प्रस्तुत पोस्ट Sukhasana for Asthma in Hindi में हम अस्थमा के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे. हमारे देश में जिस तरह से वायु प्रदुषण बढ़ रहा है उसमें सांस संबंधी समस्या बढ़ती जा रही है. लोग अस्थमा के शिकार होते जा रहे हैं. सबसे पहले हम अस्थमा या दमा के बारे में जानेंगे.
अस्थमा Sukhasana for Asthma in Hindi
अस्थमा साँस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. इसमें लोगों की वायु नलिका अवरुद्ध या संकुचित हो जाते हैं। जिसके कारण लोगों का साँस लेना मुश्किल हो जाता है। कफ़ का अतिरिक्त उत्पादन, अत्यधिक खाँसी, घरघराहट और साँस की तकलीफ इसके लक्षण हैं। दमा सुबह और रात को विशेष रूप से ठंड के दौरान ज़्यादा परेशान करता है। कुछ लोगों के लिए अस्थमा गंभीर हो सकता है और वे कमज़ोर हो जाते हैं। अस्थमा के दौरे से उबरने के लिए उन्हें अपने साथ एक नेबुलाइजर (साँस लेने की मशीन) लेकर चलना होता है। यह लाइलाज बीमारी है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अस्थमा होने के कारण इस प्रकार हैं.
1. यह एलर्जी या बिना एलर्जी वाला हो सकता है। पहले मामले में धुआँ और भाप, परफ्यूम, सुगंधित साबुन आदि सहित हवा से एलर्जी के कारण इसका दौरा पड़ सकता है।
2. आनुवंशिक कारणों से भी अस्थमा हो सकता है।
3. ठंड, बुखार, गले में खराश और साइनस संक्रमण, ठंडे तापमान में व्यायाम और एस्पिरिन और गैर-स्टेरॉइड शोथरोधी दवाओं के कारण भी अस्थमा हो सकता है।
आजकल डॉक्टर अस्थमा के मरीजों को इनहेलर लेने की सलाह देते हैं. दमा को दवाइयों के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार कर नियंत्रित किया जा सकता है. अस्थमा में सुखासन, चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन आदि आसन एवं प्राणायाम करने की सलाह दी जाती है. आइये सबसे पहले सुखासन के बारे में जानते हैं.
Easy Pose OR Sukhasana for Asthma in Hindi
सभ्य मुद्रा, आसान मुद्रा या सुखद मुद्रा के तौर पर पहचाना जाने वाला सुखासन बैठने की एक सरल मुद्रा है, जिसमें अभ्यास करने वाला अपने पैर एक दूसरे पर चढ़ाकर यानी आलथी-पालथी मारकर बैठता है। यह सबसे आसान आसनों में से एक है और यह ध्यान केद्रित करने व स्वयं को शांत रखने के लिए किया जाता है।
विधि
1. सबसे पहले ज़मीन पर बैठ जाएँ, जैसा सामान्य तौर पर आप करते हैं। आप बैठने के लिए चटाई या मोटे कम्बल का उपयोग भी कर सकते हैं।
2. अपने पैरों को आगे की ओर फैलाएँ, फिर पालथी लगाकर बैठ जाएँ।
3. अपने घुटनों को मोड़ें और दोनों पैरों को विपरीत घुटनों के भीतर करके बैठ जाएँ।
4. अपने पैरों को आराम दें, जिससे पंजे ज़मीन पर रहें और आंतरिक हिस्सा विपरीत पिंडली के नीचे सहजता से रहे। आपकी जाँघ और पिंडली से त्रिकोण आकृति बननी चाहिए। आपकी श्रोणि या pelvis और पैरों के बीच अंतर रहना चाहिए।
5. अपने हाथों को ज़मीन पर रखें और अपने कूल्हों को ऊपर उठाएँ। कुछ सेकंड तक इसी स्थिति में रहें। फिर कुल्हों को धीरे-धीरे नीचे लाएँ।
6. अपनी दुमची यानी tail bone और जघनास्थि यानी pubic bone को एक सीध में लाएँ, जिससे वे ज़मीन से समान दूरी पर रहें।
7. अपने हाथों को घुटनों पर रखें। अपनी हथेली और पीछे की हड्डी को ज़मीन पर रखें और टेल बोन को ज़मीन की ओर ले जाएँ।
लाभ
- अस्थमा के मरीज़ों को सुखासन के अभ्यास से लाभ होगा क्योंकि इससे हँसली यानी collar bone और सीने के फैलाव के द्वारा वायु निकासी के मार्ग खुलते हैं।
- इससे शांति मिलती है। तनाव, थकान और चिंता में भी कमी आती है।
- इसके अलावा रीढ़ में खिंचाव होता है और मज़बूती मिलती है। घुटनों और टखनों की सक्रियता भी बढ़ती है।
सावधानियाँ
1. सुखासन से ऐसे लोगों को बचना चाहिए, जिन्हें हाल में या पुरानी घुटनों की चोट, कूल्हों की चोट, घुटनों या कूल्हों में सूजन और स्पाइनल डिस्क की समस्या हो।
2. भले ही यह आसन सरल लगता है, लेकिन इसे करने से पहले एक प्रशिक्षित विशेषज्ञ से तकनीक सीखने की सलाह दी जाती है।
3. यदि यह आसन करने से आपको बहुत बेचैनी होती है, तो इसे जारी रखने से पहले एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लें।
अपने अगले पोस्ट में हम अस्थमा के लिए दूसरे आसन यानी चक्रासन के विषय में चर्चा करेंगे.
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Kumkum says
आज योग सभी लोगो करना जरूरी है अगर जीवन स्वास्थ्य चाहिए तो योग के विभिन्न आसनों की जानकारी होना चाहिए, बहुत बढ़िया जानकारी