प्रस्तुत पोस्ट Howto Manage Tension Tips in Hindi में हम तनाव से संबंधित विभिन्न पहलूओं पर विचार करेंगे.
तनाव के बारे में समझ और उसका योग द्वारा समाधान
पारंपरिक जीवन शैली से आधुनिक जीवन शैली की ओर तेजी से अपनाने के कारण आज तनाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुका है। आधुनिक जीवन परेशानी, टाइम लाइन, उदासी और इच्छाओं से भरा हुआ है। तनाव किसी भी तरह के परिवर्तन हेतु शरीर द्वारा की जानेवाली प्रतिक्रिया है। मानव शरीर बदलावों के प्रति शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया करता है।
तनाव के प्रकार
यदि हम तनाव के प्रकार की बात करें तो ये कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे- तीव्र या दीर्घ समय तक रहने वाला का तनाव, भौतिक या मनोवैज्ञानिक तनाव एवं दर्दनाक या दैनिक परेशानी देनेवाला तनाव। दीर्घ तनाव मस्तिष्क कोशिका विकास में और मस्तिष्क अनुकूलन में विघटन का कारण बन सकता है, जो व्यक्ति के शरीर और संज्ञान को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। पर तनाव का शरीर पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों रुप से प्रभाव पड़ता है । दूसरी ओर तनाव हर व्यक्ति के लिए एक बिन्दु (सीमा) तक ही खराब होता है, यह दबाव में अच्छा प्रदर्शन करने एवं व्यक्ति को अपने संपूर्ण नियोजन हेतु प्रेरित करने में मदद भी कर सकता है। इसलिए यह कई समायोजन या अनुक्रिया हेतु आवश्यक भी है।
वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार गलतियाँ, बाधाएँ एवं असफलताएँ सीखने एवं भविष्य की नकारात्मक घटनाओं से मुकाबला करने, बड़े संसाधनों के निर्माण को संभावित करने का अवसर प्रदान करती है। अत: हम तनाव के लक्षणों को पहचानकर, उनके हानिकारक प्रभावों को कम करके अपनी रक्षा कर सकते हैं।
तनाव के कारण
1. व्यक्तिगत कारण:
इसमें व्यक्तिगत समस्यायें आती हैं, जैसे- शारीरिक समस्याएँ: लंबी अवधि की बीमारियाँ जैसे हृदय रोग, डायबिटीज या गठिया ।
* भावनात्मक समस्याएँ: क्रोध को व्यक्त न कर पाना, अवसाद, दु:ख, अपराध या आत्मसम्मान का लो होना।
* संबंध संबंधित: अपने संबंधों से जुड़ी समस्याएँ। इसमें मित्रता की कमी का अनुभव करना, अपने जीवन में सहारे की कमी अनुभव करना।
* जीवन के बड़े बदलाव: जैसे अचानक पति-पत्नी या अभिभावक की मृत्यु का सामना करना, अपनी नौकरी खोना, शादी होना, नये शहर में जाना या नये शिशु का जन्म।
* पारिवारिक वातावरण से संबंधित तनाव: परिवार का कोई सदस्य जो स्वयं तनाव में हो या परिवार का कोई बड़ा सदस्य जो परिवार के सदस्यों को चिंतित कर रहा हो या वह स्वास्थ्य समस्या से ग्रसित हो।
* विश्वास और मूल्यों के बीच संघर्षगत तनाव: जैसे कोई पारिवारिक जीवन को मूल्यवान बना सकता है, परंतु अपने परिवार के लिए पर्याप्त समय देने में असमर्थ हो।
2. सामाजिक और स्वावलम्बन परक कारण:
* आसपास का वातावरण: जहाँ अत्यधिक भीड़ हो, अपराध, प्रदूषण या शोर जैसी समस्या में हों, ऐसे क्षेत्र में रहने से हम तनावग्रस्त होते है।
* सामाजिक स्थिति: अपने खर्चों को वहन करने हेतु पर्याप्त धन न हो, अकेलापन अनुभव करना, भेदभाव का सामना करना, अपनी जाति, लिंग, उम्र या यौन के प्रति नकारात्मक मनोदशा।
* कार्य/नौकरी: अपने कार्यों से प्रसन्न न रहना।
* बेरोजगारी: नौकरी खोना या काम पाने की असमर्थता के कारण भी तनाव का स्तर बढ़ता है।
तनाव के चिह्न और लक्षण :
दी गयी सूची में तनाव के सामान्यचिह्न और लक्षण हैं। इसके अंतर्गत जिस व्यक्ति में जितने अधिक तनाव के चिह्न और लक्षण मिलेंगे, उसमें तनाव का स्तर उतना अत्यधिक माना जाएगा।
Cognitive Symptoms संज्ञानात्मक लक्षण
* स्मृति लोप की समस्या
* एकाग्रता में कमी की समस्या
* खराब निर्णय लेने के कारण
* केवल नकारात्मक दृष्टि
* चिंतित रहना अथवा तीव्र चिंतन
* लगातार चिंतित रहना आदि।
Emotional Symptoms भावनात्मक लक्षण
- मनमौजी स्वाभाव
* चिड़चिड़ापन या कम सहनशक्ति
* आकांक्षा, सुखद अनुभूति में असमर्थता
* अपने आपको आरोपित करना या मन का भारीपन
* अलगाव और एकाकीपन अनुभव करना
* अवसाद या सामान्य खिन्नता आदि।
शारीरिक लक्षण
* दर्द
* अतिसार या कब्ज़
* मितली, चक्कर
* छाती दर्द, तीव्र हृदय स्पंदन
* यौन संबंध की दीर्घकालिकता में कमी
* प्राय: सर्दी लगना
व्यवहारिक लक्षण
* अत्यधिक या कम खाना
* अत्यधिक सोना या जागना
* अन्यों से खुद को अलग दिखाना
* जिम्मेदारियों को अस्वीकार करना
* ताजगी के लिए एल्कोहल, सिगरेट, दवाई का प्रयोग करना
* तंत्रिकीय आदतें (जैसे-नाखून काटना, पैर हिलाना या जिम्मेदारियों से भागना (टालमटोल करना)
योग करें और तनावों से पायें निजात:
योग एक शारीरिक-मानसिक अभ्यास है, जो खिंचाव वाले अभ्यास, आसन, नियंत्रित श्वास-प्रश्वास, प्राणायाम और विश्राम का सेट है। योग आंतरिक शक्ति की वृद्धि करने में सहायता करता है, जो हमें तीव्र भय, हताशा और चुनौतियों से प्रतिदिन निपटने में मदद करता है। योग का अभ्यास श्वास को नियंत्रित करने में और विश्राम में सहायता करता है, साथ ही बड़े मांसपेशी समूहों और शरीर के सभी भागों से उपजात पदार्थों को निकालते हुए तनाव को आसानी से बाहर निकालता है, मस्तिष्क में ताजा रक्त, आक्सीजन एवं अन्य पोषक तत्व की आपूर्ति होती है। अंतत: अच्छे स्वास्थ्य की अनुभूति बढ़ाता है।
यौगिक अभ्यास श्वास-प्रश्वास को पूरी तरह से धीमा एवं गहरा कर देता है। फलत: हृदय दर, श्वास दर धीमा एवं रक्त दाब कम होने से स्वायत्त तंत्रिका तंत्र का जागरण होता है। हम विश्राम और पचित अवस्था में जाकर पराअनुकंपी तंत्रिका तंत्र के जागृत होने से बहुत सुखद अनुभव करते हैं।
योग की शिक्षा हमें नकारात्मक अवस्था से दूर, वर्तमान में जीने को निर्देशित करती है, बड़े अर्थ में आत्म नियंत्रण देती है। योग का अभ्यास अच्छे हार्मोन जैसे एण्डार्फिन का स्रावण बढा़कर व्यक्ति को प्रसन्नता का आभास कराती है। अत: हम कह सकते हैं कि यौगिक जीवन शैली और यौगिक अभ्यास शरीर की तनावयुक्त प्रतिक्रिया को व्यवस्थित (समंजित) कर सकती हैं और तनाव के साथ प्रभावी रूप से कार्य करके जीवन को तनाव मुक्त करते हुए जागरुकता में वृद्धि करती है।
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Vashishti says
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