प्रस्तुत पोस्ट Mrityu Ka Devta Yamraj Hindi Story यमराज हिंदी कहानी में जीवन की नश्वरता को दिखाया गया है. मनुष्य पूरी जिन्दगी भाग दौड़ करता रहता है, झूठ -सच, फरेब का सहारा लेकर अपने जीवन के चैन और शुकून को खो देता है. लेकिन जब अंत समय आता है तो काल अपने ग्रास में ले लेता है. यह शाश्वत सत्य है कि जो आया है जो जाएगा अवश्य. आइये देखते हैं प्रस्तुत कहानी Mrityu Ka Devta Yamraj Hindi Story में मौत कितने रूप धारण करती है.
Mrityu Ka Devta Yamraj Hindi Story यमराज
जीवन पथ के प्रत्येक पथिक को एक दिन मरना होता है. कुछ लोग किसी आपदा के शिकार हो जाते हैं तो कुछ किसी विपदा के. कुछ सांप के डसने से मरते हैं तो कुछ बिच्छू के डंक मारने से. पर जैसे भी हो, सबकी मृत्यु निश्चित है.
एक बार एक बूढा आदमी रास्ते पर जा रहा था. चलते-चलते थक गया तो वह पत्थर पर बैठकर सुस्ताने लगा. अचानक उसकी नजर एक बहुत बड़े बिच्छू पर पड़ी. बिच्छू मुर्गे जितना बड़ा था. बूढ़े को देखते- देखते वह सांप में बदल गया और रेंगते हुए दूर चला गया. बूढा उसका पीछा करने लगा – ‘देखें यह क्या बला है’. सांप पूरे दिन और पूरी रात चलता गया. कभी इधर जाता कभी उधर थोड़े फासले से बूढा उसके पीछे लगा रहा.
अचानक वह एक सराय में घुसा और कई यात्रियों को मार डाला. फिर वह राजमहल में गया और राजा को अपना शिकार बनाया. फिर वह पानी की टंकी के सहारे रानी के निवास में घुसा और छोटी राजकुमारी को अपना ग्रास बनाया. सांप जहाँ भी जाता कुछ देर बाद वहाँ कोहराम मच जाता. बूढा छाया की तरह उसका पीछा करता रहा. चलते-चलते वे एक नदी पर पहुंचे. वहां कुछ फटेहाल यात्री बैठे थे. वे उस पार जाना चाहते थे, पर उनके पास नाव को देने के लिए पैसे नहीं थे. सांप ने लम्बी-तगड़ी भैंस का रूप धारण किया और नदी के किनारे जाकर खड़ा हो गया. उसे देखकर यात्रियों ने कहा –“यह भैंस अपने घर उस पार जाएगी. चलो इसकी पीठ पर बैठ जाएँ और इसकी पूछ पकड़ लें. इसके साथ हम भी उस पार पहुंच जाएँगे.”
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वे भैंस की पीठ पर जम गए. भैंस नदी में तैरने लगी. पर मझधार में पहुंचकर उसने ऐसी उछल-कूद मचाई की सब पानी में डूब गए. इस बीच बूढा भी नाव से उस पार पहुंच गया. दूसरे किनारे पर भैंस अदृश्य हो गयी. उसके स्थान पर एक सुंदर बैल खड़ा था. मोटे-ताजे बैल को बिना मालिक के डोलते देखकर एक किसान उसे घेर-घारकर अपने घर ले गया. बैल बहुत सीधा था किसान ने उसे अन्य मवेशियों के साथ बाँध दिया. रात के सन्नाटे में बैल ने फिर से सांप का रूप धारण किया और तमाम ढोर-डंगरों, भेड़ों और नींद में सोए किसान के घर वालों को डसा और रेंगकर बाहर आ गया.
बूढा छाया की तरह पीछा करता गया. थोड़ी देर में वे दूसरी नदी पर पहुंचा. वहाँ सांप सुंदर जवान औरत के रूप में बदल गया. कुछ देर बाद उधर दो सिपाही आते दिखे. वे दोनों सगे भाई थे. उनके पास आने पर औरत जोर-जोर से रोने लगी.
भाइयों ने पूछा –“ क्या बात है? तुम यहाँ अकेली क्यों बैठी हो?”
सर्पस्त्री ने जबाब दिया –“मैं और मेरा आदमी घर जाने के लिए नाव का इंतजार कर रहे थे वो हाथ-मुंह धोने नदी में गए और पाँव फिसल जाने से नदी में डूब गए यहाँ मेरा कोई नहीं. मेरे रिश्तेदार यहाँ से बहुत दूर रहते हैं.”
उसके सौन्दर्य से सम्मोहित बड़े भाई ने कहा –“तुम चिंता मत करो. मेरे साथ चलो मैं तुमसे ब्याह कर लूंगा और तुम्हारा हर तरह से ख्याल रखूंगा.”
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स्त्री ने कहा-“लेकिन तुम मुझसे घर का काम नहीं करवाओगे और मैं जो कहूँगी वो लाके दोगे. दोनों बातें तुम्हें मंजूर हो तभी मैं तुम्हारे साथ चलूंगी.”
बड़े भाई ने बड़े आदर से कहा-“दास की तरह मैं तुम्हारी आज्ञा का पालन करूंगा.”
“तो जाओ उस कुएँ से मेरे लिए एक लोटा पानी लेकर आओ. तब तक तुम्हारा भाई मेरे पास रहेगा.”
पर जैसे ही बड़ा भाई जाने के लिए मुड़ा उसने छोटे भाई से कहा – “चलो भाग चलें मैं तुम्हीं को चाहती हूँ . तुम्हारे भाई से पीछा छुड़ाने के लिए मैंने उसे पानी लाने भेज दिया”
छोटे भाई ने कहा-“ नहीं, नहीं, यह नहीं हो सकता. तुमने उसे ब्याह का वचन दिया है तुम मेरी बहन के समान हो.”
औरत को जैसे आग लग गई. बड़े भाई को पानी लाते देखकर वह बुक्का फाड़कर रोने लगी. वह और पास आया तो वह और चीखी-“ तुम्हारा भाई बहुत बुरा है इसने मुझसे कहा की मैं इसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें छोडकर इसके साथ भाग जाऊं!”
इससे पहले की छोटा भाई कुछ कहता बड़े भाई ने तलवार खींच ली. दोनों भिड गए. वे दिन-भर लड़ते रहे. शाम होते-होते दोनों नदी के किनारे निढाल होकर पड़ गए और दम तोड़ दिया. औरत फिर सांप में बदल गई. बूढा छाया की तरह पीछा करता गया.
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आखिर सांप सफेद दाढ़ी वाले बूढ़े में रूपांतरित हो गया. अपने जैसे एक बूढ़े को पीछा करने वाला बूढा साहस जुटाकर उसके पास गया और पूछा. “तुम कौन हो?”
सफेद दाढ़ी वाला बूढा मुस्कुराया- “मैं यमराज हूँ प्राणियों के प्राण हरना ही मेरा काम है. इसलिए लोग मुझे मृत्यु के देवता कहते हैं.”
बूढ़े ने याचना की- “मुझे मार डालो मैं कई दिनों से तुम्हारा पीछा कर रहा हूँ और तुम्हारा कार्य-कलाप देख रहा हूँ मैं अब जीना नहीं चाहता हूँ.”
यमराज ने सर धुनते हुए कहा- “नहीं अभी नहीं मैं उन्हीं को मारता हूँ जिनका समय पूरा हो गया है तुम्हें तो अभी आठ साल और जीना है”
यह कहकर वह अदृश्य हो गया. वह सचमुच मृत्यु का देवता था या कोई राक्षस था? कौन जानें.
प्रस्तुत कहानी Mrityu Ka Devta Yamraj Hindi Story से हमें यही शिक्षा मिलती है कि दुष्ट प्राणी अपनी दुष्टता कभी नहीं छोड़ता. मृत्यु एक अटल सत्य है. यह एक न एक दिन हर किसी को अपना ग्रास बनाती है. कभी सांप के रूप में कभी अन्य रूप में. जिस प्रकार इस कहानी में अनेक रूप धरकर यमराज ने अपना काम किया.
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Pipan Sarkar says
Pehli baar is tarah ki article padha hain aur bahut accha laga