Aapas Mein Fut Hindi Story आपस में फूट हिंदी कहानी
किसी पेड़ पर एक चिड़ियाँ रहती थी. वह बहुत खुश थी कि रहने के लिए उसका अपना एक सुंदर-सा आरामदायक घोंसला है.
दिनभर चिडियां दूर-दराज के खेतों में दाना चुगने जाती और शाम ढलने तक अपने घोंसले में लौट आती. ऐसे ही सुख-शांति से गुजर रहे थे चिडियां के दिन.
एक दिन चिडियां ने भरपेट भोजन तो कर लिया, लेकिन समय रहते घोंसले में लौट न सकी,क्योंकि रात भर बारिश ने रूकने का नाम ही न लिया.
चिडियां को अपने ठिकाने से कुछ दूरी पर स्थित बरगद के विशाल वृक्ष पर शरण लेनी पड़ी. सुबह होने पर जब वर्षा थमी और आसमान साफ हो गया तो वह अपने घोंसले की ओर उड़ चली. तब उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, जब उसने देखा कि उसके घोंसले पर तो एक खरगोश ने कब्जा कर उसपर अपना अधिकार जमाये बैठा है.
गुस्से में अपना आपा खो बैठी चिडियां बोली, “तुम जहाँ आराम से लेटे हो वह मेरा घर है. चलो, जाओ मेरे घर से .”
“बेवकूफों जैसी बात मत करो,” खरगोश बोला, “पेड़ों, नदियों,तालाबों पर किसी एक का हक नहीं होता, यह तो तभी तक अपने होते हैं, जब तक हम वहाँ रहते हैं. यदि अनुपस्थिति में कोई और वहाँ आकर रहने लगे,तो वह स्थान उसी का हो जाता है. इसलिए मैं नहीं तुम जाओ यहां से, मुझे परेशान मत करो.”
खरगोश के इस अटपटे उत्तर से चिडियां बिलकुल संतुष्ट नहीं हुई. वह बोली, “चलो, चलकर किसी बुद्धिमान प्राणी से पूछते हैं. तभी हमारा फैसला होगा.”
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उस पेड़ के निकट ही एक जंगली बिल्ली रहती थी. उस दिन संयोगवश वह बिल्ली भी वहीँ थी. उसने उन दोनों के बीच वार्तालाप को सुन लिया था.
अब बिल्ली आखिर बिल्ली ठहरी. उसे मौसी यूँ ही तो नहीं कहा जाता.
बिल्ली को तुरंत एक योजना सूझी. वह नदी में नहाकर आई और पास ही एक पेड़ के नीचे तपस्वी जैसी मुद्रा में बैठकर जोर-जोर से राम नाम जपने लगी.
जब चिड़िया और खरगोश ने बिल्ली को राम नाम जपते सुना तो वे निष्पक्ष न्याय की आस लिए उसके पास गए और बिना किसी पक्षपात के उनका न्याय करने को कहा.
उन दोनों को सामने देख बिल्ली मन ही मन बेहद खुश हुई. वह उन दोनों की बातें सुनने का नाटक करती रही. जैसे ही उसे मौका हाथ लगा, उसने झपट्टा मारकर उनका काम तमाम कर दिया. उसके स्वादिष्ट भोजन का जुगाड़ हो चुका था.
यह कहानी ऐसे तो बहुत सीधी और सरल है. लेकिन यह तो साफ़ है कि किसी अन्य के काम पर अपना अधिकार कर लेना और छोटी-छोटी बातों पर झगड़ना कई बार घातक सिद्ध हो जाता है . इसलिए हमें इनसे बचना चाहिए. जब कोई conflict हो जाए तो शांति पूर्वक उस conflict को manage करना चाहिए. इसमें अनावश्यक रूप से किसी बाहरी व्यक्ति की दखलंदाजी आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है. आपस में फूट का नतीजा always बुरा ही होता है.
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