मुझे मत मारो मुझे जीने दो हिंदी कहानी
एक गुरु थे. उनके आश्रम में उनके कई शिष्य भी रहते थे. एक दिन अचानक उस गुरु के अंतस में अपने भावी जीवन की झलक कौंधी. इससे उनको यह बोध हो गया कि अगले जन्म में उसे कौन-सी योनि यानि जीवन मिलेगी.
एकांत देखकर गुरु ने अपने सबसे प्रिय शिष्य को बुलाया और उससे पूछा कि उसने उससे जो ज्ञान प्राप्त किया उससे उऋण होने के लिए वह क्या कर सकता है. शिष्य ने उत्तर दिया कि जो गुरू कहे वह करने को तैयार है.
शिष्य का उत्तर सुनकर गुरू ने कहा, “मुझे अभी-अभी आभास हुआ है कि मेरी मृत्यु में अधिक समय शेष नहीं है और मेरा जो दूसरा जन्म होगा, वह सूअर के रूप में होगा. यहाँ अहाते में मैला खाती सूअरी को तो तुमने देखा ही होगा? वह अगली बार ब्याएगी तो मैं उसके चौथे बच्चे के रूप में जन्म लूँगा. मेरी भौंह के चिन्ह से तुम मुझे पहचान लोगे. सूअरी ब्याए तो भौंह के चिन्ह से तुम चौथे बच्चे (घेंटे) को ढूँढना और चाकू से उसका गला काट देना. इससे मुझे सूअर के घृणित जीवन से मुक्ति मिल जाएगी. क्या मेरे लिए तुम इतना कर सकोगे?”
सुनकर शिष्य को बहुत दुःख हुआ. पर वह अपने गुरु को अपना वचन दे चुका था. इसलिए वह यह करने को तैयार हो गया.
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कुछ दिनों बाद सच में गुरू का निधन हो गया और सूअरी ने यथासमय चार बच्चों को जन्म दिया. एक दिन शिष्य ने चाकू को पैना किया और चौथे बच्चे को ढूंढ लिया. वास्तव में गुरु द्वारा बताये अनुसार उसकी भौंह पर एक निशान था. घेंटे का गला काटने के लिए उसने चाकू नीचे किया ही था कि नन्हा सूअर चीखा, “रूक जाओ! मुझे मत मारो !”
घेंटे को आदमी की तरह बोलते सुनकर शिष्य की आँखें फटी की फटी रह गई. वह आश्चर्य से उबरा भी न था कि घेंटे ने कहा, – “मुझे मत मारो मुझे जीने दो! मैं सूअर का जीवन जीना चाहता हूँ. जब मैंने तुमसे मुझे मारने के लिए कहा था, तब मुझे पता नहीं था कि सूअर का जीवन कैसा होता है. लेकिन अब इस जीवन में भी खूब आनंद है. मुझे मत मारो मुझे जीने दो. मुझे छोड़ दो, मुझपर कृपा करो!”
वाकई जीवन चाहे कोई भी हो, योनि चाहे कोई भी हो, जीवन तो जीवन है. हर कोई चाहे वह मनुष्य हो या पशु-पक्षी अपने जीवन से बहुत प्रेम करता है. सबको उसके हिस्से का जीवन जीने देना चाहिये. इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है.
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Puran Mal Meena says
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति