Pollution Hindi Essay प्रदूषण पर हिंदी में निबंध
अहाता में फूल-पौधों के बीच कुछ लोग बैठे हों. वहाँ फूलों की खुशबू फैल रही हो. बैठे हुए लोग फूलों की खुशबू से प्रफुल्लित हो रहे हों. उसी समय अगर घर की नाली की बदबू नाक में समाने लगे तो कितना बुरा लगेगा ? खुशबू के वातावरण में बदबू समा जाना ! छि: छि: (Pollution Hindi Essay )
बिजली नहीं रहने पर गांव में अब भी लैम्प या लालटेन जलाया जाता है. उसकी टंकी या बत्ती के गंदा रहने से उससे धुंआ अधिक निकलने लगता है. इससे नाक में कालिख-सी जमने लगती है. आँखों में भी जलन होने लगती है और घर में कालिखयुक्त धुआं फैल जाता है. क्या ऐसा आपने कभी अनुभव किया है?
चावल, दाल,तेल, मसाले, दूध, घी, नमक, चीनी आदि सभी आवश्यकता के सामान आजकल प्लास्टिक-पैक में मिलने लगे हैं. सामान का उपयोग करने के बाद प्लास्टिक के पैकेट्स फ़ेंक दिए जाते हैं. इससे हर जगह कूड़े में प्लास्टिक के पैकटों का अम्बार-सा लगने लगा है. जहाँ देखो प्लास्टिक की थैली और गुटखे के रेपर बिखरे मिल जाते हैं.
कुछ लोग रास्ते में चलते-चलते मूंगफली,केला या नारंगी खाते रहते हैं. वे छिलका रास्ते में फेंकते जाते हैं. ऐसे लोगों की गलत आदत से सडकों पर गन्दगी फैलती है. इससे पैर फिसलने के कारण चलने वालों के गिरने की संभावना भी बनी रहती है. कई लोग गिर भी जाते हैं और उनके हाथ-पैर टूट जाते हैं.
घर का कूड़ा-कचरा सडकों पर फ़ेंक देना बहुत लोगों की आदत होती है. इससे सडकों पर गन्दगी फैलती ही है, लोगों को चलने में भी परेशानी होती है. सडक साफ नहीं रहने से यातायात निर्बाध नहीं रह पता. इससे लोगों को अनावश्यक रूप से हार्न बजाना पड़ता है.
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नाली की गन्दगी हो या लालटेन और लैंप का धुआं, कूड़े पर अनचाही प्लास्टिक की ढेर हो या रास्ते पर फेंके गए छिलके अथवा कूड़ा-कचरा-ये सभी प्रदूषण के रूप हैं. हमारी दैनिक क्रियाएं तरह-तरह से प्रदूषण फैलती हैं. हम थोड़ी चेष्टा से इन्हें रोक सकते हैं. इसके लिए हमें थोड़ा सा प्रयास करना पड़ेगा.
वैज्ञानिक उपलब्धियों का सम्यक प्रयोग आवश्यक है. ऐसा नहीं होने से भी प्रदूषण को बढ़ावा मिला है. प्रदूषण का हर रूप बड़ा नहीं होता. यह छोटा या लघु भी हो सकता है लेकिन छोटे या लघु प्रदूषण का प्रभाव भी छोटा या लघु हो – ऐसा जरुरी नहीं है. प्राकृतिक संसाधनों के सम्यक उपयोग की कमी और पर्यावरण को बिगड़ने से रोकने की आदत के अभाव ने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है.
प्रकृति एक सीमा तक ही प्रदूषण बर्दाश्त कर पाती है. प्रदूषण बढने पर प्रकृति समय-समय पर चेतावनी देती रहती है. लेकिन हम उसे समझ नहीं पते हैं. वर्ष 1992 में सोमालिया में पड़ा भीषण अकाल हो या कैलीफोर्निया से जार्जिया तक कभी पड़ा भीषण सूखा, या उत्तराखंड के केदारनाथ में आया भूस्खलन -ये इसी बात के संकेत हैं. हमारे देश में भी समय-समय पर सूखा या अकाल पड़ता रहा है. अनावृष्टि हो या अतिवृष्टि-प्रकृति से तालमेल नहीं बैठाने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है. बाढ़, सूखा, बहू-स्खलन, भू-क्षरण आदि के रूप में प्रकृति हमें बढ़े हुए प्रदूषण को रोकने के लिए लाल झंडी दिखाती रहती है.
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आदमी अपनी सुख-सुविधाओं पर अत्यधिक ध्यान देता है. वह आम तौर पर प्रकृति की प्रवाह नहीं करता. प्रदूषण का मुख्य कारण यही है और प्रकृति ऐसी कारण विचलित होती है.
प्रदूषण हवा या पानी तक सीमित नहीं रह गया है. ध्वनि एवं दृश्य प्रदूषण से भी समस्या उत्पन्न होती है. महानगरों में ऐसी समस्याएं आम हैं. रेडियोधर्मी कचरा ने भी प्रदूषण को कुप्रभावित किया है. बढ़े हुए प्रदूषण से अंतरिक्ष के ओजोन परत में छेद हो गया है.
प्रकृति ने प्रदूषण से निपटने की अपनी व्यवस्था की हुई है. लेकिन अत्यधिक प्रदूषण को प्रकृति नहीं झेल पाती. इससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है. असंतुलन का मतलब है प्रकृति का छिन्न-भिन्न हो जाना. प्रदूषण की मार नहीं झेल पाने के कारण धरती के अनेक जीव विलुप्त हो चुके हैं. कुछ जीव विलोपन के कगार पर पहुँच गए हैं.
हमारी, परिवार की, समाज की, देश की और धरती की सुरक्षा आवश्यक है. यह तभी संभव है, जब हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकें. बूंद-बूंद से घडा भरने की कहावत हम सबने सूनी है. यदि थोडा-थोडा भी प्रदूषण रोका जा सके तो पर्यावरण की रक्षा अवश्य हो जाएगी.
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आज के छात्रों और युवाओं से विशेष उम्मीद है. वही कल की दुनिया कैसी हो – को निर्धारित कर सकते हैं. आज के युवा बेहतर तरीके से इस प्रदूषण रूपी दैत्य का संहार कर सकते हैं. आज से ही छोटी-छोटी प्रदूषण फ़ैलाने वाले चीजों की पहचान कर पहले स्वयं उसका पालन करें और बाद में अन्य लोगों को इसके लिए जागरूक करें, तभी जाकर प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है.
आइये आज हमसब संकल्प लें कि हम अपने आस -पास को साफ़ रखेंगे और लोगों को भी ऐसा करने को बिना उनपर व्यंग्य किये, या उनको कुछ कहे उनको प्रेमपूर्वक प्रदूषण से उपजी समस्याओं से रूबरू कराकर, उन्हें भी प्रदूषण में लड़ाई का अपना साथी बना लेंगे.
Poorvika says
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