उजड़ जाओ
संत नानक एक गाँव में गए. वहां के निवासियों ने बहुत आदर सत्कार किया. चलते समय नानक जी ने आशीर्वाद दिया – “उजड़ जाओ.”
वे दूसरे गाँव गए. वहां के लोगों ने नानक जी को कटु वचन बोला. तिरस्कार किया और लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो गए. नानक जी ने आशीर्वाद दिया – “ आबाद रहो.”
साथ में चल रहे शिष्यों को नानक जी के इस आशीर्वादों पर बड़ा आश्चर्य और संशय हुआ. उनके संशय को दूर करते हुए नानक ने कहा – “ सज्जन लोग उजड़ेगें तो वे जहाँ भी जायेंगे सज्जनता फैलायेंगे. परन्तु दुर्जन और दुष्ट लोग सभी जगह अशांति उत्पन्न करेंगे, इसलिए उनके एक ही जगह रहने में भलाई है.
तानसेन का जबाब
तानसेन सम्राट अकबर के दरबारी गायक थे. एक बार अकबर ने तानसेन के गुरु हरिदास जी से मिले और उनके गायन को सुनकर मुग्ध हो गए.
अकबर ने तानसेन से कहा – “ यूँ तो आप भी गाते अच्छा हैं, पर आपके गुरु के गायन में जो रस है, वह अत्यंत प्रशंसनीय है.”
तानसेन ने कहा – “ मेरे गुरु भगवान को प्रसन्न करने के लिये गाते हैं और मैं आपको प्रसन्न करने के लिये. स्वार्थ का अंतर हर वस्तु के स्तर को गिराता और उठाता है.”
जब गांधीजी प्रार्थना करना भूले
दिन भर कठोर परिश्रम करने के बाद थके हुए गांधीजी जैसे ही बिस्तर पर लेटे, उनकी आँखें लग गयी और वे सो गए. सोये भी ऐसी गहरी नींद में कि सुबह तडके नींद खुली.
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