Swachhata Abhiyan by Kids Hindi Short Story बच्चों द्वारा स्वच्छता अभियान हिंदी कहानी
दामोदर कालोनी अभी नई बनी थी. सभी घर चमकते और साफ – सुथरे थे. कालोनी के बगल में एक तरणताल था. बहुत दिनों से उसकी सफाई नहीं हुई थी. पानी जमा हो जाने से वह गंदे पानी का तालाब बन गया था.
उसी पानी में मच्छरों का परिवार चैन से रहता था. तालाब से थोड़ी दूर पर कूड़े – कचरे का ढेर जमा हो गया था. उस पर मक्खी का परिवार रहता था. दोनों परिवारों में गहरी दोस्ती थी.
एक दिन मोहल्ले के कुछ बच्चे हाथ में तैराकी की पोशाक लिए आए. तालाब गन्दा देखा तो लौट गए.
दूसरे दिन तालाब का गन्दा पानी निकाल कर उसमें साफ पानी भरा जाने लगा. उस समय मच्छरों का परिवार मक्खी के घर मिलने गया था.जब वे लौटे तो उन्हें बड़ा झटका लगा. यह क्या! गंदे पानी की जगह तालाब में साफ पानी चमक रहा था. मच्छर बिना घर -बार के हो गए.उन्हें समझ में न आया कि क्या करें. परिवार की मादा मच्छर रोने लगी. तभी उसे अपनी सहेली मक्खी आती दिखाई दी.
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मादा मच्छर ने पूछा – क्या हुआ बहन? तुम क्यों रो रही हो? मक्खी की आँखों में आँसूं थे. वह बोली – अरे कुछ मत पूछो बहन, आज मेरा दिन खराब है. मैं कालोनी के कई घरों में गई. रसोई में घुसी. मुझे कुछ भी खाने को न मिला. आज सबने खाना ढककर रखा था. कहीं फल कटा और खुला न मिला. जूठे बरतन भी नहीं थे. मैं तो भूखी लौट आई. ऐसा रहा तो मैं भूखी ही मर जाउंगी.
मादा मच्छर बोली – यह तो बहुत बुरा हुआ. और देखो न मेरी परेशानी, तालाब में साफ पानी आ गया. अब मैं अंडे कहाँ दूंगी? हमारा परिवार कैसे बढ़ेगा?
तभी मोहल्ले के बच्चों का झुंड उधर आता दिखाई दिया. वे सब विद्यार्थी थे. साफ तालाब देखकर वे खुश हुए. जब चलने लगे. तभी एकाएक उनकी नजर कूड़े के ढेर पर पड़ी.वे उसके पास जाकर रूक गए. एक ने कहा – यहाँ अभी कूड़े-कचरे का ढेर पड़ा है. कितनी गंदी बदबू आ रही है.
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दूसरा बोला – मच्छर और मक्खियों की तो दावत हो रही है.
चलो कल इसकी सफाई कर देते हैं – कई बच्चे एक साथ बोल पड़े.
मैं एक बाल्टी लाऊंगा – एक लडके ने कहा.
दूसरे ने कहा – मैं झाडू लाऊँगा.
मैं ब्लीचिंग पाउडर लाऊंगी – किसी लडकी की आवाज आई.
हाँ, यह ठीक होगा – सबने सहमति जताई.
तो कल सुबह मिलेंगे – कहकर वे लौट गए.
दूसरे दिन दामोदर कालोनी के सभी बच्चे व्यस्त थे. उन्होंने झाड़ू और फावड़े से कूड़े को साफ किया. कचरे को बाल्टी में भरकर कूड़े के डिब्बे में डाला. जगह साफ कर वहाँ ब्लीचिंग पाउडर डाला.
दामोदर कालोनी साफ – सुथरी हो गई. तालाब का गन्दा पानी और कूड़े का ढेर कुछ न बचा. मक्खी ने मच्छरों से कहा – अब हमारे लिए यहाँ खाने-रहने को कुछ नहीं बचा. चलो, किसी नई जगह को ढूंढें. जहाँ हम रोग के कीटाणु लाएं और कालरा फैलाएँ. हम रोग फैलाएँगे. तभी लोग हमसे डरेंगे. मच्छर बोले – और हम लोग भी मलेरिया फैलाएँ.
मादा मच्छर बोली – तब तो मैं वहीं अंडे दूंगी और मेरा बड़ा – सा परिवार होगा.
मक्खी और मच्छरों का झुंड फिर किसी गंदी जगह की खोज में निकल पड़े.
इस कहानी में बच्चों की सक्रियता ने अपने कोलनी को मच्छर मुक्त कर दिया. इसी तरह से लोग यदि गंदगी के प्रति जागरूक हो जाएँ तो हमारा देश स्वच्छ और सुन्दर बन जाएगा. आइये आज हम सब संकल्प लेते हैं कि हम अपने आसपास को साफ़ सुथरा रखेंगें.
Srishty says
Excellent this answer is help me so much
aryan GusAin says
This is a nice short story