नौ दिल्लियों की कहानी जरुर जानें/Nine Delhis are historical Fact Hindi Article
जी हाँ, नौ दिल्लियों की कहानी एक ऐतिहासिक सत्य है. हमलोग सिर्फ नईं दिल्ली या पुरानी दिल्ली के बारे में जानते हैं लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दो नहीं, तीन नहीं कुल मिलाकर नौ नौ दिल्लियाँ हैं. आइये जानते हैं इन दिल्लियों के बारे में:
पहली दिल्ली
यदि हम हस्तिनापुर या इन्द्रप्रस्थ को छोड़ दें और लगभग दो हजार साल के इतिहास पर विचार करें तो पहली दिल्ली महरौली या क़ुतुब क्षेत्र में पड़ता था. महरौली में आज भी महाराज विक्रमादित्य (375 -413 AD) द्वारा स्थापित लौह स्तम्भ आज भी देखा जा सकता है. विष्णु मंदिर के अवशेष और कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद आज भी विद्यमान है. तोमर और चौहान वंशों के समय ढिल्ली यही थी और एक बड़े राज्य की राजधानी थी. मुहम्मद गोरी ने इसे कायम रखा लेकिन इसका नाम देहली या दिल्ली हो गया. इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी तबकाते नासिरी (मिन्हाज सिराज) और अन्य इतिहासकारों की किताबों में मिलता है.
दूसरी दिल्ली
आप सबने अलाउद्दीन खिलजी(1296-1316 AD) का नाम जरुर सुना होगा. उसने सीरी; शाहपुर गाँव और आस-पास की बस्तियां; बसाई. देवगिरी और कड़ा पर सफलता में इस स्थान का प्रभाव था, इसलिए उसने भावनावश इसे अपनी राजधानी के लिये चुना. ऐसा ही कार्य अकबर ने भी किया था और अपने दादा बाबर के विजय स्थल फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बनाई. किसी समय सीरी एक सुन्दर नगरी होती थी. इसमें ही अवस्थित सरोवर का जीर्णोद्धार कर उसे हौज- ए- अलाई कहा गया. बाद में इसे फिरोजशाह तुगलक ने मरम्मत कराकर हौज खास नाम दिया.
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तीसरी दिल्ली
सीरी के बाद नयी राजधानियों का सिलसिला चल पड़ा और इसी में तीसरी दिल्ली बनी, जिसे गयासुद्धीन तुगलक (1320-1325 AD) ने बनवाया. जी हाँ, तुगलकावाद ही तीसरी दिल्ली है. आज भी इसके भग्नावशेष देखे जा सकते हैं.
चौथी दिल्ली
मुहम्मद तुगलक (1325-1351) ने जहापनाह नाम से चौथी दिल्ली बसाई जिसे आजकल विजयमंडल के नाम से जानते हैं. यह वर्तमान मालवीयनगर के पास है. किसी समय यहीं पर 1000 खम्भों वाला महल था.
पांचवी दिल्ली
वर्तमान का कोटला फिरोजशाह पांचवी दिल्ली थी. इसे पहले फिरोजाबाद के नाम से जाना जाता था. किसी समय इसके तीन मंजिले इमारत के ऊपरी भाग पर लगे अशोक के स्तम्भ को देख तैमूर आश्चर्यचकित रह गया था. इसके तीन भाग हैं- मस्जिद, परियों के हमाम और मदरसे. इसे फिरोजशाह ने बसाया बनाया था.
छठी दिल्ली
इसका मूल नाम मुबारकाबाद था जिसे सैयद वंश (1414 -1451) के सुल्तान द्वारा बनवाया गया. इसे आज कोटला मुबारकपुर कहा जाता है. सुलतान इसके निर्माण कार्य को देखने 19 फरवरी 1414 को यहाँ आया था और उसी समय विरोधियों द्वारा उसे मार दिया गया.
सातवीं दिल्ली
हुमायूँ के दीनपनाह को सातवीं दिल्ली का गौरव प्राप्त है, हालाँकि इसे शेरशाह ने पूरा करवाया. इसे पुराना किला कहते हैं. कहा जाता है कि इसी स्थान पर इन्द्रप्रस्थ स्थित था. किला- ए- कोहना मस्जिद भी इसी के अन्दर स्थित है. संभव है कि 1556 से 1648 तक मुग़ल बादशाह दिल्ली आने पर यही रुकते हों.
आठवीं दिल्ली
मुग़ल बादशाह शाहजहाँ द्वारा निर्मित शाहजहाँनाबाद आठवीं दिल्ली है जिसे हम पुरानी दिल्ली के नाम से जानते हैं. लाल किला और जामा मस्जिद जैसे एतिहासिक धरोहर इसी सातवीं दिल्ली में स्थित हैं.
नौवी दिल्ली
नौवी दिल्ली ही नयी दिल्ली है जिसे अंग्रेजों ने 1911 में बसाई. पहले उनकी राजधानी कलकत्ता हुआ करती थी. नयी दिल्ली को राजधानी बनाने पर इसका बहुत तेजी से विकास हुआ. इसे लुटियन दिल्ली भी कहा जाता है क्योंकि इसके वास्तुकार एक अंग्रेज लुटियन थे. वर्तमान में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और सचिवालय तीन महान निर्माण कार्य इस क्षेत्र में अंग्रेजों द्वारा क कराये गए.
इस प्रकार दिल्ली का इतिहास महाभारत काल से लेकर आज तक हुआ है और हो ही रहा है. आज ऐसा लगता है कि ये सभी नौ दिल्लियाँ आपस में मिलकर एक समग्र दिल्ली, पूर्ण दिल्ली और भव्य दिल्ली बनती है और देश की राजधानी है. यह एक प्रसिद्द पर्यटन केंद्र है और अनगिनत ऐतिहासिक विरासतों को अपने आप में समाये हुए है.
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Jyotirmoy Sarkar says
Bahot aachchha laaga padH ke.
Amul Sharma says
very interesting facts….thanks for share…..