आज की भागमभाग भरी जिन्दगी में लोग इतने selfish और self-centered हो गए हैं कि वे दूसरों की भलाई की बात तो दूर उनकी तरफ देखना भी पसंद नहीं करते. प्रस्तुत कहानी परोपकार हिंदी कहानी में हम इसी के बारे में पढ़ेंगे।
रोड पर एक व्यक्ति गिरा पड़ा है, कुछ लोग उसे देखकर निकल लेते हैं लेकिन कुछ परोपकारी व्यक्ति जो सोचते हैं कि आखिर मानव ही मानव के काम आता है, मदद का हाथ बढ़ाने में हिचकिचाते नहीं.
परोपकार ही पुण्य है
महर्षि वेदव्यास ने 18 पुराण लिखे. एक व्यक्ति जो अनपढ़ था. उसने महर्षि से पूछा – महामन, मैं तो अनपढ़ ठहरा. अमिन इन ग्रंथों को पढ़ नहीं सकता. मुझ जैसे लोगों को क्या करना चाहिए. महर्षि ने कहा – परोपकार सबसे बड़ा पुण्य और परपीड़ा यानि दूसरों को कष्ट देना सबसे बड़ा पाप है. आइये परोपकार से सम्बंधित इस कहानी को पढ़ें और आत्मसात करें.
समुद्र के किनारे एक लड़का अपनी माँ के साथ रहता था. उसके पिता नाविक थे. कुछ दिनों पहले उसके पिता जहाज लेकर समुद्री-यात्रा पर गए थे. बहुत दिन बीत गए पर वे लौट कर नहीं आए. लोगों ने समझा कि समुद्री तूफान में जहाज डूबने से उनकी मृत्यु हो गई होगी.
एक दिन समुद्र में तूफान आया, लोग तट पर खड़े थे. वह लड़का भी अपनी माँ के साथ वहीं खड़ा था. उन्होंने देखा कि एक जहाज तूफान में फँस गया है. जहाज थोड़ी देर में डूबने ही वाला था. जहाज पर बैठे लोग व्याकुल थे. यदि तट से कोई नाव जहाज तक चली जाती तो उनके प्राण बच सकते थे.
तट पर नाव थी; लेकिन कोई उसे जहाज तक ले जाने का साहस न कर सका. उस लड़के ने अपनी माँ से कहा – “माँ ! मैं नाव लेकर जाऊंगा.” पहले तो माँ के मन में ममता उमड़ी, फिर उसने सोचा कि एक के त्याग से इतने लोगों के प्राण बचा लेना अच्छा है. उसने अपने पुत्र को जाने की आज्ञा दे दी.
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वह लड़का साहस करके नाव चलाता हुआ जहाज तक पहुंचा. लोग जहाज से उतरकर नाव में आ गए. जहाज डूब गया. नाव किनारे की ओर चल दी. सबने बालक की प्रशंसा की और उसे आशीर्वाद देने लगे संयोग से उसी नाव में उसके पिता भी थे.
उन्होंने अपने पुत्र को पहचाना. लड़के ने भी अपने पिता को पहचान लिया. किनारे पहुंचते ही बालक दौड़ कर अपनी माँ के पास गया और लिपट कर बोला – “ माँ ! पिता जी आ गए. ” माँ की आँखों में हर्ष के आँसू थे. लोगों ने कहा – “परोपकार की भावना ने पुत्र को उसका पिता लौटा दिया.”
परोपकार से मन को शांति और सुख मिलता है. परोपकारी व्यक्ति का नाम संसार में अमर हो जाता है. महाराज शिवि, रन्तिदेव आदि ने प्राणों का मोह छोड़ के परोपकार करके दिखलाया था. इसलिए वे अमर हो गए. इसलिए कभी भी परोपकार करने से मुंह मत मोड़िए। धन्यवाद!
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nidhi says
can you please provide me a title for this story?
Pankaj Kumar says
टाइटल तो दिया हुआ है ही. दूसरों की भलाई, भलाई का फल, आदि कई शीर्षक हो सकते हैं.
Akshat raj says
Don’t point out negative fault
Sarthak says
Paropkar se bada koi dharam nahi
Paropkar ki bhavna se kiye gaye kam se labh
Shristy says
Hiithanks
All in one sameer says
hindi ke beech me english
Pankaj Kumar says
Hinglish
Sarthak Sirohi says
Shristy says
Thanks