प्रस्तुत पोस्ट Mental Illness Awareness Week Hindi Article यानि मानसिक बीमारी जागरूकता सप्ताह में हम मानसिक बीमारियों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। जैसा कि आपको पता होगा अक्तूबर महीने की 4 – 10 तारीख को मानसिक बीमारी जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
![Mental Illness Awareness Week](https://www.behtarlife.com/wp-content/uploads/2020/10/Mental-Illness-Awareness-Week.png)
मानसिक बीमारी जागरूकता सप्ताह के दौरान, हम 7 प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे। ये सात मानसिक बीमारी चिंता, दोध्रुवी विकार, मनोविकृति, भोजन विकार, डिप्रेशन, पीटीएसडी, नशा / नशीले पदार्थ के उपयोग से उत्पन्न विकार हैं।
भयानक हादसा या दुर्घटना, शारीरिक शोषण या आपसी लड़ाई या किसी से गंभीर मतभेद या ब्रेक अप के बाद प्रायः लोग सदमे में आ जाते हैं। सदमा एक मानसिक बीमारी है। यद्यपि यह भी सही है कि मात्र दस प्रतिशत लोगों में ही सदमा इन सातों में से किसी कोई एक प्रकार का हो जाता है। यदि सदमे के दौरान कुछ उपाय किए जाएँ तो व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। ये उपाय इस प्रकार हैं:
कभी भी घटना के फौरन बाद नींद न लें
हाल में हुये शोध के अनुसार किसी हादसा या घटना के बाद तुरंत नींद नहीं लेना चाहिए, सोना नहीं चाहिए। सोने से उस घटना की यादें दिमाग में बैठ जाती है और लंबे समय तक परेशान करती है। यदि कभी इस तरह की कोई घटना घटे तो उसके बाद कम से कम छह घंटे तक सोये नहीं। परिवार के लोगों के साथ बात करें और यथासंभव शांत रहने की कोशिश करें।
अपने दोस्त या आस-पास के लोगों से भी बात करें
यदि इस तरह की कोई घटना घटे तो घटना के बाद न सिर्फ परिवार के लोगों से इस बारे में बात करें बल्कि अपने दोस्तों और पड़ोसियों से भी इस बारे में चर्चा जरूर करें। एक रिसर्च के मुताबिक सदमे वाली घटना के बाद लोग प्रायः लोगों से बातचीत करना बंद कर देते हैं जो खतरनाक हो सकता है। दूसरी ओर ऐसे लोगों का पता लगाकर उनसे बात करें जो कभी इस तरह की घटना को अनुभव कर चुके हैं। उनके अनुभवों से सीख लेने का प्रयास करें।
पॉज़िटिव और दयालु बने रहें
अपने भविष्य के प्रति पॉज़िटिव और दयालु बने रहने से किसी भी तरह के सदमे से बाहर निकलने में मदद मिलती है। दयालुता सदमे के लक्षण को बहुत हद तक कम कर देता है। हमेशा किसी भी तरह की नकारत्मकता और नेगेटिव लोगों से दूर रहने का प्रयास करें।
दिल खोलकर हँसे
कहा गया है कि हँसना हर मर्ज की दवा है। यही सूत्र सदमे पर भी लागू होती है। यदि एक व्यक्ति खूब हँसता है तो डिप्रेशन या पीटीएसडी के लक्षणों में कमी आती है। इसके लिए टीवी पर हास्य प्रोग्राम जैसे कपिल शर्मा शो आदि देखें। चुट्कुले सुनें और सुनाएँ। खूब हँसे।
खाने में ओमेगा- 3 वाले पदार्थ शामिल करें
बादाम, अखरोट, अलसी या तीसी, मछली, सोयाबीन आदि भोज्य पदार्थ ओमेगा -3 फैटी एसिड के अच्छे स्रोत हैं। खाने में ओमेगा -3 फैटी एसिड लेने से सदमे का असर कम होता है और इंसान को सदमे से जल्द बाहर लेकर आता है।
कभी भी तनाव को अनदेखा न करें
कुछ लोग दिन रात तनाव में रहते हैं लेकिन उसको नजरंदाज करते रहते हैं। यही तनाव सदमे या अन्य विकार में बदल जाता है। इसलिए आपको जैसे ही तनाव महसूस हो, अपने दोस्तों या घर के लोगों से बात करें और अपना बी पी आदि चेक कराएं। यदि फिर भी आपको सामान्य महसूस न हो तो किसी डॉक्टर या प्रॉफेशनल की सलाह लें।
दोस्तो, आपसे अनुरोध है कि आप भी इस मुहिम में शामिल होकर 4 – 10 अक्तूबर को Mental Illness Awareness Week मनाएँ और लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का काम करें। धन्यवाद!
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Expressive Therapy For Depression