प्रस्तुत पोस्ट Corona Vs Humanity Challenges in India में हम कोरोना से उपजी नयी परिस्थितियों के बारे में विचार करेंगें.

कोरोना से जूझती मानवता
22 मार्च 2020 को भारत में लॉकडाउन की घोषणा की गई। महीनों तक लोगों ने लॉक डाउन में अपनी ज़िंदगी बिताई। देश के एक भाग से दूसरे भाग में लोगों का पलायन हुआ। लोगों के सामने खाने पीने की समस्या एवं अन्य तरह की कई और समस्याएं आईं। किसी तरह से सब कुछ सही होता गया। धीरे धीरे संक्रमण कम होने लगा और लोग राहत की सांस लेने लगे।
दूसरी तरफ मेडिकल क्षेत्र में काम कर रहे अनुसंधान कर्ताओं ने कोरोना के लिए वैक्सीन बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते रहे। सबसे पहले ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों ने कोवि शील्ड नामक वैक्सीन बनाने में सफलता पाई। बाद में फाइजर, रूस, चीन, जॉनसन आदि अन्य वैक्सीन भी बने और अलग अलग देशों ने इसका प्रयोग भी करना शुरू कर दिया।
भारत में कोरोना की दूसरी लहर
आज समूचा देश कोरोना की इस अधिक घातक की चपेट में आ गया है। जब मैं यह पोस्ट लिख रहा हूं तब एक दिन में लगभग तीन लाख 15 हजार केस आए हैं और लगभग 2100 लोगों की मौत एक दिन में हो गई है। बहुत ही भयावह स्थिति है। कब कौन संक्रमित हो जाय और काल कलवित हो जाय कुछ कहा नहीं जा सकता। दूसरी सबसे बड़ी समस्या है ऑक्सीजन की कमी।
प्राणवायु ऑक्सीजन की कमी
इस बार के संक्रमण में ज्यादातर लोग 45 साल से कम उम्र के लोग संक्रमित हो रहे हैं। संक्रमण की दर इतनी तेज है कि यह फेफड़ों को बहुत जल्दी संक्रमित कर देते हैं । ऐसे में मरीज को तत्काल ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को पूरा करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। कई अस्पताल वालों ने मरीज के सगे संबंधियों को ऑक्सीजन लाने की जिम्मेदारी दे दी है। मरीज के परिवारजन कंधों पर सिलिंडर लेकर दर दर की ठोकर खा रहे हैं कि किसी तरह से ऑक्सीजन का इंतजाम हो सके। बहुत ही दारुण स्थिति है।
श्मशान में लाशों की कतार
हर व्यक्ति को मृत्यु के बाद अच्छे से अंतिम क्रिया का हक है। श्मशान भरे पड़े हैं लाशों से। पार्थिव शरीर को जलाने के लिए जगह और लकड़ियां कम पड़ रही हैं। ऐसे में राज्य और प्रशासन की जिम्मेवारी बनती है कि अंतिम संस्कार के लिए भी इंतजाम किया जाय।
दोष किसका?
हम इसे सबकी गलती मानते हैं। सबसे पहले केंद्र सरकार की बात करते हैं।
केंद्र सरकार को कोरोना को लेकर सजग रहना चाहिए था। विश्व के अन्य देशों में नए वेरिएंट आ रहे थे, उसपर नजर बनाए रखने का काम केंद्र का था। दूसरे यह कि हमारे देश में वैक्सीनेशन 16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ। इसकी रफ्तार बहुत धीमी रही। इसकी गति को बढ़ाने की जरूरत थी। तीसरी पांच राज्यों के चुनावों के मध्य कोरोना प्रबंधन में कहीं न कहीं चूक हुई।
राज्य सरकारों को सबकुछ केंद्र पर नहीं छोड़ना चाहिए था। कम से कम राज्य की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सकता था। आज कई ऐसे मामले सामने आए हैं कि केंद्र द्वारा आवंटित प्रथम लहर के वेंटी लेटर अभी भी जिला मुख्यालयों में धूल फांक रहे हैं।
आम नागरिक
यदि संक्रमण को फैलाने में सबसे ज्यादा गुनहगार कोई है तो वह देश की आम जनता है। सरकार ने विभिन्न संचार माध्यमों से लगातार सूचित किया है कि मास्क लगाए और अच्छी तरह से लगाएं। दो गज की दूरी रखें और लगातार हाथ धोते रहें लेकिन लोगों ने इसको बिल्कुल नहीं माना। इसका परिणाम यह हुआ कि संक्रमण लगातार बढ़ता गया। आज यह संक्रमण शहर कौन कहे, गांव की तरफ रुख कर चुका है। अगर अभी भी सचेत और जागरूक नहीं हुए तो लाश उठाने वाले हाथ कम पड़ जाएंगे।
आइए हम सब मिलकर, दलीय, धार्मिक, सामाजिक, जातीय आदि सभी भेदभाव को भूलकर कोरोना के खिलाफ एकजुट होकर लड़े और एकबार फिर इसे हराकर मानव जीवन और मानव मूल्यों की रक्षा करें। उनके बेहतर लाइफ के लिए सब मिलकर प्रयास करें। जय हिंद! जय मानवता!
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