प्रस्तुत कहानी Naughty Boy में एक नटखट बालक प्रत्यूष की कहानी दी गई है। प्रत्यूष बहुत शरारती लड़का था. वह तरह-तरह की शरारतें सोचता रहता था. कक्षा में सभी को तंग करता था. वह घर में कभी दादा जी को तंग करता तो कभी दादीजी को. कभी माँ को परेशान करता तो कभी दीदी को.

एक दिन दादा जी ने उसे समझाया –“ प्रत्यूष बेटे ! शरारतें करना अच्छा नहीं होता. शरारतों का परिणाम बुरा होता है. जितना ध्यान तुम शरारतों में लगाते हो यदि इतना ध्यान पढाई में लगाओगे तो कक्षा में प्रथम आ सकते हो?”
प्रत्यूष ने दादा जी की बातों को अनसुना कर दिया. वह खेलने चला गया. रास्ते में एक टहनी पड़ी थी. उसने उसे उठा लिया. उसे घुमाते हुए चल पड़ा. आगे एक गाय बैठी हुई थी. उसने गाय की पीठ पर ज़ोर से टहनी मारी. गाय रंभा कर तेजी से उठकर भागने लगी. प्रत्यूष तालियाँ बजा-बजाकर हँसने लगा. सामने से आ रही रिक्शा गाय से टकराते-टकराते बची.
प्रत्यूष आगे गया. सडक के किनारे एक मैला-सा कुत्ता बैठा हुआ था. उसने पत्थर उठाकर कुत्ते को दे मारा. कुत्ता दर्द से बिलबिलाता हुआ भाग गया. कुत्ते को दर्द से तडप कर भागता देख प्रत्यूष बहुत खुश हुआ. वह पार्क में पहुंचा. वहाँ बहुत-से बच्चे खेल रहे थे. वह उनके साथ खेलने लगा, लेकिन उनहोंने उसे अपने साथ नहीं खिलाया. सब उसकी शरारतों से परेशान थे. वह उदास हो एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया.
अचानक उसकी निगाह पेड़ पर लगे मधुमक्खियों के छत्ते पर पड़ी. यह देख उसके खुराफाती दिमाग में एक शरारत करवट लेने लगी. उसने सोचा –‘मधुमक्खियों को भगाकर वह छत्ते से शहद निकालकर खा लेगा. ’उसने पत्थर उठाया और घुमाकर मधुमक्खियों के छत्ते पर दे मारा.
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पत्थर लगते ही मधुमक्खियों उडकर उस पर टूट पड़ी, वह रोता-चिल्लाता घर की तरफ भागा. मधुमक्खियों का झुण्ड –का झुण्ड उसके पीछे उड़ता आ रहा था. उसे अनेक मधुमक्खियों ने जगह –जगह काट लिया. वह घर में घुसा और बेहोश होकर धराम से गिर पड़ा. उसके शरीर में मधुमक्खियों के डंक जगह-जगह चुभे हुए थे. इन डंको से उसके शरीर में विष भी फैल गया था.
घर में कोहराम मच गया. दादा जी उसे अस्पताल ले गए. डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगाया. करीब एक घंटे के बाद उसे होश आया. मधुमक्खियों के काटने से उसका मुंह बुरी तरह सूज गया था. उसने देखा, उसके बिस्तर के पास दादा जी, दादी जी, माँ और दीदी उदास खड़े हैं.
प्रत्यूष को होश में आया देखकर डॉक्टर उसके पास आए. उन्होंने समझाया –“बेटे! मधुमक्खियों के काटने से मृत्यु तक हो जाती है, दादा जी तुम्हें समय पर अस्पताल ले आए. अब चिंता की कोई बात नहीं है.”
प्रत्यूष के पिताजी भी दफ्तर से आ गए थे. उन्होंने प्रत्यूष को प्यार किया. दादा जी की आँखों में आँसू आए हुए थे. दादा जी भी आँखों में आए आँसू पोंछ रहे थे.
“दादा जी ! अब मैं कभी भी शरारतें नहीं करूंगा. आप ठीक कहते थे. शरारतों का परिणाम अच्छा नहीं होता.” प्रत्यूष ने दादा जी की ओर देखते हुए खा. दादी जी ने प्यार से उसके गाल थपथपाए.
प्रत्यूष कुछ दिनों में स्वस्थ हो गया. अब वह पूरी तरह बदल चुका था. अब वह अपनी पढाई पर भी ध्यान देने लगा और कुछ ही दिनों में उसके बहुत सारे दोस्त बन गए.
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