होमी जहाँगीर भाभा की जीवनी
Homi Jehangir Bhabha Hindi Biography/ विश्व प्रसिद्द परमाणु भौतिक वैज्ञानिक तथा भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रतिपादक डॉ होमी जहाँगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. परमाणु उर्जा के विकास में होमी जहाँगीर भाभा के योगदान ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक मंडलियों में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बना दिया.
वह संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1955 में परमाणु उर्जा यानि Nuclear Energy के peaceful उपयोग पर हुए सम्मलेन के अध्यक्ष रहे. साथ ही साथ उन्होंने 1960 से 1963 के बीच Pure and Applied Physics के अंतर्राष्ट्रीय संघ के अध्यक्ष भी रहे.
Visionary भाभा यह समझ चुके थे कि energy resources limited quantity में उपलब्ध हैं, इसलिए future में देश के Industrial Growth के लिये Nuclear Energy बहुत जरुरी होगी. जे. आर. डी. टाटा द्वारा वित्तीय सहायता दिए जाने के बाद 1945 में भाभा के दिशा निर्देश में Tata Institute of Fundamental Research (TIFR) की स्थापना के साथ ही भारत में परमाणु उर्जा शोध की शरुआत हुई.
भारत सरकार द्वारा डॉ होमी जहाँगीर भाभा को 1948 में स्थापित परमाणु उर्जा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. ट्राम्बे में परमाणु उर्जा प्रतिष्ठान की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा.
Tata Institute of Fundamental Research में सभी वैसे वैज्ञानिक जो परमाणु उर्जा के क्षेत्र में शोध कर रहे थे, को स्थानांतरित कर दिया गया. भाभा साहब की मृत्यु 1966 में एक हवाई दुर्घटना में हो गयी और तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मती इंदिरा गाँधी ने उस संस्थान का नाम बदलकर भाभा परमाणु शोध केंद्र रखवा दिया.
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भाभा यांत्रिक इंजीनियरिंग की शिक्षा केंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की. इसके उपरान्त उन्होंने 1930 ई. में केंब्रिज की कैवेंडिश प्रयोगशालाओं में शोध कार्य शुरू किया और सन 1935 में डाक्टरेट की डिग्री प्राप्त की.
1939 ई. में यूरोप में युद्ध छिड़ने के दौरान भाभा छुट्टी बिताने के लिए भारत आए हुए थे.यूरोप में फैली अशांति को देखते हुए उन्होंने अपने देश में ही रहने का फैसला किया और भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलोर के निदेशक सी.वी. रमन के आग्रह पर सन 1940 में भौतिक विज्ञान के रीडर के तौर पर वह इस संस्थान से जुड़े और अंत में 24 जनवरी 1966 ई. को (माँन्ट ब्लाक स्विटजरलैंड ) महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा इस मानवरूपी संसार को त्याग दिया.
आज यह महान शक्ति हम सभी लोगों के बीच भले ही नहीं है परन्तु हम सभी लोग इनके द्वारा दिये गये योगदानों को कभी भी भुला नहीं पाएंगे.
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