हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है; इसलिए हिंदी के विकास की जिम्मेदारी सरकार और आम जनता दोनों की बनती है. साहित्यकारों का उत्तरदायित्व हिंदी साहित्य को समृद्ध करना है तो आम लोगों की जिम्मेवारी है कि वे अपने दैनिक जीवन में हिंदी का प्रयोग करें. साथ ही जो लोग हिंदी के माध्यम से रोजी-रोटी कमा रहें हैं; चाहे वे लेखक हों, या अधिकारी हों या हिंदी का ब्लॉगर ही क्यों न हो, यदि वह इसके माध्यम से धन अर्जित कर रहा है तो उनकी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है, उनका यह धर्म होना चाहिए कि हिंदी के प्रचार के लिए, विस्तार के लिए, एकरूपता के लिए, इसकी तकनीकी रूप से समृद्धि के लिए हमेशा सचेष्ट रहें.
National Language Hindi Development Measures राष्ट्रभाषा हिंदी के विकास का उपाय
आज घर से लेकर बाहर तक अंगरेजी मानसिकता का वर्चस्व होता जा रहा है. यदि हिंदी भाषा की श्री वृद्धि करनी है तो इस अंगरेजी वातावरण को बदलकर हिंदी के लिए माहौल का निर्माण करना होगा.
कैसे होगा हिंदी के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण?
अगर हिंदी के अनुकूल वातावरण निर्माण करना है तो नीचे दिए गए कुछ पहलूओं पर विशेष ध्यान देना होगा.
१. घर में अपने बच्चों के साथ हिंदी में बोलें.
२. बोलने के दौरान अंगरेजी मिश्रित भाषा का कम से कम प्रयोग करें. हो सके तो सिर्फ हिंदी के शब्दों का प्रयोग करें. हालांकि यह कठिन कार्य लगता है.
३. घर में हिंदी का अखबार खरीदें. पत्र-पत्रिका भी हिंदी भाषा वाली ही खरीदें.
४. हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकारों, लेखकों, कवियों की रचना को पढ़ें और उसकी चर्चा करें.
५. पत्र व्यवहार (जो कि सब बिलकुल घट गया है) हिंदी में करें.
६. यदि आप टीवी देखते हैं तो हिंदी के टीवी चैनेल ज्यादा देखें.
७. अगर आप मोबाइल फ़ोन उपयोग करते हैं तो हिंदी कीबोर्ड का प्रयोग करें. अपना ईमेल और एसएम्एस हिंदी में भेंजे.
८. यदि आप हिंदी में टाइप करना चाहते हैं तो गूगल का हिंदी टाइपिंग टूल डाउनलोड कर हिंदी में टाइप करें, वह भी बहुत आसानी से.
९. अपने बच्चों को वैसे कान्वेंट स्कूल में डालें जहाँ हिंदी की शिक्षा भी बेहतर तरीके से दी जाती है. यदि संभव हो तो हिंदी माध्यम की शिक्षा को अपनाएँ.
१०. घर की शोभा में लटकाए गए चित्र में विद्या की देवी सरस्वती माता को स्थान दें.
११. यदि हो सके तो अपने घर और ड्राइंग रूम में हिंदी के प्रसिद्द कवियों और लेखकों के चित्र लगायें.
१२. यदि आस पास कोई हिंदी पुस्तकालय हो तो उसकी सदस्यता लें.
१३. अपना नाम पट्ट, संस्थाओं के बोर्ड, बही खाता, लैटर पैड आदि हिंदी में प्रयोग करें.
राष्ट्रभाषा हिंदी का विकास किसकी जिम्मेदारी?
आज हिंदी के माध्यम से रोजी रोटी कमानेवाले कुछ लोगों में हिंदी के शिक्षक, प्राध्यापक, हिंदी अधिकारी, हिंदी पत्र पत्रिकाओं के लेखक और सम्पादक आदि हैं. हालांकि आजकल कुछ ब्लॉगर भी हिंदी में पोस्ट लिखकर विज्ञापन से कुछ धन अर्जित करने लगे हैं, इसलिए उनकी भी कुछ जिम्मेवारी तो बनती ही है. ये तमाम लोग हिंदी के विकास में महती योगदान दे सकते हैं. हिंदी भाषा की खुशबू देश और विदेश में भी फैला सकते हैं. देश के बाहर रह रहे एन आर आई भी हिंदी भाषा के विकास में बहुत भूमिका अदा कर सकते हैं.
हिंदी के विकास में सिनेमा का योगदान
चित्रपट यानी सिनेमा ने हिंदी के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है. सिनेमा हिंदी के विकास का एक सशक्त माध्यम है. हिंदी सिनेमा देश कौन कहे, विदेशों में भी देखी जाती है, यह हिंदी भाषा के लिए गौरव की बात है. राजकपूर की फ़िल्में भारत में ही नहीं, रूस में भी बहुत लोकप्रिय हैं. किसी फिल्म में जब भारतीय समाज का चित्रण किया जाता है तो वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हिंदी को आगे बढ़ाती है. पिछले कुछ दशकों में हिंदी सिनेमा ग्लोबल हो चली है. इसमें बड़े बड़े कथाकारों, कलाकारों, निर्माता और निर्देशक का बहुत बड़ा योगदान रहा है. आगे भी इसी तरह से प्रयासरत रहने की जरुरत है.
सरकार और राष्ट्रभाषा हिंदी
राष्ट्रभाषा हिंदी के विकास में सरकार का योगदान भी बहुत महत्वपूर्ण है. सरकार को चाहिए कि देश के सभी प्रान्तों में स्कूल और कॉलेज में हिंदी की पढ़ाई को अनिवार्य कर दे. देश के अन्दर आयोजित की जानेवाली प्रतियोगिता में हिंदी में पास होना अनिवार्य का देना चाहिए. चाहे वह निम्न वर्गीय कर्मचारी हो या उच्च अधिकारी – हिंदी सबके लिए अनिवार्य होना चाहिए. सरकारी और गैर सरकारी नौकरियों में हिंदी के ज्ञान को अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि लोग हिंदी सीखने को उद्यत हो सकें. जब नौकरियों में हिंदी का ज्ञान अनिवार्य होगा तो हिंदी का विकास स्वतः हो जाएगा.
हिंदी के विकास के लिए बनाई गयी सरकारी संस्थानों को भी आगे आकर इसके लिया काम करना होगा. चाहे अच्छी हिंदी पुस्तकों का प्रकाशन हो या उसका वितरण हो. विश्व के प्रसिद्द साहित्य को हिंदी में उपलब्ध कराकर हिंदी पाठक वर्ग को बढाया जा सकता है.
देश के सभी हिंदी भाषा भाषी राज्यों जैसे बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और हरियाणा की सरकार को चाहिए कि हिंदी भाषा को अनिवार्य करे कि समस्त सरकारी, शैक्षणिक, और न्यायिक कार्य सिर्फ और सिर्फ हिंदी में हो.
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अधिकारियों के नाम पट्ट हिंदी में हो, अंगरेजी शब्दों के प्रचलन को कम किया जाय. गैर हिंदी प्रदेशों में भी हिंदी के विकास के लिए प्रयास करना होगा. वहां के संस्थानों में, विद्यालयों में हिंदी की पुस्तकें निःशुल्क भेजी जाय. पत्रिकाएं और पत्र भी भेजी जानी चाहिए ताकि उनकी रूचि हिंदी के प्रति बढे.
हिंदी की शोध पुस्तकें, उपन्यास, कहानी, नाटक आदि गैर हिंदी क्षेत्र में भेजी जाय ताकि लोग इसके बारें में उत्सुक हो सकें. देश के विश्वविद्यालयों में हिंदी की अच्छी किताबें लाइब्रेरी में होनी चाहिए. इसके लिए सरकार को कुछ नियम बनाना चाहिए.
देश की अग्रणी संस्था NCERT को हिंदी के पाठ्यपुस्तकों का निर्माण कर हिंदी को बढ़ाने में सहयोग करनी चाहिए. जितने भी शोध पत्र प्रकाशित होते हैं उनको हिंदी में लिखा जाना चाहिए. विज्ञानं की शिक्षा भी हिंदी में दी जानी चाहिए.
हिंदी भाषा के लिए अलग से वैज्ञानिक शब्दावली का निर्माण कर उसका प्रचार प्रसार करना होगा. सरकार को चाहिए कि विश्वकोश, सन्दर्भ कोश, वैज्ञानिक शब्द कोश आदि का निर्माण कराकर सस्ते मूल्यों पर लोगो को उपलब्ध कराये ताकि इस तरह के ग्रन्थ सर्वसुलभ हो सके.
इन्टरनेट और हिंदी भाषा
आज इन्टरनेट का जमाना है. रोज नए नए एप और सॉफ्टवेयर बन रहे हैं. हिंदी भाषा और साहित्य की पहुँच इसमें कहाँ तक है, इसको देखने की जरुरत है. साथ ही साथ कुछ ऐसे प्रतिभावान लोगों की पहचान की जानी चाहिए जो कंप्यूटर के प्रोग्रामिंग और हिंदी भाषा दोनों की अच्छी समझ रखते हों. हालांकि गूगल और फेसबुक ने अपने यूजर के लिए हिंदी में भी काम किया है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जा सकता है.
इस प्रकार यदि सरकार और आम जनता दोनों हिंदी के विकास के प्रति सजग रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी भाषा में पढ़ा एक विज्ञानं का छात्र नोबेल और फ़ील्ड्स मैडल प्राप्त करे. इसके लिए सबको मिलकर काम करने की जरुरत है तभी राष्ट्रभाषा हिंदी का चतुर्द्दिक विकास संभव है. धन्यवाद!
एक अपील : आइये हिंदी के सेनानी बनें:
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बढ़िया जानकारी लिखी है आपने पंकज जी !!
धन्यवाद योगी जी!
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