Differences Between Guarantee and Warranty गारंटी और वारंटी में अन्तर
आज का जमाना लोक लुभावन वादाओं का है? चाहे राजनैतिक दल हो या मार्केटिंग कंपनी – दोनों नए -नए वादा कर अपने वोटरों या ग्राहकों को अपनी ओर खींचने का प्रयास करते हैं.
प्रस्तुत post में हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि what are differences between guarantee and warranty? यानि गारंटी और वारंटी में अन्तर है. प्रायः यह देखा गया है कि एक ग्राहक या उपभोक्ता गारंटी और वारंटी के बीच अंतर को समझ नहीं पाता है और कम्पनी के छलावे में आकर फंस जाता है.
यदि आप यह चाहते हैं कि कोई भी कम्पनी आपको बेबकुफ़ न बना पाए या आपके साथ छल न कर सके तो आप इस post को ध्यान से पढ़ें. यह जानकारी आपको एक जागरूक ग्राहक बनाने में आपकी बहुत मदद करेगा.
हालांकि गारंटी और वारंटी दोनों शब्द उच्चारण के हिसाब से समान ही मालूम पड़ते हैं, लेकिन सिद्धान्ततः दोनों में बहुत अन्तर होता है. गारंटी में जहाँ किसी वस्तु के खराब होने पर कम्पनी उसे बदल देती है, वहीं वारंटी में कम्पनी या उसका सर्विस सेंटर उसका मरम्मत कर आपको वह सामान वापस कर देती है. हाँ यदि कोई पार्ट या कल पुर्जा ख़राब हो गया है तो कंपनी उसे भी बदल देती है. समय के साथ -साथ अपने लाभ को देखते हुए ज्यादातर कम्पनियों ने गारंटी का सिस्टम पूरी तरह से समाप्त कर दिया है. आप कोई भी सामान खरीदने जाएँ, चाहे वह पंखा हो या आयरन हो या फिर टीवी या फ्रिज. बहुत सारे वादों के बावजूद आपको वारंटी ही देंगी, गारंटी नहीं देगी.
Differences Between Guarantee and Warranty गारंटी और वारंटी में अन्तर के अलावे इसे भी पढ़ें: आमदनी के नए स्रोत खोजें
कई बार गारंटी और वारंटी में समय सीमा का भी अंतर होता है. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ज्यादातर कम्पनियों वारंटी में 5, 7 या 9 साल तक का कवर देती हैं. लेकिन गारंटी में यह समय-सीमा बहुत कम होती है. मसलन, एक या दो साल. गारंटी और वारंटी के बीच का अंतर न समझ पाने के कारण ज्यादातर ग्राहक लम्बे समय के धोखे में आकर गारंटी की बजाय वारंटी का चयन कर लेता है, जिसका नुकसान उनको बाद में उठाना पड़ता है.
बहुत कम कम्पनियां ही ग्राहकों को गारंटी देने का जोखिम उठाती हैं, क्योंकि ऐसे में उन्हें पूरा सामान रिप्लेस करना पड़ता है, जबकि वारंटी अवधि में सिर्फ मरम्मत से ही काम चल जाता है.
कुछ दुकानदार ग्राहकों को बेवकूफ बनाकर वारंटी की अवधि में भी मरम्मत करने के बदले कुछ रकम वसूलते हैं या मरम्मत करने से इंकार के देते हैं. ऐसी स्थिति में आप उपभोक्ता न्यायालय या कंज्यूमर कोर्ट की शरण में जा सकते हैं.
किसी दुकानदार या कम्पनी द्वारा आप बेवकूफ न बनें.
इसलिए आपको नीचे दिए गए बातों पर जरुर ध्यान देना चाहिए.
• जब भी आप कोई सामान खरीदें, उसका बिल अवश्य लें.
• अगर वारंटी अवधि में कम्पनी मरम्मत करने से इंकार कर रही है तो आप कंज्यूमर कोर्ट की मदद लें.
• वारंटी अवधि के दौरान मरम्मत के लिए कोई भी रकम का भुगतान नहीं करें.
• प्रायः लोग टीवी या अखबार के विज्ञापन को सही मानकर उसे पूरी तरह से सच मान लेते है. आप कई बार पाते हैं कि नीचे छोटे अक्षर में शर्ते लागू लिखा होता है. यहीं कम्पनी अपने बचने का रास्ता ढूंढ लेती है.
• अगर डील से सम्बन्धित किसी कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने की नौबत आए, तो उसे अच्छी तरह से पढ़ें और प्रत्येक शर्त समझने के बाद ही उसपर दस्तखत करें.
इन उपायों को करने के बाद आप कम्पनी के छलावे से बच सकते हैं और अच्छी खरीददारी कर सकते हैं. Happy Shopping to All!
Differences Between Guarantee and Warranty गारंटी और वारंटी में अन्तर के अलावे इसे भी पढ़ें:
- जोशीले और साहसी बनिये!
- बचत एक आदत है
- कैसे बनें आर्थिक रूप से स्वतंत्र
- हमेशा क्वालिटी कैसे और क्यों खरीदें
- आप अपना वेतन कैसे बढवाएं?
- अपने पैसे से काम करवाएँ
Join the Discussion!