प्रस्तुत कहानी Crocodiles Marriage Hindi Story यानी मगरमच्छ का विवाह हिंदी कहानी दो मित्रों से संबंधित कहानी है. आशा करता हूँ कि आपको पसंद आयेगी.
मगरमच्छ का विवाह हिंदी कहानी
बहुत पहले की बात है .एक गुफा में एक मगरमच्छ और एक कछुआ रहा करते थे. एक दिन मगरमच्छ बोला- ‘चलो भाई कछुए, आज मछलियाँ पकड़ने का जी कर रहा है.’
कछुए ने बाहर झांका और बोला- “हाँ, बात तो ठीक है, चलो चलें. दिन भी बढिया हैं.”
मगरमच्छ बोला- “तब चलो, उसी गंजे आदमी के तालाब में चलें. उसके तालाब में बढिया-बढिया मछलियाँ हैं .”
कछुआ बोला – “न बाबा न, वह बहुत क्रूर है. कहीं उसने पकड़ लिया तो कचूमर निकाल देगा.”
मगरमच्छ झूठ बोला – “अरे नहीं, वह तो मेरा मित्र है. उस दिन भी मुझसे कह रहा था कि उसके तालाब में इतनी मछलियाँ हैं जिन्हें बेचारा खा ही नहीं सकता. वह तो मछलियाँ खाने में हमारी सहायता चाहता है.”
कछुआ मान गया, बोला, ‘अगर ऐसी बात है तो चलो, वहीं चलें.’
अब दोनों साथ होकर उसे गंजे आदमी के तालाब की ओर गए और तालाब में घुसकर मछलियाँ पकड़-पकड़कर खाने लगे. वहाँ मछलियाँ इतनी अधिक और इतनी बड़ी-बड़ी थीं कि मगरमच्छ खूब खुश हुआ और किलकारियाँ मार-मारकर पानी में नाचने लगा.
कछुए ने मना किया, बोला- ‘चुप रहो, तुम तो अपने शोर से सारी मछलियाँ भी भगा दोगे.’
लेकिन मगरमच्छ कहां मानने वाला था, बोला – “अरे,घबराओ मत, यहाँ तो इतनी मछलियाँ हैं कि चाहे जितना शोर कर लो, कहीं जाने की नहीं.’ और फिर पानी में वह उछल-कूद मचाने लगा.
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इस शोर को उस तालाब के मालिक ने भी सुन लिया. उसने सोचा, कोई मेरी मछलियाँ पकड़ रहा है. चलकर उसकी मरम्मत करनी चाहिए.
यह सोचकर वह आया और छिपकर देखने लगा. इतने में कछुआ, मगरमच्छ दोनों ने एक-एक बड़ी मछली पकड़ी और पानी के बाहर किनारे पर ले आए. वह गंजा आदमी उनके पीछे दौड़ा. मगरमच्छ तो आगे निकल गया, पर बेचारा कछुआ पीछे रह गया और पकड़ा गया. उस आदमी ने एक मजबूत रस्सी लेकर कछुए को बाँधा और घर ले जाकर नीचे ही एक खंभे के साथ बाँध दिया.
जाते हुए वह आदमी कहता गया- “बच्चू आज रात तो तुम यहीं आराम करो, कल तुम्हारा भोजन बनाऊंगा.”
धीरे-धीरे मगरमच्छ भी वहाँ पहुँचा और कछुए को बंधा देखकर हँस पड़ा. बोला – “कहो भाई, कैसी बीत रही है? इतने मोटे रस्से को क्यों थामे हुए हो ?”
कछुए ने उत्तर दिया –“ मैं उस गंजे आदमी का कैदी हूँ.”
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मगरमच्छ हँसकर बोला- “अच्छा वह तो देख रहा हूँ, लेकिन तुमसे ऐसी क्या गलती हो गई जो तुम्हें कैदी बनाया गया है?”
कछुआ बोला- “इस आदमी के एक सुंदर बेटी है. वह मेरा विवाह उससे करना चाहता है. जब एक उसकी बात न मानूँ, वह मुझे छोड़ेगा नहीं.”
बेचारे मगरमच्छ के मुँह में पानी भर आया उसने कई बार प्रयत्न किया था कि उसका विवाह हो जाए, लेकिन उसे देखते ही सब लडकियाँ भाग जाती थीं.
विवाह के लालच में वह यह भी भूल गया कि उसी के झूठ बोलने के कारण तो कछुए को कैदी बनना पड़ा है. बोला- “भाई कछुए, तुम तो जानते ही हो कि मैं कब से विवाह के लिए इच्छुक हूँ. क्यों नहीं मेरा विवाह उस लड़की से करवा देते?”
कछुआ मन-ही-मन अपनी चालाकी पर खुश हुआ और बोला- “अरे तो इसमें क्या कठिनाई है? तुम मेरी रस्सी खोल दो, मैं इसे तुम्हारी कमर में अभी बाँध दूंगा. तुम शोर शुरू कर देना. कहना- “मैं अभी विवाह कर लूँगा, मैं अभी उससे विवाह कर लूँगा. वह आदमी आ जाएगा और विवाह करवा देगा.”
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मगरमच्छ ने वैसा ही किया. बंध जाने पर उसने शोर करना शुरू कर दिया. वह बार-बार इसी बात को दुहराने लगा –“मैं अभी उससे विवाह कर लूँगा.”
जब गंजे आदमी ने शोर सुना तब खूंटी पर से अपनी तलवार ले आया. जब उसने देखा कि कछुए के स्थान पर एक भारी मगरमच्छ बंधा हुआ है तब वह आश्चर्यचकित रह गया, लेकिन, थोड़ी देर में ही उसका आश्चर्य प्रसन्नता में बदल गया. वह खुश होकर बोला- “वाह, मजा आ गया! बहुत दिन हो गए हैं मुझे मगरमच्छ खाए. मगरमच्छ को फौरन ही पकाया जाए. भगवान ने घर बैठे मेरे मन की बात जान ली.”
इधर मगरमच्छ शोर किए जा रहा था- “मैं अभी विवाह कर लूँगा” —- इससे पूर्व कि वह गंजा आदमी तलवार का वार करता, मगरमच्छ ने दूर से आते हुए कछुए का स्वर सुना. कछुआ कह रहा था- “अपने मित्र से झूठ बोलने का यही फल मिलना चाहिए.”
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