प्रस्तुत आलेख Respect Nari Shakti to Make Navdurga Happy नवरात्रि पर केन्द्रित विशेष आलेख है. कहा भी गया है कि जहाँ नारी की पूजा होती है वहां देवों का वास होता है. आगे इस लेख के माध्यम से हमारा कहना है कि यदि आप नारी शक्ति का सम्मान करते हैं तभी नव दुर्गा आप पर प्रसन्न होंगी अन्यथा आपका सारा पूजा पाठ बेकार है.
देवी नव दुर्गा होगी प्रसन्न जब करोगे नारी का सम्मान
भारतीय संस्कृति में हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व हैं। इस नौ दिनों तक देवी नव दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती हैं। साथ ही व्रत उपवास करने का भी विधान हैं। जिससे देवी प्रसन्न हो कर हो और सुख समृद्धि की कामना की जाती हैं। नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का भी विधान हैं कि कन्याओं का पूजन किया जाता हैं और सम्मान दिया जाता है। परंतु विडंबना हैं कि आज भी नारी जाति को इतना सम्मान नहीं मिल रहा हैं और उत्पीड़न व तिरस्कार की शिकार हैं। साथ कन्या भ्रूण हत्या होना भी एक नारी जाति के लिए अपमान या तिरस्कार ही हैं। हमें बुध्दिजीवी वर्ग का कर्तव्य बनता हैं कि ऐसी घृणित मानसिक से ग्रसित लोगों को समझाएं और इस नवरात्रि के पर प्रण लें कि नारी जाति का सम्मान करेंगे। जहां पर नारी का सम्मान होगा तो देवी अपने आप ही प्रसन्न ही होगी इसी भावना के साथ नवरात्रि मनाएं।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि एक हिंदू पर्व हैं। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आते है। पौष, चैत्र, आषाढ, अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों – महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं। दुर्गाका मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता हैं। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता हैं।
नौ देवियाँ हैं नव दुर्गा
1.शैलपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
2.ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
3. चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
4.कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
5.स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
6.कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
7. कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वाली ।
8. महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
9. सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
भगवान् श्री राम ने की थी नवरात्रि की पूजा
शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती हैं। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती हैं। नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं।
भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित हैं। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।
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नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती हैं। गुजरात में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता हैं। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में जान पडता है। यह पूरी रात भर चलता हैं। डांडिया का अनुभव बडा ही असाधारण है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, ‘आरती’ से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद। पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है। इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता हैं। नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व हैं। वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता हैं। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है।
त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता हैं। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं। नारी जाति के सम्मान का प्रतीक हैं नवरात्रि। हमें नारी पर होने वाले अत्याचार व उत्पीड़न पर लगाम के साथ ही कन्या भ्रूण हत्या पर पूर्ण रोकथाम हेतु समाज में जागरूकता लानी होगी। नवरात्रि में देवी व नारी जाति प्रसन्न हो तो ऐसे कदम उठाएं जाएं यही प्रासंगिकता हैं।
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नवरात्रि के यह नौ दिन आप सभी के लिए मंगलमय हो आपकी मनोकामना पूर्ण करावे ऐसी अन्तश ह्रदय से शुभकामनाऐं।
।। जय माता दी ।।
यह आलेख सूबेदार रावत गर्ग उण्डू जी ने भेजी है. वे सहायक उपानिरीक्षक – रक्षा सेवाऐं व स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी हैं. वे ग्राम – श्री गर्गवास राजबेरा, तहसील – शिव, जिला – बाड़मेर, पिन- 344701 राजस्थान के रहनेवाले हैं। टीम बेहतरलाइफ उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है ।
- यह आलेख सूबेदार रावत गर्ग उण्डू जी ने भेजी है. वे सहायक उपानिरीक्षक – रक्षा सेवाऐं व स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी हैं. वे ग्राम – श्री गर्गवास राजबेरा, तहसील – शिव, जिला – बाड़मेर, पिन- 344701 राजस्थान के रहनेवाले हैं। टीम बेहतरलाइफ उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है ।
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