Tenali Rama Stories in Hindi तेनालीराम की कहानियां
सोलहवीं शताब्दी में विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय का मुसाहिब तेनालीराम (कृष्ण) दक्षिण भारत में उतना ही जाना-पहचाना है जितना उत्तर भारत में अकबर का मुसाहिब बीरबल और बंगाली गोपाल भांड.
तेलुगु, तमिल और कन्नड़ में उसके सैकड़ों किस्से प्रचलित हैं. किंवदंती बन गए इस मुसाहिब पर बच्चों के लिए अनेक किताबें लिखी गईं और कई चित्रकथाएँ रची गईं. उस पर एक टीवी धारावाहिक भी बना है.
तेनालीराम मुसाहिब कैसे बने Tenali Rama Stories in Hindi
दक्षिण भारत के तेनाली गाँव में राम नाम का ब्राह्मण लड़का रहता था. एक बार उस गाँव में एक घुमक्कड़ संन्यासी आया. लडके के चेहरे-मोहरे और बुधिमत्तापूर्ण बातों से वह बहुत प्रभावित हुआ. उसने लडके को एक मन्त्र सिखाया. कहा, ’यदि रात को काली के मन्दिर में तुम इसका तीस लाख बार जाप करोगे तो अपने सहस्त्र चेहरों के साथ देवी प्रकट होगी. यदि तुम उससे डरे नहीं तो वह तुम्हारी हर इच्छा पूरी करेगी.”
एक मांगलिक रात को राम गाँव के बाहर बनी काली के मन्दिर में गया और मन्त्र का जाप करने लगा. तीस लाख जाप पूरे होते ही सहस्त्र चेहरों और दो हाथों वाली काली प्रकट हुई. देवी का विकराल रूप देखकर डरने की बजाय वह जोर-जोर से हंसने लगा. प्रचंड काली के सामने आज तक किसी ने हँसने का साहस नहीं किया था. काली ने चिढकर पूछा, “ए दुष्ट छोकरे, तू मुझ पर हँस क्यों रहा है?”
छोकरे ने जबाब दिया, “हे माँ, आदमी को जब जुकाम हो जाता है तो वह नाक पोंछ-पोंछकर परेशान हो जाता है, जबकि उसके दो हाथ हैं और सिर्फ एक नाक. अगर तुम्हें जुकाम हो जाए तो तुम दो हाथों से हजार नाक कैसे पोंछती होंगी?”
काली को बहुत क्रोध आया, “तू मुझ पर हंसता है ! तू हँसकर ही अपना पेट भरेगा. इस जन्म में हंसना ही तेरा धंधा होगा. तू विकट कवि (मसखरा) बनेगा.”
“ओह, वि-क-ट-क-वि! क्या खूब! यह विलोमपद है. दाएं से पढो तब भी इसे वि-क-ट-क-वि ही पढ़ा जाएगा.”
राम की बुधिमानी से देवी बहुत प्रसन्न हुई. उसने शाप में भी परिहास ढूंढ निकला था. उसका क्रोध ठंढा हो गया. बोली, “तू मसखरा तो बनेगा, पर राजा के दरबार में” यह कहकर वह अंतर्ध्यान हो गई.
कुछ दिनों बाद तेनालीराम विजयनगर के राजा का मुसाहिब हो गया.
तेनालीराम का रामायण Tenali Rama Stories in Hindi
एक बार एक वेश्या ने तेनालीराम को रामायण सुनाने के लिए बुलाया. तेनालीराम ने कथा शुरू करते हुए कहा, ”राम और सीता वन में गए.” इतना कहकर वह चुप हो गया. प्रतीक्षा करते-करते वेश्या का धीरज चुक गया. पूछा, “फिर क्या हुआ ?” तेनालीराम ने कहा, “थोडा धैर्य रखो. वे अभी वन में चल रहे हैं.”
कुछ समय पश्चात् दूसरी घमंडी वेश्या से ऐसी ही विनती सुनकर वह चिढ गया. बोला, “रामायण की कथा का मैं तुम्हें प्रत्यक्ष अनुभव कराऊंगा. रामायण में हनुमान लंका को आग लगा देते हैं, बिलकुल ऐसे!” और उसने वेश्या के मकान को आग लगा दी.
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Jyotirmoy Sarkar says
Interesting post, heard about Tenali Rama but not so many details of his personal life.