Kabir Das ke dohe with Hindi meaning: Part 1
संत कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित : भाग 1
संत कबीर के दोहे ॥1॥
दोहा: दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
अर्थ: संत कबीर कहते हैं कि दुःख के समय सभी भगवान को याद करते हैं, लेकिन सुख के समय वे भूल जाते हैं। यदि सुख में भी भगवान को याद किया जाए तो दुःख आये ही क्यों!
संत कबीर के दोहे ॥2॥
दोहा: माला फेरत जुग भया, मिटा न मन का फेर ।
कर का मनका छोड़ दे, मन का मनका फेर॥
अर्थ: मनुष्य सालों साल तक हाथ में माला घुमाता रहता है लेकिन उसके मन का उधेड़बुन नहीं मिटा है. संत कबीर ऐसे मनुष्य से कहते हैं कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन रूपी माला के मोतियों को फेरो तभी कल्याण होगा.
संत कबीर के दोहे ॥3॥
दोहा: काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करोगे कब॥
अर्थ: संत कबीर कहते हैं कि जो कल करना है उसे आज ही कर डालो और जो आज करना है उसे अभी कर लो. पलभर में कुछ भी हो सकता है, फिर अपने काम कब करोगे. यहाँ जीवन की क्षण भंगुरता के बारे में बताया गया है.
संत कबीर के दोहे ॥4॥
दोहा: साईं इतना दीजिये जामे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥
अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि हे ईश्वर आप मुझे इतना दीजिये कि जिसमें बस मेरा गुजारा हो जाये, मैं अपना पेट पाल सकूँ और अपने दरवाजे पर आनेवाले सज्जन को भी भोजन करा सकूँ।
संत कबीर के दोहे ॥5॥
दोहा: दुनिया बड़ी बावरी, पहार पूजन जाए ।
घर की चक्की कोई ना पूजे, जिसका पीसा खाए ॥
अर्थ: दुनिया सच में पागल है, वे बाहर जाकर पत्थर की पूजा करते हैं, लेकिन घर में लगी चक्की को नहीं पूजते जिसका पीसा हुआ आटा खाते हैं अर्थात लोग ईश्वर को अपने मन के अन्दर न ढूंढ़कर यहाँ वहां ढूंढते फिरते हैं.
Also read this related post: संत कबीरदास की जीवनी हिंदी में
संत कबीर के दोहे ॥6॥
दोहा: निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय ।
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय ॥
अर्थ: अपने आलोचक या निंदा करनेवाले को अपने पास ही रखना चाहिए. वह तो बिना साबुन और बिना पानी के हमारी कमियाँ बता कर हमें अच्छा बनाता है.
संत कबीर के दोहे ॥7॥
दोहा: बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ॥
अर्थ: जब मैं बुराई खोजने इस संसार में निकला तो मुझे कोई बुरा न मिला. मैंने जब अपने मन के ही अन्दर झाँक कर देखा तो लगा कि मुझसे बुरा कोई नहीं है.
संत कबीर के दोहे ॥8॥
दोहा: संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत।
चन्दन भुजंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत॥
अर्थ: एक सज्जन व्यक्ति को चाहे कितने भी दुर्जन और दुष्ट व्यक्ति क्यों न मिल जाए, वह अपने अच्छे स्वभाव को नहीं छोड़ता. चन्दन के पेड़ की तना से सांप लिपटे रहते हैं, फिर भी वह अपनी शीतलता को नहीं छोड़ता.
संत कबीर के दोहे ॥9॥
दोहा: कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर।
ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर॥
अर्थ: संत कबीर का यही सन्देश है, उनकी यही इच्छा है; सबका भला हो, सब सुखपूर्वक रहें; यदि किसी से दोस्ती न हो सके तो दुश्मनी भी न हो.
संत कबीर के दोहे ॥10॥
दोहा: माया मुई न मन मुआ, मरी मरी गया सरीर।
आसा त्रिसना न मुई, यों कही गए कबीर ॥
अर्थ: संत कबीर कहते हैं कि संसार में रहते हुए न माया मरती है न मन. शरीर न जाने कितनी बार मर चुका, पर मनुष्य की आशा और तृष्णा कभी नहीं मरती.
संत कबीर के दोहे ॥11॥
दोहा: धीरे–धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय॥
अर्थ: संत कबीर कहते है कि हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए. यदि माली एक दिन में सौ घड़े पानी भी डाल देगा तो भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेंगे. इसलिए धैर्यपूर्वक समय का इन्तजार करना चाहिए.
नोट : अगर आपके पास कोई Hindi Story, Life Story of a Personality, या फिर कोई motivational या inspirational article है जो हमारे जीवन को किसी भी तरीके से बेहतर बनाता हो तो कृपया हमारे साथ शेयर करें. आपका लेख आपके फोटो के साथ पोस्ट किया जायेगा. आपको पूरा क्रेडिट दिया जायेगा. हमारा ईमेल है : [email protected]
Read More:
- Gonu Jha aur Choron ki Majduri Hindi Folklore
- Judicious Wealth Hindi Short Story
- Anokha Puraskaar Hindi Short Story
- Generous Hindi Short Story
- Socrates Took Poison Motivational Anecdote
Thanks, Pankaj, for sharing Kabir dohas.:)
Kabir’s Dohe are really meaningful and people should make use of them in real life. Thanks for sharing!
kabir dohe is very inspiring…thanx for sharing..
Thank you all for your nice comments!
Really it is very very krantikari and factful. 16th sadi mein batayin gayi sishaprad aur interestful baten aaj ke 21th sadi ke vigyan aur taknique ke tatyon se bhare Yug mein bhi utni hi prasangig hain jitni ki sakro sal pahle hua Karti thi . Sahityik Virasat ke rup mein adarniye Kabir ji sthan Shiromani sant ke rupmein yad Rakha Jana chahiye.
Kabir Ke Dohe bahut hi behtreen hain….gyaanvardhak, great thoughts…
भारत के महान कवि और संत कबीरदास ने अपने लेखन से भक्ति को प्रभावित किया।