चिंता को चिता के समान कहा गया है. चिंता के लिए कई शब्द प्रयुक्त होते है – फिकर, ज्यादा सोचना, worry, anxiety, stress आदि आदि. प्रस्तुत पोस्ट Worry Burst Rule in Hindi चिंता को दूर भगाएं में हम कुछ ऐसी तकनीक या तरीके जानेगे जिसे अपनाकर चिंता को फोड़ा जा सकता है या उसे भगाया जा सकता है.
Worry Burst Rule in Hindi चिंता को दूर भगाएं
अपनी चिंता को कैसे फोड़े, तोड़े और अपने से दूर करें:
चिंताओं को उड़ाने के श्रेष्ठ तरीकों में से एक है हर परिस्थिति जो आपको चिंता या उत्सुकता देती है, में ‘चिंता फोड़’ का इस्तेमाल करना. चिंता फोड़ तरीके को इस्तेमाल करने के चार तरीके हैं.
पहला कदम : चिंता की परिस्थिति को स्पष्ट करें. आप सही से किस चीज के बारे में चिंता कर रहे हैं?
अनेक लोग किसी अज्ञात चीज के बारे में चिंता करते हैं. उनके विचार उलझे होते हैं. बच्चे जैसे रात में करते हैं, वे किसी ऐसी चीज के बारे में उत्सुकता की भावनाएँ महसूस करते हैं जिसके बारे में वे खुद कुछ नहीं जानते. या उनके पास पूरी जानकारी नहीं होती, जिसके कारण वे प्रतिक्रिया कुछ ज्यादा ही करते हैं.
चिकित्सा विज्ञान में कहा है, ’सही निदान आधा इलाज है.’ अपनी परेशानी को सही से समझाने की क्रिया, अगर सम्भव हो सके तो लिख कर, अकसर तत्काल हल सुझा देती है जो परेशानी की परिस्थिति को पूरी तरह खत्म कर देता है.
दूसरा कदम : इस चिन्तायुक्त परिस्थिति का बुरे-से-बुरा सम्भव नतीजा निकालें. बुरा-से-बुरा जो सम्भव है वह क्या हो सकता है?
अधिकतर नकारात्मक भावनाएँ और चिन्तायुक्त परिस्थितियाँ नकारने से पैदा होती हैं. लोग बहुत अधिक तनाव महसूस करते हैं क्योंकि वे किसी परिस्थिति की वास्तविकता स्वीकार नहीं करते. वे इसे सच नहीं बनाना चाहते. वे आशा करते हैं कि इसे अनदेखा करने से यह खत्म हो जायेगी या यह इतनी संजीदा नहीं होगी. पर यह तरीका काम नहीं करता.
इस परेशानी भरी परिस्थिति के कारण होने वाली ऐसी किसी चीज को जो होनी सम्भव होती है जब आप पहचान लेते हैं, तो आप अकसर पाते हैं कि उसका नतीजा उतना बुरा नहीं होता जितना आपने सोचा होता है. यह किसी रिश्ते का अंत हो सकता है, पर इससे आपकी मौत नहीं आ सकती. इसमें आपका धन फिजूल खर्च हो सकता है पर आप दिवालिया नहीं हो सकते. अगर आप दिवालिया हो भी गये, तो चिन्तायुक्त परिस्थिति वास्तविकता है, न कि समस्या और इसका सामना करना ही है. आप बाद में पैसा वापस कम सकते हैं, कुछ और काम करके किसी और तरीके से और किसी अन्य जगह पर सकारात्मक सोच रखें.
अगर आप किसी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या का सामना करते हैं, तो इसका सामना सीधे से करें. अपने साथ खेल खेलना छोड़ दें. समस्या सुलझाने के लिए जो हो सकता है वह करें, और फिर विशेषज्ञों और श्रेष्ठ लोगों से सलाह लें.
तीसरा कदम : बुरे-से बुरा होने पर भी उसे स्वीकार करना सीखें.
बुरे-से-बुरा सम्भव नतीजा स्वीकारने और पहचानने से मुँह मोड़ना ही तनावग्रस्त स्थिति पैदा करता है. एक बार आप बुरा होने पर उसे स्वीकारना शुरू कर दें आपका तनाव अपने आप गायब हो जाएगा. आप अचानक शांत व सकून में महसूस करने लगते हैं. जब आप अस्वीकृति को स्वीकृति में बदल देते हैं तो आप परिस्थिति का पूरा मानसिक व भावनात्मक नियन्त्रण अपने हाथ में ले लेते हैं.
चौथा कदम : बुरी चीज को सुधारना तुरंत शुरू कर दें.
नुकसान को कम करने के लिए आप जो भी कर सकते हैं करें, लागत को काबू करें और अपना नुकसान कम करें. अपनी मुश्किलों को हल करने के अभियान में इतना व्यस्त हो जायें कि आपको चिंता करने का वक्त ही न मिले.
अब ऐसा करें
हाल ही में हुए अपने किसी नुकसान के बारे में सोचें और स्वयं से नीचे लिखे चार सवाल पूछें. इन सवालों का उत्तर देते वक्त स्वयं का ध्यान से निरीक्षण करें और देखें कि प्रतिक्रिया उस परिस्थिति के बारे में आपके अनुभव बदल देती है.
वास्तव में क्या हुआ था ?
यह कैसे हुआ ?
इसके बारे में क्या किया जा सकता है ?
अब हम क्या प्रतिक्रिया करेंगे ?
यह एक बहुत ही कारगर तकनीक है. इसे अपनाकर चिंता/तनाव/स्ट्रेस को दूर किया जा सकता है.
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Mohan Manohar Mekap says
Nice stress busters. Nice article.
atoot bandhan says
बहुत अच्छा , जानकारीयुक्त लेख