प्रस्तुत पोस्ट Holi Festival Symbolizes Victory of Good over Evil यानी होली का पावन त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, में हम होली पर्व की पौराणिकता के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे.
क्यों मनाई जाती है होली
हमारा देश भारत एक विशाल देश है। यहाँ कई तरह के पर्व त्यौहार मनाए जाते हैं। इनमें होली और दीपावली सबसे प्रमुख हिंदू त्यौहार हैं। होली का पर्व भक्ति की शक्ति को दर्शाने वाला पर्व है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत को प्रदर्शित करता है। आपने भक्त प्रहलाद और होलिका की पौराणिक कथा अवश्य सुनी होगी।
होलिका दहन से संबंधित पौराणिक कथा
होलिका दहन से संबंधित कथा हमारे धार्मिक ग्रंथों में मिलती है। भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। वे सदैव अपने इष्ट की भक्ति में लीन रहते थे। उनके पिता हिरनकश्यप बहुत ही दुराचारी और दंभी था। वह स्वयं को ईश्वर समझता था। इसलिए वह अपने पुत्र प्रह्लाद को श्री हरि विष्णु की आराधना से रोकता था। वह श्री हरि विष्णु से बैर-भाव रखता था तथा अपने शक्ति व वैभव के बल पर अपने को ही भगवान मानने के लिए दबाब डालता था। वह राक्षसी प्रवृत्ति का था, वह देवताओं का भी विरोध करता था।
राक्षस के घर में ईश भक्त का जन्म
जैसा कि आपको पता है कि हिरनकश्यप देव, गुरू, ब्राह्मण, यज्ञादि सभी का विरोधी था। परन्तु प्रभु कृपा से उसका अपना पुत्र जिनका नाम प्रहलाद था, वे ईश्वर की भक्ति में बचपन से ही लीन रहता था। एक दिन की बात है, भक्त प्रह्लाद अपने आराध्य श्रीहरि विष्णु की आराधना में लीन थे। उनके पिता जो कि भगवान विष्णु के घनघोर विरोधी थे, ने उनको आगे से भूलकर भी विष्णु की आराधना न करने का आदेश दिया।
भक्त के लिए भगवान से बड़ा कुछ नहीं होता…
अपने पिता की बातों का प्रहलाद पर कोई असर न हुआ और वे निरंतर श्री हरि विष्णु की आराधना में तल्लीन रहे, उनका नाम जप करते रहे, उनका ध्यान और स्मरण करते रहे।
जब यह बात उनके पिता को पता चली तब उसने उनके इस कृत्य की सजा देने के लिए तरह –तरह के कष्ट दिए। अपने सैनिकों को आज्ञा देकर प्रह्लाद को मतवाले पागल हाथी के सामने डलवा दिया। किन्तु श्री हरिकृपा से वह हाथी उसे मारने के बजाए अपनी पीठ पर बिठा लिया और वह हाथी की पीठ पर बैठकर खेलता रहा, उस बालक का कोई भी नुकसान नहीं हुआ। उसके पिता ने उस बाल भक्त को अनेकों तरह के कष्ट व पीड़ाएं देता रहा है।
अपनी बहन होलिका द्वारा आग में डलवाना
हिरनकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। उसको यह वरदान प्राप्त था, कि वह आग में जल नहीं सकती। क्योंकि उसके पास एक ऐसी चादर थी जिस पर अग्नि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था।
एक दिन उसने उसे आग में जलाने के उद्देश्य से उसकी बहन होलिका को कहा कि वह उसको आग में लेकर बैठ जाए और उसे आग में जलाकर भस्म कर दे। परन्तु हरि इच्छा से उल्टा हुआ जब राक्षसी समूह का अगुवा हिरनकश्यप अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को बैठाकर आग लगा दी। प्रह्लाद आग से सुरक्षित बचकर निकल आया, किन्तु उसकी कपटी बहन जलकर खाख हो गई।
बुराई पर अच्छाई की जीत है होली
कहा जाता है कि तब से आज तक होली के एक दिन पूर्व जिसे कई जगह पर छोटी होली या कई स्थान पर सम्मत जलाना कहते हैं, मनाया जाता है। इसमें लकड़ियों को इकठ्ठा कर विधिवत उसकी पूजा कर उसमें अग्नि प्रज्वलित की जाती है। कहा जाता है कि जब अग्नि जलाई जाती है उस समय उसमें श्री हरि विष्णु का आगमन होता है। लोग उस जलती अग्नि की प्रदक्षिणा भी करते हैं। गेहूं की नई बालियाँ और चने के फल लगे पौधे को आग में पकाकर नए फसल का उत्सव भी मनाते हैं। उसके अगले दिन होली का पावन और सलिल पर्व मनाया जाता है।
ग्लोबल होली
आजकल सोशल मीडिया और मोबाइल फ़ोन का जमाना है। लोग फेसबुक और whatsapp पर तरह तरह के सन्देश और विडियो शेयर करते हैं।
आज होली ग्लोबल हो चुका है। यह एक मदमस्त कर देने वाला पर्व है। यदि आप इसके दूसरे पहलू को देखें तो यह एक ऐसा पर्व है जो आपको पूर्णतः destress यानी तनावरहित कर देता है। इसलिए लोग इसे विदेशों में भी मनाने लगे हैं।
यह पर्व एकता, भाईचारा, प्रेम. सहिष्णुता, भक्ति, जीवन के विविध रंगों, भारतीय सभ्यता और संस्कृति, स्वच्छंदता, राग, संगीत, गायन, वादन, आल्हाद, अल्हड़पन आदि को अपने में समेटे है।
बेहतरलाइफ फाउंडेशन की ओर से आप सभी को रंगों के त्यौहार होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! आप सभी स्वस्थ रहें और जीवन में हमेशा आगे बढ़ें! धन्यवाद!
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Nitin Maheshwari says
बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है होली। कृपया कर के ऊपर मे लिखे संदेश को सही करे.
Pankaj Kumar says
आपका बहुत बहुत धन्यवाद नितिन! आप हमारे ब्लॉग पर पधारे और पोस्ट पढ़कर सुधार हेतु सलाह दिया. हमने अपने इस पोस्ट में सुधार कर दिया है. आपका आभार!