प्रस्तुत पोस्ट Five Motivational Short Hindi Stories प्रेरक प्रसंग में कुछ कहानियाँ शेयर की जा रही हैं. ये हिंदी कहानियां हमारे आत्म विकास के लिए बहुत प्रेरक सिद्ध होंगी.
दीया तो जल ही रहा है
रात के अँधेरे में एक साधु चला जा रहा था. घोड़े की टाप सुनते ही उसे लगा कि सामने कोई घुड़सवार आ रहा है. साधु ने उस घुड़सवार को रास्ता दे दिया किन्तु यह घुड़सवार साधु के सामने आकर खड़ा हो गया.
‘साधु तुम मुझे नहीं जानते.’ साधु ने कहा, ’नहीं भाई, मैं तुम्हें नहीं जानता.’ घुड़सवार बोला, ’मैं इस क्षेत्र का प्रसिद्ध डाकू हूँ.’ साधु ने कहा, ‘ठीक है.’ डाकू ने कहा, ‘तुम्हें डर नहीं लगा.’ साधु ने कहा, ‘मैं सिर्फ भगवान से डरता हूँ.’
डाकू क्रोधित हो गया. उसने कहा, ‘साधु देख सामने टीले पर जो घर है उस घर को मैं पाँच बार लूट चुका हूँ.
अबकी बार साधु मुस्कुराया. साधु ने कहा अवश्य लूटा होगा परन्तु उस टीले पर दीया तो जल ही रहा है और तुम अभी तक अँधेरे में भटक रहे हो.
डाकू चुपचाप सिर झुकाये चला गया.
नैतिकता
महाभारत चल रहा था. कौरवों-पांडवों के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था. कर्ण और अर्जुन के बीच भयंकर बाण वर्षा हो रही थी.
अवसर पाकर एक भयंकर सर्प कर्ण के तुणीर में घुस गया. कर्ण ने बाण निकाला तो स्पर्श कुछ अनोखा लगा. उसने सर्प को देखा और आश्चर्य से पूछा तुम यहाँ किस प्रकार आ गये?
सर्प ने कहा, ’अर्जुन ने एक बार खांडव वन में आग लगा दी थी. उसमें मेरी माता जल गयी. तभी से मेरे मन में प्रतिशोध जल रहा है और इस ताक में था कि कोई अवसर मिले और मैं अर्जुन के प्राण हर लूँ. आप मुझे तीर के स्थान पर चला दें. मैं जाते ही अर्जुन को डस लूँगा. आपका शत्रु मर जाएगा और मेरा प्रतिशोध शांत हो जायेगा.’
कर्ण ने कहा, ‘नहीं, अनैतिक उपाय से सफलता पाने का मेरा तनिक भी विचार नहीं है. सर्प देव, आप वापस लौट जायें.’
तर्क
एक बार चोरी के अपराध में तीन अभियुक्तों को कौशल नरेश सजा देने ही वाले थे कि एक स्त्री ‘वस्त्र चाहिए वस्त्र चाहिए’ कहती हुई राजदरबार में आ पहुंची. नरेश ने आज्ञा दी कि ‘इस स्त्री को चादर दी जाए’. वह स्त्री बोली -महाराज क्या आपने यह श्लोक नहीं सुना?’
नग्ना नदी अनोदिका नग्न रटठ अराजिकं |
इत्थीपि विधवा नग्ना यस्सापि दस भातरो | |
अर्थात बिना पानी के नदी नग्न होती है, बिना राजा राजा के राष्ट्र नग्न होता है, विधवा स्त्री नग्न होती है चाहे उसके दस भाई ही क्यों न हों.
राजा ने कहा ‘इन तीन अभियुक्तों में से कोई तेरा क्या लगता है?’
राजा ने फिर पूछा ‘इनमें से किसी एक को मुक्त कर सकता हूँ. बोल किसे करूँ?’
स्त्री बोली ‘स्वामी तो मुझे दूसरा भी मिल सकता है. उसके मिलने पर पुत्रवती भी हो ही जाऊँगी मगर क्योंकि मेरे माता-पिता अब इस संसार में नहीं, इसलिए मुझे दूसरा भाई अब कभी नहीं मिलेगा.’
उस स्त्री के तर्क से प्रभावित होकर राजा ने तीनों को मुक्त कर दिया. इसलिए सही समय पर सही तर्क किसी के प्राण भी बचा सकता है या इसके विपरीत भी हो सकता है.
सत्संग का महात्म्य
एक बार की बात है. किसी विषय को लेकर दो महान ऋषियों में विवाद हो गया. अपने विवाद का समाधान करवाने वे शेष भगवान के यहाँ गए. विवाद का विषय यह था कि तपस्या बड़ी है या फिर सत्संग. दोनों ऋषियों की बातें सुनने के बाद शेष जी ने कहा – ‘मेरे सर पर तो सम्पूर्ण पृथ्वी का भार है. यदि आप दोनों में से कोई कुछ देर के लिए इस भार को अपने ऊपर उठा लें तो मैं इस विवाद का निपटारा कर दूँ.’
विश्वामित्र मुनि को अपनी तपस्या पर बहुत गर्व था. उन्होंने दस हजार वर्षों की अपनी तपस्या का फल देकर पृथ्वी को उठाना चाहा लेकिन उठा नहीं सके. अब ऋषि वशिष्ठ ने अपने सत्संग के आधे क्षण का फल देकर पृथ्वी के भार को सहज ही उठा लिया.
विश्वामित्र ने शेष जी से पूछा – ‘इतनी देर हो गयी आपने अपना निर्णय नहीं दिया?’
तब शेष जी ने कहा – ‘हे ऋषिवर! निर्णय तो हो गया. जब आधे क्षण के सत्संग की बराबरी दस हजार वर्षों की तपस्या से नहीं हो सकी तो सोच लीजिये कि दोनों में से कौन श्रेष्ठ है!
मानव जीवन सबसे सुन्दर
एक बार देवराज इंद्र स्वर्ग से पृथ्वी पर आये. उन्होंने घोषणा करवायी कि जिसे भी कोई वस्तु कुरूप लगती हो वह यहाँ आकर सुन्दरता में बदलवा लें. इस घोषणा के बाद असंख्य स्त्री- पुरुष आये और अपने कुरूप चीजों को सुन्दर करवा कर ले गए. कुछ दिनों के अन्दर ही धरतीवासियों ने इस अवसर का पूरा लाभ उठाया. बाद में तलाश करवाई गयी ऐसे लोगों की जो इस लाभ से वंचित रह गए हों.
पाया गया कि एकांत में एक छोटी कुटिया में रहने वाला एक साधु है जिसने कोई भी लाभ नहीं उठाया. जब उससे पूछा गया तो उसने बताया कि मानव जीवन से सुन्दर और कुछ भी नहीं और आत्मसंतुष्टि से बढ़कर और कोई आनंद नहीं. मेरे पास ये दोनों चीजें हैं. फिर मुझे इन्हें बदलने की क्या जरुरत!
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inspiring uday says
nice collection sir g sabhi kahaniya naitikata se bhari hai padhkar achha laga
thanks