प्रस्तुत पोस्ट में “क्या गांधारी धृतराष्ट्र से शादी से पहले एक विधवा थी?” हम महाभारत के एक प्रमुख पात्र गांधारी के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे। सच में क्या गांधारी धृतराष्ट्र से शादी से पहले एक विधवा थी?
क्या गांधारी धृतराष्ट्र से शादी से पहले एक विधवा थी?
कौरव और पांडव खेलते समय अकसर एक दूसरे से भिड़ जाते थे। कौरव पांडवों से कहते कि तुम लोग एक वेश्या के पुत्र हो। इस सत्य से अवगत कराते हुए कि पांडव अपने पिता से उत्पन्न पुत्र नहीं हैं।
जबाब में पांडव भी कौरवों से कहते कि तुम कौरव भी एक विधवा के पुत्र हो। कौरवों को यह सुनकर आश्चर्य हुआ। वे रोते हुए भीष्म के पास गए। भीष्म ने इसकी जांच करवाने की सोची और अपने गुप्तचर को गांधार प्रदेश भेजा।
गुप्तचरों ने बताया कि जब गांधारी का जन्म हुआ तो ज्योतिषियों ने बताया कि इसका पहला पति अल्पायु होगा जबकि दूसरा पति लम्बी आयु वाला होगा। गांधारी के पिता सुवल ने गांधारी की पहली शादी एक बकरे के साथ कर दी और शादी के तुरंत बाद बकरे की बलि चढ़ा दी। तकनीकी रूप से उसने गांधारी को एक विधवा बना दिया।
ज्योतिषियों ने भीष्म से जब यह कहा कि यदि बकरे की बलि नहीं दी जाती तो कौरव उसी बकरे की संतान होते। यह सुनकर भीष्म आग-बबूला हो गए और कहा कि सुवल ने हमारे साथ छल किया है। एक विधवा हमारे राज परिवार में बहु बनकर आ गयी है। अगर लोगों को यह बात पता चली तो पूरे भारतवर्ष में हमारी ठिठोली होगी। मैं सुवल के पूरे खानदान को मार डालूँगा ताकि यह रहस्य उन्हीं लोगों के साथ ख़त्म हो जाए।
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भीष्म ने सुवल के पूरे परिवार को कालकोठरी में डलवा दिया। उन्हें प्रतिदिन केवल एक मुट्ठी चावल खाने में दिया जाता था। सुवल अपने पुत्रों से कहा – देखो, भीष्म यह जानता है कि परिवार के सभी सदस्यों को मारना अधर्म है। इसलिए बिना अधर्म किये वह हम सबको मारना चाहता है। हमें जितना खाना देता है उसमें हम एक दिन भूख से अवश्य मर जायेंगे।
जैसे-जैसे दिन बीतने लगा गांधारी के भाई खाने के लिए आपस में झगड़ने लगे। सुवल के मन में एक विचार आया। हममें से कोई एक ही भोजन करे। जो सबसे ज्यादा तीक्ष्ण बुद्धि का हो उसे भोजन करने दो। वही बचेगा और भीष्म द्वारा हम पर किए गए अत्याचार को याद रखेगा।
मरने से पहले सुवल ने अपने पुत्र शकुनि का पैर एक डंडे से तोड़ दिया ताकि जब भी वह चले, हर कदम पर उसे कौरवों का अत्याचार याद रहे। उन्हें कभी माफ़ नहीं करना।
सुवल ने देखा कि शकुनि को चौसर के खेल से बहुत लगाव है। अपनी मृत्युशैया पर पड़े पड़े उसने अपने पुत्र से कहा – जब मैं मर जाऊं, मेरी अंगुली की हड्डियों से अपने चौसर का पासा बनाना। वे मेरे क्रोध से भरे होंगे और तुम्हारी हर बात मानेंगे और इस तरह से तुम हर बार विजयी होगे।
कुछ दिनों बाद सुवल और उसके पुत्र मर गए। शकुनि जिन्दा बच गया और हस्तिनापुर में कौरवों के साथ ही रहने लगा। कौरव समझते थे कि वह उनका समर्थक और सहायक है जबकि वह भीष्म और उसके खानदान को मिटा देना चाहता था जैसा कि भीष्म ने उनके साथ किया।
इस कथा के कई रूप हमारे सामने आते हैं।
- लोक परम्परानुसार शकुनि के पिता और भाइयों को मरवाने में भीष्म का नहीं बल्कि दुर्योधन का हाथ था।
- कुछ अन्य विवरणों में यह कहा गया है कि सुवल को जेल में इसलिए डाल दिया गया क्योंकि वह अपनी बेटी की शादी एक अंधे राजकुमार धृतराष्ट्र के साथ नहीं करना चाहता था। जिस तरह से भीष्म ने अम्बिका और अम्बालिका को जबरदस्ती छिना था उसी प्रकार गांधारी के साथ भी किया गया था।
- गांधारी की प्रथम शादी बकरे के साथ हुई थी, यह कथा जैनियों द्वारा महाभारत के पुनःकथन में वर्णित है।
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kumar says
जहाँ तक मेने पढ़ा है शकुनी को ये पांसे उसके पिता की जांघ की हड्डी से मिले थे. शकुनी के पैर को तोडा गया था लेकिन खुद शकुनी ने उस घाव को बढाया था. अलग अलग जगहों पर अलग अलग विवरण मिलते है इसलिए सच क्या है इसे कहना बेहद मुश्किल होता है.
आपकी पोस्ट में मुझे गांधारी के बारे में कुछ नया जानने को मिला इसके लिए धन्यवाद
Sruti says
Mujhe jahan tak pata hai Sauni mama ne Apne bans Ka badla lene keliye hi ye sab kiye the.