी पड़ेगी। इस दिशा में हम किसी दल विशेष के समर्थक नहीं , किन्तु एक कभी न झुकने वाली राष्ट्रीयता के समर्थक होंगे फिर चाहे वह दाएं दीख पड़े या बाएं ?
में रिया गुप्ता बेहतर लाइफ वेबसाइट का बहुत धन्यबाद करती हु की , उन्होंने इतनी खास इनफार्मेशन हम तक पहुचाई है में आशा करती हु की आप भविष्य में भी ऐसी महत्यपूर्ण लेख प्रस्तुत करेंगे!