Tension Global Problem Hindi Article तनाव एक विश्वव्यापी समस्या
वर्तमान समय में तनाव एक अभिशाप है. पूरी दुनिया में आज ज्यादातर लोग मानसिक तनाव यानी mental tension से ग्रसित होते जा रहे हैं. यह आधुनिक बेतरतीब और औद्दोगिक समाज की उपज है. आज के तथाकथित सभ्य समाज तथा यांत्रिक युग में मानसिक दबाव एवं तनाव बिलकुल आम बात हो गयी है. कुंठा, हताशा, निराशा, चिंता, डिप्रेशन, भ्रम, असंगत भय आदि तनाव के ही पर्याय बन गए हैं. इसीलिए आज के वैज्ञानिक युग को ‘चिंता का युग कहा गया है. चिंता तो चिता के समान होती है. प्रस्तुत पोस्ट Tension Global Problem Hindi Article में हम इसकी चर्चा करेंगे.
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक तथा कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रो.जेम्स सी. कोलमैन के मुताबिक़ – “सत्रहवीं शताब्दी पुनर्जागरण काल, अठारहवी शताब्दी बौद्धिक काल, उन्नीसवीं शताब्दी प्रगति का काल और बीसवीं शताब्दी चिंताओं या तनावों का काल है. वाल्टर टेम्पिल ने भी आधुनिक युग में मनुष्य की जिन्दगी पर सटीक टिप्पणी करते हुए कहा है – ‘मनुष्य रोते हुए पैदा होता है, शिकायत करते हुए जीता है और अंततः निराश होकर मर जाता है.”
Report of the WHO (Tension Global Problem Hindi Article)
दुनिया भर में लोग आज मानसिक तनाव से ग्रसित हैं. यह एक भयावह और विश्वव्यापी समस्या है. World Health Organisation के अनुसार दुनिया की आबादी के दो से तीन प्रतिशत व्यक्ति किसी न किसी मानसिक तनाव से पीड़ित हैं और वे वर्तमान समय में यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है. आज के नवयुवक और वृद्ध इससे सबसे अधिक पीड़ित, परेशान और बदहवास हैं. सामाजिक मूल्यों के लगातार गिरावट और पश्चिमी सभ्यता का सीधा प्रभाव नई पीढी पर पड़ रहा है.
आज युवाओं की सोच और चिन्तन में बदलाव आ गया है. इनमें confusion और tension घर कर चुका है. युवकों में moral values का ह्रास हो रहा है, इनमें adjust करने की क्षमता घट रही है. फलस्वरूप मानसिक असंतुलन और आत्महत्या की प्रवृति तेजी से बढ़ रही है. आत्महत्या की खबर सुर्ख़ियों में आ रही हैं. समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, लूट-खसोट, अशांति का कारण तनाव ही है. मन और शरीर की एक ऐसी अवस्था ही तनाव है, जिसमें व्यक्ति अपने भावों और मांसपेशियों में सतत जकडन का अनुभव करता है. उसका शरीर और मन दोनों क्षुब्ध रहता है. वह एक सामान्य व्यक्ति की तरह कार्य नहीं कर पाता है.
Impact of Tension on Body
Tension का impact शरीर और मन दोनों पर पड़ता है. तनाव का तात्पर्य है – खिंचाव, कड़ापन और दबाव. यह कहीं न कहीं मन के विकार शारीरिक बीमारियाँ पैदा करते हैं. मानसिक तनाव शारीरिक रोगों को जन्म देते हैं. मन तथा शरीर का संबंध बहुत ही गहरा होता है. दोनों एक दूसरे पर असर डालते हैं. हमारे सामान्य जीवन को जो भी परिस्थिति अस्त-व्यस्त कर दे, उसे दबाव या तनाव पैदा करने वाली परिस्थिति कहा जाता है. मनुष्य के मष्तिष्क में पैदा होने वाले ईर्ष्या, द्वेष ‘प्रतिस्पर्धा, घृणा, भय, लालच और मोह भी तनाव उत्पन्न करते हैं.
जब कभी भी कोई विपरीत परिस्थिति किसी व्यक्ति के सामने उपस्थित होती है, उसका Internal Systems स्वत: सक्रिय हो उठता है. शरीर के अंत:स्रावित ग्रन्थियों में बदलाव होने लगता है खास रूप से hypothalamus, pituitary gland, adrenal gland तथा central nervous system का sympathetic nervous system विशेष रूप से सक्रिय हो जाता है. जिसके कारण शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं:-
टेंशन का शरीर पर प्रभाव
1. मुंह में स्थित र ग्रन्थियों का कार्य रूक जाने से सूख जाता है. मुख में स्थित लार-ग्रन्थियों का रस पीसे हुए भोजन में मिलकर उसे पिंड का रूप देता है. लार-नलिकाओं के द्वारा लार का स्राव मुँह में आता है. भोजन में स्टार्च युक्त पदार्थ लार में स्थित है.’टायलिन’ (Ptyalin) के साथ रासायनिक क्रिया के द्वारा शर्करा में परिवर्तित होता रहता है. तनाव की वजह से यह प्रक्रिया रूक जाती है और पाचन अव्यवस्थित हो जाता है. मुँह सूख जाता है.
2. तनाव में पाचन क्रिया मंद या रूक जाती है. तनाव की अवस्था में भूख समाप्त हो जाती है. भोजन करने की इच्छा नहीं होती है. यदि किसी तरह भोजन ले भी लिया, तो वह पचता नहीं है. पेट भरा-भरा लगता है. कब्ज बना रहता है. डकारें आने लगती हैं. पेट की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं. आज के युग में पेट की अधिकांश बीमारियाँ तनाव के कारण ही उत्पन्न होती हैं.
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3. मनुष्य में तनाव की स्थिति में यकृत द्वारा संग्रहीत शर्करा को अतिरिक्त रूप से रक्त प्रवाह में छोड़ा जाता है, जिसके माध्यम से उसे हाथ-पैर की मांसपेशियों को पहुंचाया जाता है.
तनाव का विभिन्न अंगों पर असर
तनाव के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव निम्न है –
1. पाचन तन्त्र पर प्रभाव Impact on digestive system
तनाव के कारण मुंह सूखने लगता है. लार बनने की प्रक्रिया बंद हो जाती है, जिससे आहार निगलने में कठिनाई होती है. पाचन तन्त्र विकृत हो जाता है, हाइड्रोक्लोरिक एसिड ज्यादा मात्रा में बनने लगता है. इससे व्यक्ति को लगता है पेट भरा-भरा है, भूख समाप्त हो जाती है, अपच, गैस बनने लगता है पेट में दर्द होता है. कब्ज रहने लगता है. उल्टी की इच्छा होती है. पेचिश भी हो सकती है.
2. श्वसन तन्त्र पर प्रभाव Impact on respiratory system
तनाव में साँस लेने में मुश्किल होती है. साँस टूटती से लगती है. ऐसा लगता है साँस पूरी नहीं आ रही है. गला सूखने लगता है. सूखी खाँसी आती है. कभी-कभी साँस भुत तेज चलने लगती है. हाँफने की स्थिति हो जाती है.
3. हृदय पर प्रभाव Impact on Heart
हृदय की धडकन बढ़ जाती है या धड़कन में कमी आ जाती है. रक्त संचरण में वृद्धि हो जाती है. रक्तचाप बढ़ जाता है. हृदय का आकार बढ़ सकता है. गर्मी तथा उत्तेजना की अनुभूति होने लगती है. व्यक्ति में पसीना निकलने, हृदय में भारीपन दर्द का होना आदि लक्षण तनाव के कारण होने लगते हैं.
4. उत्सर्जन तन्त्र पर प्रभाव Impact on Excretery System
तनाव के कारण व्यक्ति बार-बार पेशाब करने जाता है. पेशाब निकलने में दिक्कत होती है. यौन इच्छा समाप्त हो जाती है. जनेंद्रियों में उत्तेजना नहीं रहती है शीघ्र पतन हो जाता है. समागम में दिक्कत होती है. सम्भोग में दर्द होता है. कभी-कभी वीर्यपात में देरी होती है.
तनाव का मन पर प्रभाव
एकाग्रता और याददाश्त में कमी
तनाव के कारण मन चंचल रहता है. सामान्य गतिविधियों के प्रति निरपेक्षता, याददाश्त की कमी, चक्कर आना, चिडचिडापन, मूड, परिवर्तन, उदासीन रहना, दैनिक जीवन के तनाव की वजब व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता प्रभावित होती है. उसकी एकाग्रता हो जाती है. व्यक्ति को किसी एक विषय में ध्यान लगाने में दिक्कत होती है. मन बेचैन और अशांत रहता है. इसका मन काम में नहीं लगता है जिसके कारण काम में गलतियाँ हो जाती हैं. निर्णय गलत होता है. व्यक्ति तार्किक ढंग से नहीं सोचता. आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति समाप्त हो जाती है. नकारात्मक विचारों में वृद्धि हो जाती है. हमेशा निराश, हताशा और नकारात्मक विचार मन में आते रहते हैं.
प्रत्यक्षीकरण गलत होना
तनाव के कारण व्यक्ति का संज्ञान और प्रत्यक्षीकरण गलत हो जाता है. इनकी ज्ञानेन्द्रियां ठीक ढंग से कार्य नहीं करतीं-तनाव के कारण व्यक्ति का प्रत्यक्षीकरण गलत होता रहता है. उदाहरन व्यक्ति तनाव के कारण भयभीत है, तो अँधेरे में रस्सी को साँप का प्रत्यक्षीकरण कर सकता है. इसी तरह तनाव के कारण सुनने, देखने, चखने आदि सभी से संज्ञान गलत होते हैं.
संवेगों का असंतुलित होना
तनाव में एड्रिनालाइन हार्मोन के स्राव के कारण व्यक्ति भयभीत, उदास या गुस्से में रहता है. वह शिथिल या खुश नहीं रहता है. व्यक्ति जल्दी गुस्से में आ जाता है. वह हमेशा बेचैन रहता है. व्यक्ति कभी-कभी रोने भी लगता है. व्यक्ति अपने को असहाय दुख और निराशा का अनुभव करता है. व्यक्ति अपने को असहाय दुख और निराशा का अनुभव करता है. व्यक्ति में मरने-मारने की इच्छा हो सकती है.
आत्महत्या करने के विचार आ सकते है. व्यक्ति अपनी समस्याओं से भागने हेतु ढंग अपनाता है. वह शराब, तम्बाकू का भी प्रयोग करने लगता है. विद्रोह और कुंठा के भाव, मायूसी, लगातार थकान,सबेरे उठने पर भी थका महसूस करना, नींद न आना या ज्यादा सोते रहना, भूख न लगना, मलत्याग की आदत में परिवर्तन, तरह-तरह की बीमारियों की निराधार आशंका आदि, तनाव की वजह होते हैं जो लोग सिगरेट, शराब पीने के आदी होते है, वे इन्हें ज्यादा पीने लगते हैं और कुछ लोग ऐसी स्थिति में पीना शुरू कर देते हैं.
स्नायु संस्थान स्वचालित की भूमिका
हमारे शरीर में स्वचालित स्नायु संस्थान है जिसे आटोनोमिक नर्वस सिस्टम कहते हैं. इसके दो भाग हैं एक को सिम्पेथेटिक और दूसरे को पैरासिम्पेथेटिक कहते हैं. जब व्यक्ति को किसी तरह का कोई खतरा होता है, तो उसके मस्तिष्क द्वारा सिम्पेथेटिक भाग में गतिशीलता आती है.जिससे कई ग्रन्थियों में स्राव उत्पन्न होने लगता है. इस तरह वह व्यक्ति को आने वाले खतरे से सचेत करता है.
ऐसी अवस्था में उसका रक्तचाप अधिक हो जाता है. इसमें रक्त का संचरण मांसपेशियों और मस्तिष्क में अधिक होने लगता है. खतरा एक बार जब टल जाता है तो सिम्पेथेटिक की सक्रियता में कमी आती है और उसके बाद पैरा सिम्पेथेटिक का काम बढ़ जाता है. पहले जो उत्तेजना उत्पन्न हुई थी वह होने लगती है और इससे संबंधित ग्रन्थियां भी सामान्य रूप से कार्य करने लगती हैं. इन दोनों भागों की गतिविधियाँ हमारे संतुलित जीवन के लिए जरूरी है. इन्हीं के संतुलन से जीवन ठीक ढंग से तनाव रहित चलता रहता है.
इसलिए हमें हमेशा तनाव मुक्त होकर अपनी जिन्दगी जीनी चाहिए. Tension गया लेने Pension वाले concept को अपनाते हुए tension को bye-bye करना ही सबसे अच्छा उपाय है.
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Mahesh says
Main bhi tension se grast ho ghutne Mein dikkat hoti hai aur ulti Samay Singh Sota hai khane ki ichcha to hoti lae Kali pata hai