जीवन पथ के प्रत्येक पथिक को एक दिन इस संसार को छोड़कर जाना होता है। कुछ लोग किसी बीमारी से काल कलवित हो जाते हैं तो कुछ लोग अचानक दुर्घटना मैं अपनी जान गवा देते हैं। पिछले कुछ महीनों में लाखों लोगों ने एक नवीनतम वायरस जिसका नाम कोरोनावायरस है, से अपनी जान गवां चुके हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जैसे भी हो, सबकी मृत्यु निश्चित है। प्रस्तुत पोस्ट यमराज हिंदी प्रेरक कहानी में हम इसी सनातन सत्य के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

एक बार एक बूढा आदमी रास्ते पर जा रहा था। चलते-चलते थक गया तो वह एक पत्थर पर बैठकर सुस्ताने लगा। अचानक उसकी नजर एक बहुत बड़े बिच्छू पर पड़ी। वह बिच्छू मुर्गे जितना बड़ा था। बूढ़े के देखते ही देखते वह सांप में बदल गया और रेंगते हुए दूर चला गया। बूढा उसका पीछा करने लगा। देखें, क्या बात है। सांप पूरे दिन और रात चलता रहा।
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कभी इधर जाता कभी उधर। थोड़े फासले से बूढा उसके पीछे लगा रहा। एक बार वह एक सराय में घुसा और कई यात्रियों को मार डाला। फिर वह राजमहल गया और राजा को अपना शिकार बनाया। फिर वह पानी की टंकी के सहारे रानी के निवास में घुसा और छोटी राजकुमारी को अपना शिकार बनाया। सांप जहां भी जाता कुछ देर बाद वहां कोहराम मच जाता।
बूढा छाया की तरह चुपचाप उसका पीछा करता रहा। चलते-चलते वह एक नदी पर पहुंचे। वहां कुछ फटेहाल यात्री बैठे हुए थे। वे नदी के उस पार जाना चाहते थे, पर उनके पास नाव वाले को देने के लिए पैसे नहीं थे। सांप ने लंबी तगड़ी भैंस का रूप धारण किया और नदी के किनारे जाकर खड़ा हो गया। उसे देखकर यात्रियों ने कहा – “यह भैंस उस पार अपने घर जाएगी। चलो, इसकी पीठ पर बैठ जाएं और इसकी पूछ पकड़ ले। इसके साथ हम भी उस पार पहुंच जाएंगे।”
वह भैंस की पीठ पर बैठ गए। भैंस नदी में तैरने लगी। मझधार में पहुंचकर उसने ऐसी उछल कूद मचाई कि सब पानी में डूब गए। इस बीच बूढा भी नाव से नदी के उस पार पहुंच गया। दूसरे किनारे पर भैंस अदृश्य हो गई। उसके स्थान पर एक सुंदर बैल खड़ा था। मोटे ताजे बैल को बिना मालिक के डोलते देखकर एक किसान उसे घेर घार कर अपने घर ले गया। बैल बहुत सीधा था। किसान ने उसे दूसरे मवेशियों के साथ बाड़े में बांध दिया। रात के सन्नाटे में बैल ने वापस सांप का रूप धारण किया और तमाम जानवरों, भेड़ों और नींद में सोए किसान के घर वालों को डस लिया और रेंगकर बाहर आ गया।
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बूढा छाया की तरफ चुपचाप उसका पीछा करता रहा। थोड़ी देर में वे दूसरी नदी पर पहुंचे। वह सांप सुंदर जवान औरत में बदल गया। कुछ देर बाद दो सिपाही उस तरफ आते दिखे। दोनों सगे भाई थे। उनके पास आने पर वह औरत जोर-जोर से रोने लगी।
भाइयों ने पूछा – “क्या बात है? तुम यहां अकेली क्यों बैठी हो?”
सर्पस्त्री ने जवाब दिया – “मैं और मेरा आदमी घर जाने के लिए नाव का इंतजार कर रहे थे। वह हाथ मुंह धोने के लिए नदी में गए और पांव फिसल जाने से डूब कर मर गए। यहां मेरा कोई नहीं। मेरे रिश्तेदार बहुत दूर रहते हैं।”
उसके सौंदर्य से सम्मोहित बड़े भाई ने कहा – “तुम चिंता मत करो। मेरे साथ चलो। मैं तुमसे विवाह करूंगा और तुम्हारा हर तरह से ख्याल रखूंगा।”
स्त्री ने कहा – “लेकिन तुम मुझसे घर का काम नहीं कराओगे और जो मैं कहूंगी मुझे लाकर दोगे। दोनों बातें तुम्हें मंजूर हो, तभी मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।”
बड़े भाई ने आदर से कहा – “दास की तरह मैं तुम्हारी हर आज्ञा का पालन करूंगा।”
“तो जाओ और उस नदी से मेरे लिए एक लोटा पानी लेकर आओ। तब तक तुम्हारा भाई मेरे पास रहेगा।”
पर जैसे ही बड़ा भाई जाने के लिए मुड़ा, उसने उसके छोटे भाई से कहां – “चलो, उसके आने से पहले हम भाग चलें। मैं तुमको ही चाहती हूं। तुम्हारे भाई से पीछा छुड़ाने के लिए ही मैंने उसे पानी लाने भेज दिया।”
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छोटे भाई ने कहा – “नहीं, नहीं; यह नहीं हो सकता। तुमने उसे ब्याह का वचन दिया है। तुम मेरी बहन के समान हो।”
औरत को जैसे आग लग गई। बड़े भाई को पानी लेकर आते देख वह अपने कपड़े फाड़ कर रोने लगी। वह और पास आया तो वह चीखी – “तुम्हारा भाई बहुत बुरा है। इसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें छोड़कर इसके साथ भाग जाऊं।”
इससे पहले कि छोटा भाई कुछ कहता बड़े भाई ने तलवार खींच ली। दोनों आपस में भिड़ गए। वे दिनभर लड़ते रहे। शाम होते होते दोनों नदी के किनारे निढाल होकर गिर पड़े और वहीं दम तोड़ दिया।
औरत फिर सांप में बदल गई। बुध छाया की तरह चुपचाप उसका पीछा करता रहा। आखिर सांप सफेद दाढ़ी वाले बूढ़े में रूपांतरित हो गया। अपने जैसे एक बूढ़े को देखकर पीछा करने वाला बूढा साहस जुटाकर उसके पास गया और पूछा कि तुम कौन हो? सफेद दाढ़ी वाला बूढा मुस्कुराया – “मैं यमराज हूं। प्राणियों के प्राण हरण करना ही मेरा काम है। इसलिए लोग मुझे मृत्यु का देवता कहते हैं।”
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बूढ़े ने याचना की कि मुझे मार डालो। मैं कई दिनों से तुम्हारा पीछा कर रहा हूं और तुम्हारा कार्यकलाप देख रहा हूं। अब मैं जीना नहीं चाहता। यमराज ने यह सुनते हुए कहा – नहीं, नहीं, अभी नहीं। मैं उन्हीं को मारता हूं जिनका समय पूरा हो गया होता है। तुम्हें तो अभी 60 साल और जीना है। इतना कहकर वह अदृश्य हो गया। वह सच मृत्यु का देवता था या कोई राक्षस था? कौन जाने!
दुष्ट प्राणी अपनी दुष्टता कभी नहीं छोड़ता। मृत्यु एक अटल सत्य है। यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न पूछा कि यह बताओ कि दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? युधिष्ठिर ने कहा कि प्रतिदिन लोग यह देखते हैं कि किस प्रकार मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो रहा है? फिर भी वह यह सोचते हैं कि मैं कभी नहीं मरूंगा! यही दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य है। इसलिए यह मत भूलिए कि मौत सबको एक ना एक दिन गले जरूर लगाएगी। कभी सांप के रूप में, कभी बिच्छू के रूप में, कभी कैंसर के रूप में, तो कभी कोविड-19 के रूप में। इसलिए जब तक जिएँ खुशी पूर्वक जिएँ और मानवता की भलाई के लिए जिएँ।
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Nice story
nice post sirji
प्रेरक स्टोरी बहुत अच्छा लगा।
Great job