कौन-कौन से उपकरण
Albert Einstein Two Motivational Stories/ बात उन दिनों की है, जब आइंस्टीन जर्मनी छोड़ चुके थे. दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से उनको निमंत्रण मिला. मगर उन्होंने चूना प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी को, उसके बौद्धिक और शांत वातावरण के कारण.
जब वे पहली बार Princeton पहुंचे, तो वहां के administrative officer ने पूछा – “ मैं आपके लिये कौन –कौन से instruments की व्यवस्था कर दूँ.”
आइंस्टीन ने बड़ी ही सहजता से कहा – “मुझे केवल एक ब्लैकबोर्ड, कुछ चाक. कुछ पेपर और कुछ पेंसिलें चाहिए.”
अधिकारी उनके instruments की लिस्ट देखकर आश्चर्य में पड़ गया. वह कुछ कहता कि तभी आइंस्टीन ने फरमाइश की – “ इन चीजों के अलावा मुझे एक बड़ी सी टोकरी भी चाहिए.”
“क्यों?”
“क्योंकि अपनी गणनाओं के दरम्यान मैं जगह जगह गलतियाँ करूँगा और छोटी टोकरियों रद्दी से जल्दी ही भर जायेगी.” आइंस्टीन ने हँसते हुए जबाब दिया.
सचमुच अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे असाधारण प्रतिभा के धनी व्यक्ति का जीवन किसी बाह्य आकर्षण से कोसों दूर था.
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वह लोकैषना से परे थे/Albert Einstein Two Motivational Stories
सन 1952 में इसराइल के प्रथम राष्ट्रपति कैम बीजमान का निधन हो गया. तब अल्बर्ट आइंस्टीन को इसराइल के राष्ट्रपति पद को सम्हालने की प्रार्थना की गयी.
आइंस्टीन ने विनम्रतापूर्वक उस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया और इसराइली राष्ट्रपति अब्बा रब्बान से स्पष्ट शब्दों में कहा – “मुझे प्रकृति के बारे में थोडा बहुत ज्ञान है, पर मनुष्य के बारे में लगभग कुछ भी मालूम नहीं. हमारे राष्ट्र इसराइल के इस निमंत्रण ने मेरे हृदय के अंतरतम को छू लिया है. मुझे एक ही साथ उदास और लज्जित कर दिया है क्योंकि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता.”
आइंस्टीन ने अपने पत्र में आगे लिखा – “ जीवन भर मेरा पाला भौतिक पदार्थों से रहा है. मुझमे मानवों से समुचित व्यवहार करने और सरकारी कामों को निभाने की न स्वाभाविक क्षमता है और न ही अनुभव. अगर बढ़ती उम्र मेरी शक्ति को सोखने न लगी होती तो भी सिर्फ ये कारण ही मुझे उस उच्च पद के लिये अनुपयुक्त ठहराने के लिये काफी हैं.”
यदि इस घटना को आज के परिपेक्ष्य में देखा जाय तो लोग इतने पदलोलुप हो गए हैं कि उन्हें कभी भी अपनी योग्यता और अयोग्यता की परवाह नहीं होती. वे पद पाने के लिये कोई भी उचित अनुचित कार्य करने से नहीं घबराते.
Jagat Singh Dugar says
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