यह पोस्ट ‘सुभाषितानि वचनानि संस्कृत श्लोकों का संग्रह’ संस्कृत भाषा में रचित कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों का संग्रह है। इन श्लोकों में विचारशीलता, नैतिकता, और आत्मविश्वास के गुणों को स्थापित किया गया है। पढ़िए और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएं।
संस्कृत श्लोकों का संग्रह: अद्वैत ज्ञान के प्रेरणास्वरूप मंत्र
इस पोस्ट ‘सुभाषितानि वचनानि संस्कृत श्लोकों का संग्रह’ में हम आपके लिए संस्कृत श्लोकों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ हमने उनका सन्दर्भ और अर्थ भी सम्मिलित किया है। यह पोस्ट आपको ज्ञान की प्रशस्ति और नैतिक मूल्यों के महत्व को समझने में मदद करेगी।
विद्या, दया, आत्मसम्मान: अद्वैत ज्ञान के संदेश

1. “उष्ट्राणां विवाहेषु, गीतं गायन्ति गर्दभाः।
परस्परं प्रशंसन्ति, अहो रूपं अहो ध्वनिः॥”
अर्थ – “ऊँटों के विवाह में गधे गीत गा रहे हैं। एक-दूसरे की प्रशंसा कर रहे हैं, अहा ! क्या रूप है? अहा ! क्या आवाज है?”
2. शुभकार्ये विलम्बः स्यात् नाशुभे तु कदाचन ।
विलम्बो जायते गेहनिर्माणे न तु पातने ॥”
अर्थ – “शुभ कार्यों में विलंब होता है, अशुभ कार्यों में कभी विलंब नहीं होता। घर बांधने (निर्माण) में अत्यंत समय (तथा परिश्रम) लगता है, परंतु उसे गिराने में नहीं लगता।”
3. “नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने ।
विक्रमार्जितसत्वस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥”
अर्थ – “सिंह को वन का राजा नियुक्त करने के लिए न तो कोई अभिषेक किया जाता है, और न ही कोई संस्कार। अपने गुण और पराक्रम से वह स्वयं मृगेंद्र पद को प्राप्त कर लेता है।”
4. “परनिन्दासु पाण्डित्यं, स्वेषु कार्येष्वनुद्यमः।
प्रद्वेषश्च गुणज्ञेषु, पन्थानो ह्यपदां त्रयः।।”
अर्थ – “दूसरों की निंदा करने में निपुणता, अपने काम में आलस्य, गुणी व्यक्तियों से द्वेष, ये तीनों ही आपत्ति के मार्ग हैं।”
5.”क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥”
अर्थ – “क्रोध से उत्पन्न होता है मोह और मोह से स्मृति विभ्रम। स्मृति के भ्रमित होने पर बुद्धि का नाश होता है और बुद्धि के नाश होने से वह मनुष्य नष्ट हो जाता है।”
6. “उभाभ्यामेव पक्षाभ्यां शथा खे पक्षिणां गति: ।
तथैव ज्ञानकर्मभ्यां जायते परमं पदम् ॥”
अर्थ – “जिस प्रकार दो पंखों के आधार पर पक्षी आकाश में उंचा उड़ सकता है, उसी प्रकार ज्ञान तथा कर्म से मनुष्य परब्रह्म को प्राप्त कर सकता है।”
7. “अकॄत्यं नैव कर्तव्य प्राणत्यागेऽपि संस्थिते।
न च कॄत्यं परित्याज्यम एष धर्म: सनातन:॥”
अर्थ – “जो कार्य करने योग्य नही हैं, उन्हें प्राण देकर भी नही करना चाहिए तथा जो कर्तव्य निर्धारित हैं उनके लिए यदि प्राण भी देना पड़े तो भी करना चाहिए, यही सनातन धर्म है।”
8. उदयेति सविता ताम्र:, ताम्रश्चैव अस्तमयेति च।
सम्पत्तौ च विपत्तौ, महताम् एकरूपता।।”
अर्थ – “जैसे सूर्यदेव प्रात: काल उदय होते समय और सायंकाल अस्त होते समय एक समान लाल रंग के दिखते हैं । उसी प्रकार महान पुरूष भी अच्छे और बुरे समय में एक समान ही दिखते हैं ।”
9. “दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता।
अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजा गुणाः॥”
अर्थ – “दान देने की आदत, प्रिय बोलना, धीरज तथा उचित ज्ञान – ये चार व्यक्ति के सहज गुण हैं; जो अभ्यास से नहीं आते।”
10.”आक्रोशपरिवादाभ्यां विहिंसन्त्यबुधा बुधान्।
वक्ता पापमुपादत्ते क्षममाणो विमुच्यते॥”
अर्थ – “मूर्ख व्यक्ति ज्ञानियों को बुरा-भला कहकर उन्हें दुःख पहुँचाते हैं । इस पर भी ज्ञानीजन उन्हें क्षमा कर देते हैं । क्षमा करने वाला तो पाप से मुक़्त हो जाता है परंतु निंदक को पाप लगता है।”
11.”विद्या हि का ब्रह्मगतिप्रदा वा बोधो हि को यस्तु विमुक्तिहेतुः ।
को लाभ आत्मावगमो हि यो वै जितं जगत्केन मनो हि येन ॥”
अर्थ – “विद्या कौन सी? वह जो ब्रह्मगति देती है। ज्ञान कौन सा? वह जो विमुक्ति का कारण बने। लाभ कौन सा? आत्मा को पहचानना। जगत किसने जीता है? जिसने मन को जीता है।”
12.”न देवा दण्डमादाय रक्षन्ति पशुपालवत ।
यं तु रक्षितमिच्छन्ति बुद्धया संविभजन्ति तम् ।।”
अर्थ – “देवता पशुपालकों की भांति डंडा लेकर पहरा नहीं देते। उन्हें जिसकी रक्षा करनी होती है, उसे वे सद्बुद्धि प्रदान कर देते हैं।”
13.”आत्मार्थं जीवलोकेऽस्मिन् को न जीवति मानवः ।
परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति ॥”
अर्थ – “इस जीवलोक में स्वयं के लिए कौन नहीं जीता ? परंतु जो परोपकार के लिए जीता है, वही सच्चा जीवन जीता है।”
14.”मृगमीनसज्जनानां तृणजलसंतोषविहितवृत्तीनां ।
लुब्धकधीवरपिशुना निष्कारणवैरिणो जगति॥”
अर्थ – “जैसे घास खाकर खुश रहने वाले हिरण या जल में प्रसन्न रहने वाली मछली से शिकारी/मछुआरा अकारण घृणा करते हैं, वैसे ही सज्जन भी अपने आप में संतुष्ट रहते हैं परंतु दुष्ट उनसे अकारण घृणा करते हैं।”
15.”पात्रे त्यागी गुणे रागी भागी परिजनैः सह ।
शास्त्रे बोद्धा रणे योद्धा प्रभुः पञ्चगुणो भवेत् ॥”
अर्थ – “नायक (महापुरुष) के पाँच गुण होते हैं – त्यागी, गुणों के लिए अनुराग, बंधुओं को समभाग देना, शास्त्रज्ञ, और पराक्रम।”
16. “क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी ।
विद्या कामदुघा धेनु सन्तोषो नन्दनं वनम् ॥”
अर्थ – “क्रोध यमराज के समान है और तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान । विद्या सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली कामधेनु है और संतोष स्वर्ग का नंदन वन है।”
17. “अन्तो नास्ति पिपासायाः सन्तोषः परमं सुखम् ।
तस्मात्सन्तोषमेवेह परं पश्यन्ति पण्डिताः ॥”
अर्थ – “तृष्णा अनंत है, और संतोष परम् सुख है। इस लिए विद्तज्जन संतोष को ही इस संसार में श्रेष्ठ समझते हैं।”
18.”दिव्यो ह्यमूर्तः पुरूषः सबाह्याभ्यन्तरो ह्यजः।
अप्राणो ह्यमनाः शुभ्रो ह्यक्षरात्परतः परः।।”
अर्थ – “वह प्रकाशमान, अमूर्तरूप ब्रह्म अंदर-बाहर सर्वत्र विद्यमान है। वह अजन्मा, प्राणरहित, मनरहित एवं उज्ज्वल है और अविनाशी आत्मा से भी उत्कृष्ट है।” (मुण्डकोपनिषद् 2.1.2)
19.”कस्यात्यन्तं सुखमुपनतं दु:खमेकान्ततो वा ।
नीचैर्गच्छत्युपरि च दशा चक्रनेमिक्रमेण ।।”
अर्थ – “किसने केवल सुख ही देखा है और किसने केवल दुःख ही देखा है, जीवन की दशा तो एक गतिमान चक्र (पहिए) के घेरे के समान है जो क्रम से ऊपर और नीचे जाता रहता है।” (कुमारसंभवम्)
20. “न मुक्ताभि र्न माणिक्यैः न वस्त्रै र्न परिच्छदैः ।
अलङ्कियेत शीलेन केवलेन हि मानवः ॥”
अर्थ – “मोती, माणेक, वस्त्र या पहनावे से नहीं, परंतु केवल शील से ही व्यक्ति विभूषित होता है ।”
और भी पढ़ें:
- संत लाओत्से कथन
- Paramahansa Yogananda Hindi Anmol Vichar परमहंस योगी
- बहाउल्लाह के अनमोल विचार
- सेरेना विलियम्स के उद्धरण
- अदलाई ई. स्टीवन्सन के उद्धरण
- ओशो रजनीश के अनमोल वचन
- फ्लॉयड मेवेदर जूनियर के उद्धरण
- नोम चॉम्स्की उद्धरण हिंदी में
- डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार
- ब्रह्मा कुमारीज के दिव्य विचार
of course like your website but you have to check the spelling on several of your posts. A number of them are rife with spelling issues and I in finding it very troublesome to inform the reality on the other hand I will certainly come back again.
What i do not understood is in truth how you are not actually a lot more smartly-liked than you may be now. You are very intelligent. You realize therefore significantly in the case of this topic, produced me individually imagine it from numerous numerous angles. Its like men and women don’t seem to be fascinated until it is one thing to do with Woman gaga! Your own stuffs nice. All the time care for it up!
Feel free to use or adapt these messages to fit your specific needs! If you have any particular requests, let me know.