धन या दौलत या पैसा हमारे जीवन का एक अहम् अंग है. इसे लेकर लोगों का अलग- अलग नजरिया होता है. इस पोस्ट में हम इसी सन्दर्भ में बात करेंगे. Wealth is your friend not foe.
पैसे से हम सभी का पाला पड़ता है. हम सभी के पास बैंक अकाउंट, क्रेडिट कार्ड, लोन, ओवरड्राफ्ट और हाउस लोन होते हैं. हम सभी जीवन में हर दिन पैसे के तमाम साधनों से ताल्लुक रखते हैं हम सभी ज्यादा चाहते हैं या हमें ज्यादा की जरूरत होती है. तो फिर प्रॉब्लम क्या है?
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इस सबका संबंध तो हमारे दिमाग में चल रही चीजों से है. आपकी तरह मैं भी पैसे संभालता हूँ, खर्च करता हूँ बचाता हूँ और मैं यह काम ज्यादा निपुणता से, ज्यादा ख़ुशी से करना चाहता हूँ.
यह लिखने से पहले मैंने अपने खुद के उद्देश्यों, मिथकों, आंतरिक मान्यतायों की कठोर जाँच-पड़ताल की और मैं इस नतीजे पर पंहुचा की पैसा बुरा या अच्छा नहीं होता है. यह न तो दोस्त होता है, न ही दुश्मन. हालाँकि इसे बुरा मान लिया गया है, लेकिन यह ऐसा है नहीं. इसके बिना जीवन बिखर जाएगा. पैसा वह आयल है, जो हम सभी के जीवन के इंजन को सही हालत में रखता है. हम इस पैसे का क्या करते हैं – वही अच्छा या बुरा, सही या गलत, दोस्त या दुश्मन होता है.
टिप्स : इसे बार बार दोहराएँ; पैसा अच्छा है, पैसा बहुत बढ़िया है, पैसा जरूरी है, पैसा ठीक है, पैसा मेरा दुश्मन नहीं, दोस्त है. जाहिर है, इसे मन ही मन कहें, वरना आपके परिवार वाले और दोस्त सोचेंगे कि यह तो गया, पगला गया है. पैसे से लड़ना बंद कर दें. इसके बारे में शर्मिंदा होना छोड़ दें.
अंत में, पैसे वाला दौलतमंद बनने के लिए मेहनत करने का यह मतलब नहीं है कि आपको अपनी विचारधारा बदलनी होगी. अगर आप चाहें, तो समाजवादी या अतिवादी (radical) राजनीतिक विचारधारा का समर्थन करते हुए भी अमीर बन सकते हैं. आज हमारे सांसदों में से कई अरबों के स्वामी हैं. यह आपको पता ही होगा. पैसा इसमें कोई बाधा नहीं डालता है. पैसे के होने से आपके आद्यात्मिक गुणों में कोई कमी नहीं आती है या आपके अगले जन्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. आप पैसे से जो काम करेंगे, उनसे फर्क पड़ सकता है, लेकिन मूलभूत बात यह है कि पैसा या दौलत को अपना दुश्मन नहीं, दोस्त समझें.
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